बांग्लादेश में हाल ही में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदू समुदाय, के खिलाफ हो रही हिंसा और अराजकता के चलते देश की नई अंतरिम सरकार के गृह विभाग के सलाहकार शखावत हुसैन ने माफी मांगते हुए एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। इस बयान में उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार हिंदू समुदाय की रक्षा करने में असफल रही है। यह माफी ऐसे समय पर आई है जब बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा में तेजी आई है, जिसके परिणामस्वरूप कई मंदिरों पर हमले हुए और संपत्ति को नुकसान पहुंचा।
हिंसा का बढ़ता प्रकोप
बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और अत्याचार के मामले बढ़े हैं। मंदिरों पर हमले, मंदिरों में तोड़फोड़, घरों को जलाने और लूटने जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। इन हमलों ने न केवल हिंदू समुदाय को असुरक्षित महसूस कराया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को उजागर किया है। हजारों हिंदुओं ने इन हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
सरकार की प्रतिक्रिया
इस हिंसात्मक घटनाओं के बीच, शखावत हुसैन ने एक बयान में कहा, “हम आपकी रक्षा करने में विफल रहे हैं, और इसके लिए हमें खेद है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने देश के सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, लेकिन हम इसमें असफल रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि देश के बहुसंख्यक समुदाय की भी है। हुसैन ने जोर देते हुए कहा, “हमारा कर्तव्य है कि हम अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करें, यह हमारे मजहब का भी हिस्सा है।”
हिंदू समुदाय के प्रति अपील
शखावत हुसैन ने अपनी माफी में आगे कहा, “मैं अपने अल्पसंख्यक भाइयों से क्षमा चाहता हूँ। हम अराजकता के दौर से गुजर रहे हैं और पुलिस भी इस समय पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं है। मैं पूरे समाज से आग्रह करता हूँ कि आप उनकी रक्षा करें, वे हमारे भाई हैं और हम सब एक साथ बड़े हुए हैं।” उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी और सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
समाज की भूमिका
हुसैन ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों की रक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं। उन्होंने बहुसंख्यक समुदाय से अपील की कि वे आगे आएं और अपने अल्पसंख्यक भाइयों की रक्षा करें। “हम सभी एक समाज के हिस्से हैं और यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम एक-दूसरे की सुरक्षा सुनिश्चित करें”।
हिंसा का प्रभाव
बांग्लादेश में जारी इस हिंसा ने वहां के हिंदू समुदाय को बुरी तरह प्रभावित किया है। धार्मिक स्थलों, विशेष रूप से मंदिरों पर हो रहे हमलों ने न केवल उनकी धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाई है, बल्कि उनकी सुरक्षा और सम्मान पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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