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हस्तिनापुर?अब क्या दु:ख हैहस्तिनापुर को खोजने मेंजाने कहां है हस्तिनापुर?नहीं, नहींजरूरी है, यहीं कहीं होगाक्षत-विक्षत, देह के लहूऔर मरघट की राख से सजामिल जाएगाकिसी भी युग में कभीखोता नहीं है हस्तिनापुरहोता है वह विशेष।कौन-सी विशेषता?अंधा सम्राट?वह तो होता है प्रत्येक सम्राटबात तो प्रजा की हैहर हस्तिनापुर की औकातकरती है निर्भरप्रजा की सही समझ परतो फिर क्या मिलना है?विद्वानों या शूरवीरों से?नहीं, नहींहस्तिनापुर के तोकान बहरे हैंविद्वता नहीं,सुनी जाती है दरबारों मेंकेवल चाटुकारिता।वहां कहां शूरवीर?वीर होते हैं वहांजहां होता है न्यायन्याय होता है वहांजहां होता है धर्ममेरी पोटली में हैंकुछ स्वप्न-बीजचाहता हूं जिन्हें बो देनाहस्तिनापुरवासियों की आंखों मेंताकि जब उगे फसलतो प्रजाजनसम्राटों के लिए नहींउन्हीं स्वप्नों के लिएलड़ें महाभारत!मत फैलाओ व्यर्थ शब्दजालतुम्हारी सारी बातें हैं गलतचाहिए तुम्हें हस्तिनापुरक्योंकि है तुम्हेंजुए की लत।द उपेन्द्र कुमार36
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