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भारत आगे… और आगे बढ़ेपाञ्चजन्य के पाठकों को स्मरण होगा कि तरुण विजय को दिए गए अंतिम साक्षात्कार में पूज्य रज्जू भैया ने भारत के बारे में अपने सपने को अभिव्यक्त करते हुए कहा था कि उनकी इच्छा है कि भारत धन के बल पर नहीं बल्कि विद्या के बल पर वि·श्व में प्रतिष्ठा अर्जित करे। इन्हीं सपनों को उजागर किया भारत के शीर्षस्थ सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों ने। उन्हें गत सप्ताह दिल्ली में सम्पन्न एक भव्य एवं राजनेताओं की पूर्ण अनुपस्थिति वाले समारोह में डाटाक्वेस्ट पत्रिका ने सम्मानित किया। इनमें डा. विजय भाटकर को जीवन की श्रेष्ठ उपलब्धियों का सम्मान दिया गया। डा. भाटकर ने परम महासंगणक (सुपर कम्प्यूटर) बनाकर अमरीकी दादागिरी के तिलिस्म को तोड़ा था और इस संगणक के उद्घाटन के समय उन्होंने यज्ञ के साथ ज्ञाने·श्वरी का पाठ कराया था, क्योंकि उनका अटल विश्वास है कि भारत अपनी वैदिक विरासत और विद्या की ऋषि-परम्परा के आधार पर ही आगे बढ़ सकता है। उनके साथ ही विश्वविख्यात प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ प्रो. अशोक झुनझुनवाला को नूतन पथ सर्जक सम्मान दिया गया और मोसर बेयर इंडिया कंपनी के प्रबंध निदेशक दीपक पुरी को वर्ष के सूचना प्रौद्योगिकी पुरुष का सम्मान दिया गया। यद्यपि इनमें से किसी का भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई सम्बंध नहीं है परंतु संघ के स्वयंसेवक अपनी प्रार्थना में प्रतिदिन भारत के परम वैभव का जो संकल्प लेते हैं वही संकल्प जब हमने इनके सम्मान स्वीकारोक्ति भाषणों में सुना तो प्रसन्न होना स्वाभाविक ही था। इन विभूतियों को बधाई देते हुए हम उनके विचारों का संक्षिप्त स्वरूप यहां प्रकाशित कर रहे हैं। सं.21
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