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चिड़ियां, महकते फूल-सी
लगती हैं बेटियां
प्यारी बहुत ही प्यार में
लगती हैं बेटियां।
सातों स्वरों में कूकती,
कोयल-सी बेटियां
सातों रंगों को हैं लिए
किरणों-सी बेटियां।
मां के लिए हैं स्वप्न का,
श्रृंगार बेटियां
बाबुल के लिए जान से
प्यारी है, बेटियां।
हंसने से उनके हंसती हैं,
दीवारें घरों की
भइया के सूने हाथ की
राखी हैं बेटियां
पूजा के जलते दीप की
बाती हैं बेटियां
ममता दिखा के सबको
रिझाती हैं बेटियां
रुकते नहीं हैं पैर
पलभर को, जमीं पर
मेहनत की सौंधी गंध
लुटाती हैं बेटियां
गर्मी में ठण्डी छांव-सी
लगती हैं बेटियां
सर्दी में मीठी धूप-सी
लगती हैं बेटियां
अविरल बहें वह धार हैं
गंगा-सी बेटियां
दुनिया-जहां की आग भी
सहती हैं बेटियां
मीरा कभी बनीं
कभी दुर्गा भी बन गयीं
दुश्मन के लिए बन गयीं
ये काल बेटियां
— डा. कमलेश रानी अग्रवाल
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