बात 17 मई, 2010 की है। उस दिन दंतेवाड़ा से सुकमा के लिए एक बस यात्रियों को लेकर रवाना हुई। बस चिंगावरम पुलिया के पास पहुंची ही थी कि जोरदार धमाका हुआ।
लोग कुछ समझ पाते इसके पहले ही माओवादियों ने बस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। आईईडी धमाके और अंधाधुंध गोलीबारी में 15 ग्रामीणों की मौत हो गई और 12 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
घायलों में सुकमा जिले के राजामुण्डा गांव के रहने वाले दुधी महादेव भी शामिल थे। इस हमले में उन्होंने अपना दाहिना पैर खो दिया और अब बैसाखी के सहारे चलने को विवश हैं।
वे कहते हैं, ‘‘नक्सलियों ने जीवन को नर्क बना दिया है। इसका दर्द समुद्र से भी गहरा है। इस दर्द को झेलते हुए जीवन जीना आसान नहीं है।’’
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