दिंनाक: 12 Feb 2001 00:00:00 |
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चिड़ियां, महकते फूल-सीलगती हैं बेटियांप्यारी बहुत ही प्यार मेंलगती हैं बेटियां।सातों स्वरों में कूकती,कोयल-सी बेटियांसातों रंगों को हैं लिएकिरणों-सी बेटियां।मां के लिए हैं स्वप्न का,श्रृंगार बेटियांबाबुल के लिए जान सेप्यारी है, बेटियां।हंसने से उनके हंसती हैं,दीवारें घरों कीभइया के सूने हाथ कीराखी हैं बेटियांपूजा के जलते दीप कीबाती हैं बेटियांममता दिखा के सबकोरिझाती हैं बेटियांरुकते नहीं हैं पैरपलभर को, जमीं परमेहनत की सौंधी गंधलुटाती हैं बेटियांगर्मी में ठण्डी छांव-सीलगती हैं बेटियांसर्दी में मीठी धूप-सीलगती हैं बेटियांअविरल बहें वह धार हैंगंगा-सी बेटियांदुनिया-जहां की आग भीसहती हैं बेटियांमीरा कभी बनींकभी दुर्गा भी बन गयींदुश्मन के लिए बन गयींये काल बेटियां– डा. कमलेश रानी अग्रवाल27
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