इस समाचार के लिखे जाने तक गुजरात के कई जिले भयानक बाढ़ की चपेट में हैं। कई दिनों तक लगातार भारी वर्षा होने के कारण वडोदरा, द्वारका, मोरबी, राजकोट, आणंद, खेड़ा, अमदाबाद जैसे जिलों में जबरदस्त तबाही हुई। वडोदरा, राजकोट, द्वारका के कुछ क्षेत्रों में तो 10-11 फीट पानी खड़ा हो गया। सारे मकान जलमग्न हो गए। इस कारण लोगों को बड़ी परेशानी हुई। लगभग 30 लोगों की मौत हो चुकी है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बाढ़ की विभीषिका की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने उन्हें हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।
इस बीच राज्य प्रशासन के साथ ही सेना के जवान भी बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में लगे। कई जगह लोगों को हेलिकॉप्टर से निकाला गया। इस आपदा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और आनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ता अपने परिवारों के साथ सुरक्षित स्थानों पर जाने के बजाय, बाढ़ में फंसे नागरिकों, माताओं, बच्चों आदि को बाहर निकालने में लगे। दूर-दराज की झोपड़ियों में रहने वाले निवासियों के लिए भोजन पहुंचाया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सौराष्ट्र के वरिष्ठ कार्यकर्ता पंकज रावल ने बताया कि स्वयंसेवकों ने जामनगर में 80 से अधिक लोगों को बचाया।
उन्होंने यह भी कहा कि लालपुर, कलावड, पदधरी आदि इलाकों में कई ऐसी कई गर्भवती महिलाएं थीं, जिन्हें अस्पताल पहुंचाना आवश्यक था। स्वयंसेवकों ने इन महिलाओं को कैसे भी अस्पताल पहुंचाया। जामनगर में लगभग 2,000 भोजन के पैकेट वितरित किए गए। इसके अलावा राजकोट में एक रसोईघर शुरू किया गया, जिसमें हर दिन लगभग 1,000 लोगों को खाना खिलाया जा रहा है। टंकारा और जामनगर में लगभग 150 स्वयंसेवकों ने भोजन वितरित किया। वडोदरा में डॉ. हेडगेवार सेवा समिति के कार्यकर्ताओं ने लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के साथ ही उनके लिए भोजन की भी व्यवस्था की। समिति से जुड़े दीप अग्रवाल ने बताया, ‘‘वडोदरा में ऐसी बाढ़ शायद ही पहले कभी आई होगी। इस कारण हर व्यक्ति परेशान है। डॉ. हेडगेवार सेवा समिति के कार्यकर्ता अपने डूबे घरों की चिंता छोड़कर अन्य लोगों की मदद कर रहे हैं। उन तक पानी और भोजन पहुंचा रहे हैं।’’
सामाजिक संगठनों के अलावा धार्मिक संगठन भी बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगे हैं। वडोदरा में बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था (बी.ए.पी.एस.) के संत और अनुयायी बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगे। संतों ने भोजन तैयार करने से लेकर उसके वितरण में भी भूमिका निभाई। इन संतों की देखरेख में अनुयायियों ने वडोदरा के सामा, कलाली, वडसर, चपाल, चांसद, वाघोडिया आदि क्षेत्रों में भोजन पैकेट वितरित किए। बी.ए.पी.एस. के मीडिया प्रभारी स्वामी ज्ञानानंद ने बताया, ‘‘28 अगस्त तक बी.ए.पी.एस. के संतों और अनुयायियों ने लगभग 25,000 लोगों के बीच भोजन के पैकेट बांटे, वहीं करीब 10,000 लोगों के लिए खिचड़ी की व्यवस्था की।’’
स्वामिनारायण संस्था, वडतालधाम से जुड़े ‘गोकुलधाम’ के संचालक संत शुकदेव प्रसाद दास जी ने बताया, ‘‘गोकुलधाम की ओर से जरूरतमंद परिवारों को 4,400 भोजन थाली के साथ 3,200 लोगों को सूखा भोजन और 140 लोगों को अनाज की किट दी गई।’’
वडतालधाम के कोठारी स्वामी संत वल्लभदास जी ने बताया कि जन्माष्टमी की रात से ही संत और साधक बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। वडतालधाम में भोजन तैयार कर नाव के जरिए बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाया जा रहा है। प्रतिदिन 5,000 से अधिक भोजन पैकेट बांटे जा रहे हैं। स्वामिनारायण संस्था के साथ ही कुछ जैन संगठन भी बाढ़ पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं। ये कार्यकर्ता जगह-जगह राहत कार्य कर रहे हैं। द्वारका जिले का मुख्यालय खंभालिया भी बाढ़ की चपेट में है। विहिप के कार्यकर्ता प्रवीण सिंह कंछावा ने बताया कि खंभालिया में अनेक संगठनों के कार्यकर्ता बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए। 29 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने खंभालिया सहित कुछ नगरों का हवाई सर्वेक्षण किया। उम्मीद है कि सरकार और सामाजिक संगठनों के सहयोग से गुजरात में जल्दी ही जनजीवन सामान्य हो जाएगा।
टिप्पणियाँ