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— किशोर मकवाणा
लेफ्टिनेंट नवांग कापड़िया
गोरखा रेजिमेन्ट के ब्रिगेडियर श्री रणधीर सिंह ने कहा कि सुखी-सम्पन्न गुजराती परिवार का एक जवान थल सेना में भर्ती हुआ तो बड़ा आश्चर्य हुआ। साधारणतया ऐसा समझा जाता है कि व्यापार में कुशल गुजराती लोग सेना में बहुत कम जाते हैं। गुजराती परिवार का युवा पुत्र सेना में भर्ती होकर दुश्मन के दांत खट्टे करते हुए शहीद हो जाए तो आश्चर्य की बात है।
11 नवम्बर को गोरखा राइफल्स रेजिमेन्ट का लेफ्टिनेंट नवांग कापड़िया कश्मीर सीमा पर शहीद हो गया। उसकी आयु 24 वर्ष थी। सेना में भर्ती होने के बाद प्रथम नियुक्ति पर इस सैन्य अधिकारी को मात्र 14 दिन हुए थे। नवांग मुम्बई में कपड़े के बड़े व्यापारी हरीश कापड़िया का सुपुत्र था। हरीश भाई मुम्बई के जाने-माने व्यापारी हैं। पर्वतारोहियों में हरीश भाई और उनकी धर्मपत्नी का देश-विदेश में सम्मान होता है। नवांग ने स्नातक करने के बाद अपने पिता का समृद्ध व्यापार संभालने के बजाय सेना में जाना ज्यादा अच्छा समझा था।
29 अक्तूबर को नवांग कापड़िया विधिवत् गोरखा रेजिमेन्ट की बटालियन में भर्ती हुआ था। उसकी पहली नियुक्ति कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की संवेदनशील सीमा पर हुई। 10 नवम्बर की शाम को रजवाड़ा स्थित बटालियन को समाचार मिला कि शस्त्रों के साथ कुछ आतंकवादी आसपास की झाड़ियों में छिपे हैं। इसके बाद इन आतंकवादियों को खत्म करने की जिम्मेदारी लेफ्टिनेन्ट नवांग को सौंपी गई। लेफ्टिनेंट नवांग के नेतृत्व में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच 20 घंटे तक आमने-सामने गोलीबारी होती रही। इसमें दो आतंकवादी मारे गए, किन्तु इस गोलीबारी में नवांग भी शहीद हो गया।
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