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शिक्षा को उदारीकरण की बलि न चढ़ाएं
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् की बैठक गत 23 से 26 मई के बीच पटना के महाराणा प्रताप भवन में आयोजित हुई। प्रतिवर्ष राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् की बैठक में संगठनात्मक एवं कार्यात्मक समीक्षा होती है, यह बैठक उसी की एक कड़ी थी। इस बैठक में अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. दिनेशानंद गोस्वामी, राष्ट्रीय महामंत्री अतुल भाई कोठारी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य प्रो. बाल आप्टे, प्रो. पी.वी. कृष्ण भट्ट, प्रो.डी.मनोहर राव, प्रो.राम स्नेही गुप्ता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती शोभा पैठानकर, श्रीमती गीता गुण्डे, प्रो. शिशिर कुलकर्णी, राष्ट्रीय मंत्री रमेश पप्पा, सुश्री वन्दना मिश्र, श्रीसुरेश भट्ट व श्री सुनील बंसल सहित विभिन्न प्रान्तों के सदस्यों ने भाग लिया। चार दिवसीय इस बैठक में आई.एस.आई. की बढ़ती गतिविधियों, देश की आंतरिक एवं बाह्र सुरक्षा व्यवस्था, शैक्षणिक विषयों के अन्तर्गत देश की महंगी शिक्षा व्यवस्था एवं संगठनात्मक विषय पर गहन परिचर्चा की गई। बैठक का उद्घाटन 23 मई को परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. दिनेशानंद गोस्वामी ने किया। बैठक के अन्तिम दिन तीन महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री अतुल भाई कोठारी के अनुसार शिक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की आर्थिक स्थिति से सम्बंधित इन प्रस्तावों को कार्यान्वित करने के लिए विद्यार्थी परिषद् पूरी शक्ति के साथ काम करेगी। इस बैठक में जवाहरलाल नेहरू वि·श्वविद्यालय, नई दिल्ली में वामपंथी छात्रों द्वारा सेना के दो मेजरों की पिटाई के विरोध में चले आंदोलनों एवं मदुरई में स्थाई रूप से चल रहे स्वास्थ्य प्रकल्प एवं उसके परिणाम की रपट भी रखी गई। बैठक में छत्तीसिंहपुरा में हुए निर्दोष सिखों के नरसंहार का मामला भी उठाया गया।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े प्रस्ताव में कहा गया है कि पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. का कट्टरवादी और षड्यंत्रकारी संगठनों के साथ गठजोड़ देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। प्रस्ताव में नेपाल-बंगलादेश की सीमा से लगी उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर तेजी से बन रहे मदरसों एवं मस्जिदों पर चिंता व्यक्त की गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि प. बंगाल एवं बिहार की सरकार द्वारा जिस तरह से आई.एस.आई. की गतिविधियों की अनदेखी की जा रहा है, राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् उसकी आलोचना करती है एवं केन्द्र और प्रदेश सरकारों से इस दिशा में तेजी से कदम उठाने की मांग करती है। प्रस्ताव में पाकिस्तान के विरुद्ध कड़े कदम उठाने की भी मांग की गई है।
वर्तमान शिक्षा में हो रहे परिवर्तन के बारे में भी इस बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए। प्रस्ताव में कहा गया है कि केन्द्र एवं राज्य सरकारें उच्च शिक्षा से हाथ खींचकर उसे उदारीकरण के नाम पर निजी संस्थानों को सौंप रही हैं और अपने दायित्व से विमुख हो रही हैं। स्ववित्त पोषित महाविद्यालय, पाठ्यक्रम एवं कोई नियामक व्यवस्था न होने के कारण कई निजी संस्थानों ने ऐसे नए महाविद्यालय एवं पाठ्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें शिक्षा की गुणवत्ता को कम महत्त्व दिया जा रहा है एवं भारी शुल्क वसूलकर शिक्षा का व्यापारीकरण किया जा रहा है। प्रस्ताव में इस परिस्थिति से निबटने के उपाय भी बताए गए हैं।
देश की आर्थिक स्थिति के बारे में पारित तीसरे प्रस्ताव में यह मांग की गई है कि पिछले 10 वर्षों की आर्थिक स्थिति एवं अपनाई गई आर्थिक नीतियों की गंभीरता से समीक्षा की जानी चाहिए।
द कल्याणी
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