भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ हर मुद्दे पर अपने विचार खुलकर रखते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी की करारी हार के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ पर भी आरोप लगाए। महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की हार के लिए उन्हें दोषी ठहरा दिया। इस पर चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या एक पार्टी तय करेगी कि सुप्रीम कोर्ट को किन मामलों की सुनवाई करनी चाहिए। क्षमा करें, यह विकल्प मुख्य न्यायाधीश के पास है।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता पर याचिकाओं पर निर्णय न लेकर नेताओं से कानून का डर खत्म कर दिया था। इससे दल-बदल के लिए दरवाजे खुले रहे और विधासभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की हार हुई। राउत ने यह भी कहा कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा।
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की आलोचना का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ठीक है, मेरा जवाब बहुत सरल है, इस पूरे वर्ष में, हम मौलिक संवैधानिक मामलों, नौ-न्यायाधीशों की पीठ के फैसलों, सात-न्यायाधीशों की पीठ के फैसलों, पांच-न्यायाधीशों की पीठ के फैसलों पर सुनवाई कर रहे थे। अब, क्या किसी एक पार्टी या व्यक्ति को यह तय करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए? क्षमा करें, यह विकल्प मुख्य न्यायाधीश के पास है।”
शिवसेना का हुआ था विभाजन
वर्ष 2022 में शिवसेना टूटी थी। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन सत्तारूढ़ एमवीए सरकार गिर गई थी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार का गठन हुआ था। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के साथ पार्टी से अलग हुए विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। शिंदे गुट ने भी याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से प्रतिद्वंद्वी गुटों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने को कहा। इस साल जनवरी में स्पीकर ने शिंदे गुट को “असली” शिवसेना घोषित किया।
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