ढाका । बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला जैसोर जिले के दहरामशियाहाटी गांव से सामने आया है, जहां अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के 20 घरों को कट्टरपंथियों ने लूटने के बाद आग के हवाले कर दिया गया। उन्मादियों के हिंसक हमले में पीड़ित हिन्दुओं ने अपनी संपत्ति और घर सहित सब कुछ खो दिया।
हमलावर कट्टरपंथियों ने पहले हिन्दू घरों से नकदी और सोने-चांदी के आभूषण लूट लिए, उसके बाद हिन्दू महिलाओं से छेड़छाड़ करते हुए कई लोगों के साथ मारपीट की गई। साथ ही, गांव के मंदिर को भी इस्लामिक चरमपंथियों ने निशाना बनाया। उन्मादियों के इस हमले में कई लोग घायल हुए हैं।
दुकानों को भी बनाया गया निशाना
बहुसंख्यक कट्टरपंथियों के इसी हिंसक हमले के दौरान सुंदरली बाजार में दो दुकानों को पूरी तरह जला दिया गया, जबकि चार अन्य दुकानों को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया। यह सब उस वक्त हुआ जब इलाके में तनाव पहले से ही चरम पर था।
बीएनपी नेता की हत्या के बाद भड़की हिंसा
22 मई को जैसोर के दहरामशियाहाटी गांव में एक स्थानीय विवाद के दौरान बीएनपी नेता तारिकुल इस्लाम की हत्या हो गई थी। इसके बाद गांव में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया। पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि उनका इस हत्या से कोई संबंध नहीं था, फिर भी उन्हें प्रताड़ित किया गया।
अन्य जिलों में भी अल्पसंख्यकों पर हमले
इस तरह की हिंसा की घटनाएं जैसोर तक सीमित नहीं रहीं। माणिकगंज जिले में मां काली के मंदिर में आग लगा दी गई, जबकि मगुरा जिले में हिंदू समुदाय के घरों में घुसकर लूटपाट की गई। इस बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ देश की राजधानी ढाका में राष्ट्रीय प्रेस क्लब के बाहर विभिन्न संगठनों ने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से घटनाओं की निष्पक्ष जांच की मांग की।
राजनीतिक अस्थिरता और चुनाव की मांग
राजनीतिक मोर्चे पर, बांग्लादेश के कई राजनीतिक दलों ने दिसंबर तक चुनाव कराने की अपनी मांग फिर दोहराई है। हालांकि, जापान में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की उस टिप्पणी को विपक्ष ने सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक पार्टी को छोड़ बाकी सभी दिसंबर में चुनाव के पक्ष में नहीं हैं।
बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य मिर्जा अब्बास ने अंतरिम सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा- “यह सरकार पूरी तरह सड़ चुकी है। जो सरकार नौ महीने में सुधार नहीं कर सकी, वह नौ साल या 90 साल में भी कुछ नहीं कर पाएगी। उन्हें (युसुफ) देश से माफी मांगनी चाहिए और पद छोड़ देना चाहिए।”
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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