जब से छावा फिल्म रिलीज हुई है और भारत का असली इतिहास सामने आया है, तब से लोग लगातार औरंगजेब की निशानियों को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। मुगल आततायी औरंगजेब, जिसने छत्रपति संभाजी महाराज की बेरहमी से हत्या की, उसकी कब्र को हटाने की मांग तेज हो रही है। विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने कहा है कि ये मकबरा सांप्रदायिक कलह और विभाजनकारी प्रतीक है। हिन्दू संगठनों ने कहा है कि मांगे नहीं मानी गईं तो आततायी के मकबरे को हटाने के लिए कारसेवा करेंगे।
औरंगजेब के मकबरे के लिए महाराष्ट्र में कोई जगह नहीं
महाराष्ट्र में मुगल आततायी औरंगजेब के खिलाफ हिन्दू समुदाय का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि कई नेताओं का कहना है कि संभाजीनगर के खुल्दाबाद इलाके में स्थित औरंगजेब के मकबरे को खत्म कर देना चाहिए। राज्य की धरती पर इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
पुलिस प्रशासन हुआ अलर्ट
इस बीच हालात को देखते हुए किसी भी तरह की दिक्कतों से बचने के लिए औरंगजेब के मकबरे के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को कड़ी कर दिया है। वहां बड़ी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई है। पुलिस को इस बात का खौफ सता रहा है कि अगर हिन्दुओं की भीड़ औरंगजेब के मकबरे तक पहुंच गई तो हालात बिगड़ सकते हैं। यही कारण है कि अब मकबरे में सीधे एंट्री पर रोक लगा दी गई है।
इस बीच भाजपा नेता राम कदम ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना पर मुगल आक्रांता का महिमांडन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कुछ लोग आक्रमणकारी की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं और ये सब उद्धव ठाकरे की सरकार के दौरान शुरू हुआ था।
समाजवादी पार्टी भी खुलकर औरंगजेब के समर्थन में
समाजवादी पार्टी भी महाराष्ट्र में अपनी राजनीति चमकाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आजमी ने हाल ही में औरंगजेब का खुलकर समर्थन किया था। इसके खिलाफ जमकर विरोध हुआ। फिर तो अखिलेश यादव भी अपनी पार्टी के नेता के समर्थन में कूद पड़े और उन्होंने ने भी लाखों निर्दोष हिन्दुओं की हत्याएं करने वाले औरंगजेब की महानता में कसीदे पढ़ने लगे। उधर आजमी ने अपने ही बयान से माफी मांग ली।
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