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वे आदर्शवाद की बलि चढ़ गएरा.स्व. संघ, हरियाणा प्रांत के सहप्रांतीय बौद्धिक प्रमुख श्री विजयेन्द्र जैन की गत 21 फरवरी को सोनीपत में नृशंस हत्या कर दी गई। श्री विजयेन्द्र उस दिन स्थानीय जेस पार्क की प्रभात शाखा में भाग लेकर माडल टाउन स्थित अपने घर लौट रहे थे। वे जैसे ही पार्क से बाहर निकले कि पहले से ही घात लगाकर बैठे तीन अज्ञात हमलावरों ने उन पर बहुत निकट से गोलियां दाग दीं। उन्हें पांच गोलियां लगीं-दो उनके सर के दायीं ओर, दो पेट में तथा एक गोली बाजू में लगी। घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गयी। शाखा से अपने घर की ओर जा रहे अन्य स्वयंसेवक जब तक घटनास्थल पर पहुंचते तब तक हमलावर हवा में गोलियां चलाते हुए भाग गए। श्री विजयेन्द्र की हत्या का समाचार फैलते ही सम्पूर्ण नगर में शोक की लहर दौड़ गई। विरोधस्वरूप सोनीपत के बाजार तथा स्कूल बंद रखे गए।बाल्यकाल से ही संघ के स्वयंसेवक तथा सक्रिय कार्यकर्ता श्री विजेयन्द्र जैन इन्द्रप्रस्थ वि·श्वविद्यालय, दिल्ली में उप कुलसचिव थे। इससे पूर्व वे सोनीपत के छोटूराम आर्य कालेज में शिक्षक तथा प्राचार्य भी रहे। 51 वर्षीय श्री विजयेन्द्र के परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती संतोष जैन, पुत्र चारू कीर्ति तथा पुत्री श्रुति कीर्ति हैं। श्रीमती संतोष जैन सोनीपत के ही हिन्दू कन्या महाविद्यालय में रसायन शास्त्र की प्राध्यापिका हैं। वे भारत विकास परिषद् की सक्रिय कार्यकर्ता भी हैं।श्री विजयेन्द्र के एकमात्र पुत्र चारू कीर्ति इन दिनों जोहान्सबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में कार्यरत हैं। चारू के दक्षिण अफ्रीका से आगमन के पश्चात् 22 फरवरी की अपराह्न उनका अंतिम संस्कार किया गया। श्री विजयेन्द्र के अंतिम संस्कार के समय रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री मदनदास, क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख श्री सोहन सिंह, क्षेत्र प्रचारक श्री प्रेम गोयल, क्षेत्र कार्यवाह श्री रमेश प्रकाश, हरियाणा के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री रामविलास शर्मा, हरियाणा प्रांत कार्यवाह श्री बजरंग लाल गुप्ता सहित संघ, भाजपा व अन्य संगठनों के अनेक पदाधिकारी सम्मिलित हुए।श्री विजयेन्द्र जैन की नृशंस हत्या पर रा.स्व.संघ के निवर्तमान सरसंघचालक पूज्य रज्जू भैया तथा सह सरकार्यवाह श्री हो.वे. शेषाद्रि ने शोक व्यक्त किया है। संघ के सह सरकार्यवाह श्री मदनदास ने कहा कि वे एक तत्वनिष्ठ, निडर व साहसी कार्यकर्ता थे। वे अत्यंत मृदुभाषी एवं मिलनसार थे। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे किसी भी प्रकार की अनियमितता को स्वीकार नहीं करते थे। वे एक वि·श्वविद्यालय के उप कुलसचिव जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन थे, वहां भी संघ के संस्कारों के कारण ही उन्होंने पारदर्शिता बनाए रखी। अनुचित कार्य कराने वाले सदैव इसी कारण उनसे बैर रखते थे। श्री विजयेन्द्र किसी भी प्रकार की उद्दण्डता बर्दाश्त नहीं करते थे। 4 वर्ष पूर्व अपने कालेज की एक छात्रा को बचाने के लिए वे चाकू लिए हुए एक गुंडे से निहत्थे ही भिड़ गए थे। श्री मदनदास ने कहा कि उनकी हत्या किन कारणों से हुई, यह अभी ज्ञात नहीं है। पर यह हत्या पूर्व नियोजित थी व पेशेवर हत्यारों ने इसे नृशंसतापूर्वक अंजाम दिया। इसकी जांच होनी चाहिए तथा हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार किया जाना चाहिए। श्री मदनदास ने अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि इतने निष्ठावान कार्यकर्ता की हत्या संघ, समाज व देश की हानि है, जिसकी पूर्ति संभव नहीं है। — प्रतिनिधि35
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