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करने संबंधी बयान स्वागतयोग्य आतंकवाद का अंत हमारी प्राथमिकता-आलोक गोस्वामीगत दिनों नार्थ ब्लाक के अपने दफ्तर में पदभार सम्भालने के बाद नए केन्द्रीय गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल ने काजीगुंड में घटी आतंकवादी घटना की निन्दा की। और उन्होंने जो वक्तव्य दिया उससे संतोष हुआ कि नई सरकार आतंकवाद की समस्या को प्राथमिकता दे रही है। श्री पाटिल ने कहा कि आतंकवाद ऐसी समया है जिसकी जड़ों की तलाश करके उपचारात्मक कदम उठाए जाएंगे। उनका यह बयान स्वागतयोग्य है।नए गृहमंत्री शिवराज पाटिलशांत, सौम्य और मृदुभाषी श्री शिवराज पाटिल ने गत 22 मई को भारत के गृहमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के रूप में श्री पाटिल को कौन नहीं जानता होगा। विशेषकर 10वीं लोकसभा अध्यक्ष के नाते उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ और परिपक्वता का परिचय देते हुए दलीय सीमा के पार अपनी विशेष पहचान बनाई थी। श्री पाटिल 1991 में लातूर (महाराष्ट्र) से लोकसभा चुनाव जीते थे और उसके बाद 1996, 1998 और 1999 में भी वे संसद में लगातार लातूर का प्रतिनिधित्व करते रहे। 2004 के चुनाव में हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली।12 अक्तूबर, 1935 को लातूर के ही चाकुर नामक स्थान पर श्री पाटिल का जन्म हुआ था। आरम्भ से ही अध्ययन में उनकी गहन रुचि थी। आरम्भिक शिक्षा के बाद उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय और मुम्बई विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा ग्रहण की। विज्ञान विषय लेकर स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने विधि परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। कुछ समय तक उन्होंने अधिवक्ता के रूप में कार्य किया।40 दशक से भी अधिक समय से सार्वजनिक जीवन में कार्यरत रहने वाले श्री पाटिल आज गृहमंत्री हैं परन्तु यहां तक पहुंचने से पहले उन्होंने अन्य अनेक सार्वजनिक पदों को सुशोभित किया है। 1967 में वे लातूर नगर पालिका के अध्यक्ष बने। 1972 में महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य नियुक्त हुए और 1978-1979 के दौरान विधान परिषद के अध्यक्ष रहे। जन साधारण में अपनी स्पष्ट छवि के कारण श्री पाटिल लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे और 1980 में पहली बार लातूर से लोकसभा सांसद बने। उसी वर्ष उन्हें केन्द्र में रक्षा राज्यमंत्री नियुक्त किया गया। उसके बाद तो उन्होंने कांग्रेस सरकारों में केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य के नाते अनेक विभागों का दायित्व संभाला, जिनमें प्रमुख थे वाणिज्य, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, पर्यटन और नागरिक उड्डयन। उन्हें अध्ययन का शौक है, पुस्तकें पढ़ते रहते हैं। उन्होंने स्वयं एक पुस्तक भी लिखी है-“रेमिनिसेंसिस एंड रिफ्लैक्शंस”।दरअसल पद सम्भालने के तुरन्त बाद इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर यह वक्तव्य देकर श्री पाटिल ने एक प्रकार से अपनी प्राथमिकताएं परिभाषित की हैं। उन्होंने राजग सरकार के समय हुर्रियत कांफ्रेंस से शुरू की गई बातचीत के संदर्भ में कहा कि इस ओर अब तक हुए प्रयासों के परिणामों का आकलन करके हुर्रियत से तीसरे दौर की वार्ता की जाएगी। इस कारण अगली वार्ता में थोड़ा विलंब हो सकता। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर के विभिन्न पक्षों से शांति बहाली संबंधी वार्ता कर रहे श्री एन.एन. वोहरा के प्रयासों की भी श्री पाटिल ने तारीफ की। श्री वोहरा को आगे भी यह कार्य जारी रखने संबंधी निर्देश दिया जाना नए गृहमंत्री की प्रतिबद्धता दर्शाता है। ताजा जानकारी के अनुसार श्री शिवराज पाटिल ने जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए केन्द्र सरकार के तमाम प्रयासों का गहन अध्ययन करना शुरू कर दिया है। वे फाइलों को पूरी गंभीरता से देख रहे हैं। गृह मंत्रालय ने इस बीच हाल की उस आतंकवादी घटना की गहन जांच के आदेश जारी कर दिए हैं जिसमें सीमा सुरक्षा बल के अनेक जवानों सहित कुल 33 लोगों की मृत्यु हुई थी। संकेत मिले थे कि इस घटना के पीछे सुरक्षा तंत्र में कहीं कुछ खामी हुई थी। गृहमंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखना और आतंकवाद पर काबू पाना है। लोगों की मदद से आतंकवाद का सामना किया जाएगा। इसके साथ ही, सीमा सुरक्षा बल, अद्र्धसैनिक बल आदि को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा। उन्होंने स्वीकारा कि कश्मीर समस्या और आतंकवाद एक बड़ी चुनौती है।कश्मीर के अलावा श्री पाटिल ने उत्तर-पूर्व में जारी आतंकवाद का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि समस्या को सुलझाने में जिस किसी पक्ष से बातचीत जरूरी होगी, हम करेंगे। उनका इशारा एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) गुट और केन्द्र के बीच जारी संघर्षविराम और बातचीत की ओर था। भारत सरकार की ओर से इस पृथकतावादी गुट से वार्ता कर रहे श्री पद्मनाभैया से नए गृहमंत्री ने विशेष बैठक भी की थी। इस बात पर संशय का कोई कारण नहीं दिखता कि एन.एस.सी.एन. (आई.-एम.) से वार्ता में कही अवरोध आएगा।नक्सलवादी समस्या के बारे में श्री पाटिल ने कहा कि इस मुद्दे पर विभिन्न राज्य सरकारों से बातचीत करके समाधान तलाशा जाएगा। जो राज्य इस समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें केन्द्र की ओर से पूरी मदद दी जाएगी।श्री पाटिल के इन सकारात्मक बयानों से एक उम्मीद तो जगी ही है कि आतंकवाद से मुकाबला करने में कोताही नहीं बरती जाएगी। कश्मीर से पलायन को मजबूर कर दिए गए हिन्दुओं की घरवापसी की उम्मीद बंधी है। लगता है राजग सरकार द्वारा इस दिशा में किए गए गंभीर प्रयास भी जारी रखे जाएंगे।6
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