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सभी सनातनी सहोदर

देशभर के घुमंतू समाज के साधु-संतों ने संगम में डुबकी लगाकर कहा कि सभी हिंदू सहोदर हैं। हिंदुओं के बीच भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है

by पाञ्चजन्य वेब डेस्क
Feb 17, 2025, 10:03 am IST
in भारत, विश्लेषण, धर्म-संस्कृति
घुमंतू साधु-संतों के साथ श्री भैयाजी जोशी और श्री दुर्गादास

घुमंतू साधु-संतों के साथ श्री भैयाजी जोशी और श्री दुर्गादास

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गत दिनों देश भर की घुमंतू जातियों के साधु-संत कुंभ मेला प्राधिकरण के आमंत्रण पर संगम स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे। इतिहास में यह पहला अवसर था जब सरकार द्वारा गठित कुंभ मेला प्राधिकरण ने स्वयं घुमंतू समाज के साधु-संतों को कुंभ मेले में आमंत्रित किया। अखिल भारतीय घुमंतू कार्य के कार्यकर्ताओं द्वारा सभी साधु-संतों को रेलवे स्टेशन से कार्यक्रम स्थल तक लाने की व्यवस्था की गई। मेला क्षेत्र के लोअर संगम मार्ग पर स्थित सेक्टर 17 में इन साधु-संतों के आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था की गई। मेला प्रशासन द्वारा गंगा स्नान के बाद 25 जनवरी की रात को देशभर के अलग-अलग प्रांतों से आए इन घुमंतू साधु-संतों ने भजन-कीर्तन तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनोहारी प्रस्तुतियां दीं।

दूसरे दिन राज्य सरकार की बस सभी साधु-संतों को लेकर लगभग 8 किलोमीटर दूर संगम के लिए रवाना हुई। इन घुमंतू साधु-संतों को राजकीय अतिथि के तौर पर पूरे सम्मान के साथ संगम तक पहुंचाया गया। संगम स्नान का यह क्षण उनके जीवन में कितना अविस्मरणीय था, इसे उनके चेहरों पर पढ़ा जा सकता था। इसी दिन दोपहर बाद अखिल भारतीय संत समागम का आयोजन हुआ। अखिल भारतीय घुमंतू कार्य प्रमुख श्री दुर्गादास ने घुमंतू कार्य का संक्षिप्त परिचय एवं विषय की प्रस्तावना रखी।

उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संत पूरे विश्व को ममता, समता एवं समरसता का पाठ पढ़ाने वाले मार्गदर्शक हैं। ये शाश्वत मूल्यों के संस्थापक हैं। इसलिए इनकी शिक्षाएं सार्वभौम हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बेघर यायावर जीवन बिता रहे घुमंतू समाज के बंधुओं को स्थायी आवास उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री भैया जी जोशी ने इस अवसर पर कहा कि इस छोटे से परिसर में घट रही यह घटना इस महाकुंभ की विशिष्टतम घटना है। हम यहां से यह संतोष लेकर जा सकते हैं कि हम इस महाकुंभ के सबसे अद्भुत चित्र के साक्षी हैं।

इस अखिल भारतीय संत समागम के मंच से महामंडलेश्वर स्वामी जितेंद्र जी महाराज, कैलाशनाथ महाराज, ठाकुरनाथ महाराज, पौरागढ़ महाराष्ट्र से पधारे बंजारा समाज के पूज्य संत बाबू महाराज, इंदौर से पधारे धनगर समाज के संत श्रीश्री 108 महामंडलेश्वर पूज्य दादू जी महाराज, राजसमंद से पधारे बागरिया समाज के संत श्री हासू महाराज, जोधपुर से पधारे बंजारा समाज के पूज्य चेतन गिरि जी महाराज इत्यादि अनेक घुमंतू संतों ने हिंदू समाज की एकता का संदेश दिया।

इस संत समागम को विश्व हिंदू परिषद्् के वरिष्ठ अधिकारी श्री दिनेश चंद्र, संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख श्री स्वांत रंजन ने भी संबोधित किया। संतों ने तीसरे दिन पुन: गंगा स्नान किया। इसी दिन दोपहर को समापन सत्र आयोजित हुआ। इसमें घुमंतू साधु-संतों ने कहा, ‘‘जीवन में पहली बार हमें इस प्रकार के सम्मान की अनुभूति हुई है। यहां अनेक बड़े संतों के साथ बैठने का जो सौभाग्य हमें मिला है, वह हमारे मन में इस बात का विश्वास भरता है कि हम सभी एक हैं। इस महाकुंभ से हम यह प्रण लेकर जा रहे हैं कि समाज के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देंगे।’’

समापन सत्र को संबोधित करते हुए निर्वाणी अखाड़े के आचार्य विशोकानंद जी महाराज ने कहा, ‘‘हमारी सनातनी परंपरा में कोई व्यक्ति जन्म के आधार पर छोटा या बड़ा नहीं है, साधना बड़ी है। हम सभी में ईश्वर का अंश है, जिसकी साधना जितनी परिपक्व होगी, उतना ईश्वरीय तत्व उसमें प्रकट हो जाएगा।’’ महाकुंभ से प्रस्थान के समय व्यवस्थाओं एवं सम्मान से अभिभूत घुमंतू साधु-संतों की आंखों से छलकते आंसू इस बात का आभास दे रहे थे कि कोई हिंदू पतित नहीं है, हम सब एक मां की संतान हैं और एक साथ आगे बढ़ेंगे।

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