बिहार के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है सीमांचल। इसमें किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जिले शामिल हैं। पिछले कई दशकों से इस क्षेत्र की मजहबी संरचना में उल्लेखनीय जनसांख्यिक बदलाव हुए हैं। सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत बिहार के राज्य-व्यापी औसत लगभग 17 प्रतिशत की तुलना में बहुत अधिक है। इस क्षेत्र के जनसांख्यिक परिवर्तन में कई कारकों ने योगदान दिया है, लेकिन रपट बताती है कि बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं सहित पड़ोसी क्षेत्रों से लोग सीमांचल में आकर लगातार बस रहे हैं।
1951 से 2011 के बीच हुई जनगणनाओं के आंकड़ों के हिसाब से इस क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है। इससे यहां की बोलचाल, खानपान, पहनावे और रहन-सहन सहित अन्य गतिविधियों में आए परिवर्तन में आसानी से देखा जा सकता है।
2011 की जनगणना के जिला-विशिष्ट आंकड़ों से पता चलता है कि किशनगंज की आबादी में मुसलमानों की संख्या लगभग 67.98 प्रतिशत थी, जबकि हिंदुओं की संख्या 31.43 प्रतिशत थी। सीमांचल के अन्य जिलों में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत बढ़ा है। कटिहार में लगभग 44.5 प्रतिशत, अररिया में लगभग 43.0 प्रतिशत और पूर्णिया में लगभग 38.5 प्रतिशत मुसलमान हैं। इन जिलों में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत राज्य के अन्य जिलों से अपेक्षाकृत अधिक है।
किसी खास क्षेत्र में मजहबी आधार पर घुसपैठ करा कर जनसंख्या वृद्धि कराना एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा कहा जा सकता है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या बढ़ाने की लगातार कोशिश कुछ विशेष ताकतों की ओर से की जा रही है। इसमें पिछले दो दशक में काफी तेजी आई है।
पहले यहां कुछ एक लोग आते थे और अपना आवासीय प्रमाणपत्र बनाने के बाद अपने सगे-संबंधियों को भी यहां बुलाकर बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया करते थे। यह जानकारी होते हुए भी उन्हें रोकने की कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। नतीजतन, आज एक बड़ी आबादी ऐसी है जो पिछले दो दशक में यहां आ कर बसी है, जिससे यहां के स्थानीय निवासी सांस्कृतिक दबाव का सामना कर रहे हैं। इस क्षेत्र का सामाजिक और राजनीतिक ताना-बाना अब बदल चुका है।
इस क्षेत्र की 24 विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोट निर्णायक है। किशनगंज जिले में कुल 125 पंचायत हैं। इनमें से 73.6 प्रतिशत, अर्थात् 92 मुखिया मुस्लिम समुदाय के हैं। कटिहार जिले में 234 पंचायत हैं, जिनमें से 231 के आंकड़े उपलब्ध हैं। 231 मुखियाओं में से 110 मुस्लिम हैं। अररिया जिले में 212 पंचायत हैं। इनमें से 100 पंचायत में मुस्लिम मुखिया हैं। पूर्णिया जिले के कुल 230 ग्राम पंचायत में से 108 मुखिया मुस्लिम समुदाय से हैं।
इन जिलों में चुने गए कुल 891 सरपंचों में से 377 मुस्लिम सरपंच हैं। किशनगंज की 125 पंचायत में से 87 में, कटिहार की 231 पंचायतों में से 104 में और अररिया की 210 पंचायत में से 87 में मुस्लिम सरपंच हैं, जबकि पूर्णिया में यह आंकड़ा 230 में से 99 है। ये आंकड़े जमीनी स्तर पर मुस्लिम नेतृत्व की लगातार बढ़ती उपस्थिति को दर्शाते हैं, जो इस क्षेत्र के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करते हैं।
नतीजतन, इस क्षेत्र के विभिन्न समुदायों के बीच सामाजिक सद्भाव बनाए रखना भी एक चुनौती बन गई है। इस चुनौती का सामना करना अब जरूरी है, खासकर के बांग्लादेश के हालात को देखते हुए। सीमावर्ती क्षेत्र को अधिक समय तक अनदेखा नही किया जा सकता है। प्राथमिकता के साथ इस पर ठोस कार्रवाई करना समय की मांग है।
(लेखक अभाविप (बिहार-झारखंड) के पूर्व क्षेत्रीय संगठन मंत्री हैं)
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