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भूखों की चिन्ताउत्तर प्रदेश के ज्योतिबाफुले नगर में एक स्थान है धनौरा। यहां रहते हैं 70 वर्षीय श्री रामविलास जैन। उन्हें पशु-पक्षियों से काफी लगाव है। जब वे प्रात: सैर के लिए निकलते हैं तो बाजरा, रोटी, चीनी से भरी थैलियां साथ रखते हैं। रास्ते में जितने भी पशु मिलते हैं, सभी को रोटियां देते चलते हैं। इसके बाद वे स्थानीय रामलीला मैदान पहुंचते हैं और चीटियों को चीनी डालते हैं। फिर वे यत्र-तत्र पक्षियों के लिए बाजरा आदि डालते रहते हैं। इस तरह वे पिछले 40 वर्षों से लगातार विभिन्न जीव-जन्तुओं को भोजन देते आ रहे हैं। चाहे कड़कती ठण्ड पड़ रही हो या मूसलधार वर्षा हो रही हो, श्री जैन किसी भी परिस्थिति में अपने इस पुनीत कार्य को नहीं रोकते। इतना ही नहीं, वे शाम को घास-मण्डी जाते हैं और घास-चारा खरीदकर उसे निराश्रित पशुओं को खिलाते हैं। जब किसी कारणवश उन्हें नगर से बाहर जाना होता है, तो यह काम वे किसी को सौंपकर जाते हैं। — विनोद कुमार अग्रवाल5
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