विख्यात कहानीकार सुदर्शन की कालजयी कहानी है- ‘हार की जीत।’ इसमें बाबा भारती डाकू खड़ग सिंह से गरीब होने का झूठ बोलकर घोड़ा हथियाने की बात किसी से न कहने का आग्रह करते हैं। बाबा भारती के अनुसार, यदि लोगों को इस सचाई का पता चला तो उनका भरोसा गरीबों से उठ जाएगा और कोई गरीबों की मदद के लिए सामने नहीं आएगा।
बिडंबना यह कि एक सदी बाद यह कहानी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार पर 100 प्रतिशत सटीक बैठती है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध अण्णा आंदोलन के सहारे सत्ता में आए केजरीवाल की सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी नजर आ रही है। अंतर सिर्फ यह है कि डाकू खड़ग सिंह को तो अपनी गलती का अहसास हो गया था और उसने बाबा भारती को घोड़ा लौटा दिया था। जबकि जांच में भ्रष्टाचार के ठोस सबूत मिलने के बाद भी केजरीवाल और उनकी पूरी टोली जनता को बरगलाने की कोशिश में जुटी है। ई.डी. की जांच से साफ है कि सचाई छुपाने के लिए सबूत नष्ट किए गए। आरोपियों ने याददाश्त जाने का बहाना किया। ई.डी. की हिरासत में होने के बाद भी केजरीवाल को ‘याद’ नहीं आ रहा है कि उनका मोबाइल कहां है। वैसे घोटाले में गुम हुआ केजरीवाल का मोबाइल पहला नहीं है।
मनीष सिसोदिया, विजय नायर, के. कविता समेत अन्य आरोपियों के 171 मोबाइल/गजट गायब हो चुके हैं, जिनमें सिसोदिया के 14 मोबाइल और 43 सिम भी शामिल हैं। अभी तक ई.डी. इस मामले में एक मुख्य आरोपपत्र के साथ पांच पूरक आरोपपत्र दाखिल कर चुका है। इनमें घोटाले की गुत्थियों को परत-दर-परत खोलते हुए उसमें आरोपियों की संलिप्तता के सबूत विस्तार से दिए गए हैं। मनीष सिसोदिया के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र में उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले मोबाइल फोन, उनमें लगे सिम के साथ-साथ यह भी बताया गया है कि उन्हें किन-किन के नाम से खरीदा गया था। उन सभी के बयान हैं कि सिम या मोबाइल खरीद कर उन्होंने सिसोदिया को दिया और साथ ही उन लोगों के भी बयान हैं, जिनसे सिसोदिया ने उन मोबाइल और सिम नंबर पर बात की थी। घोटाले से जुड़े सबूतों को नष्ट करना सिसोदिया व अन्य आरोपियों के खिलाफ अहम सबूत साबित हो रहा है, जो केजरीवाल के खिलाफ भी साबित हो सकता है।
सबूतों को नष्ट करने में रंगे हाथों पकड़े जाने के बावजूद आम आदमी पार्टी (आआपा) के नेता भले ही ई.डी. की पूरी जांच को मनगढंत, राजनीति से प्रेरित और पैसे के लेन-देन का कोई सबूत नहीं होने का दावा कर रहे हैं, जबकि सचाई इसके उलट है। दिल्ली आबकारी नीति बनाने से लेकर उसे लागू करने और इसके बीच दलाली की वसूली और बंदरबांट से जुड़े हर एक व्यक्ति से पूछताछ हो चुकी है और इससे संबंधित बयान और सबूत जुटाए जा चुके हैं।
मनीष सिसोदिया के निजी सचिव रहे सी. अरविंद ने मुख्यमंत्री आवास पर 30 पन्ने की रिपोर्ट देने और उसके अनुसार आबकारी नीति बनाने का बयान दिया है। इसी रिपोर्ट में पहली बार एक थोक विक्रेता को 12 प्रतिशत कमीशन देने का जिक्र है। वहीं ई.डी. होटल ओबेराय में ‘साउथ लाबी’ से जुड़े आरोपियों के ठहरने, होटल के बिजनेस सेंटर से 30 पन्ने की रिपोर्ट का प्रिंट निकालने और उसे सिसोदिया के पास भेजे जाने की पूरी कड़ी सबूतों के साथ जोड़ चुका है। इनमें आरोपियों की स्वीकारोक्ति के साथ-साथ चश्मदीद होटल कर्मचारियों के बयान भी शामिल हैं।
ई.डी. और सीबीआई के पास शराब नीति बनने के पहले देशभर के शराब कारोबारियों से मुख्यमंत्री केजरीवाल के दूत के रूप में विजय नायर की मुलाकातों का कच्चा-चिट्ठा है। इन मुलाकातों में शामिल सभी कारोबारियों के बयान दर्ज है, जो एक-दूसरे के बयान की पुष्टि भी करते हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और दिल्ली सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि दिल्ली में समीर महेंद्रू की कंपनी ‘इंडो स्पिरिट’ में हैदराबाद से आने वाले मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, शरद रेड्डी और के. कविता को हिस्सेदारी कैसे मिल गई और अधिकांश लाभकारी खुदरा दुकानें इसी समूह और इससे जुड़ी कंपनियों को कैसे मिलीं।
समीर महेंद्रू, मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, शरद रेड्डी के साथ-साथ केजरीवाल और सिसोदिया के साथ काम करने वाले दिनेश अरोड़ा व अन्य आरोपियों ने अपने-अपने बयानों में इसका विस्तार से विवरण दिया है और संबंधित सबूत भी उपलब्ध कराए हैं। दिनेश अरोड़ा, मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और शरद रेड्डी ने मजिस्ट्रेट के सामने आईपीसी की धारा 164 के साथ अपना इकबालिया बयान भी दर्ज कराया है। सबूत के तौर पर देखे जाने वाले इन बयानों को नकारना अदालत के लिए भी आसान नहीं होगा। ‘साउथ लॉबी’ द्वारा दी गई 100 करोड़ रु. की अग्रिम रिश्वत की वसूली के लिए इंडो स्पिरिट का ‘स्पेशल परपस व्हीकल’ के रूप में इस्तेमाल किया गया था। इसके जरिए की गई काली कमाई का पूरा विवरण ईडी के आरोपपत्र में दिया गया है।
पहले ही शुरू हो गई थी उगाही
दिल्ली की नई आबकारी नीति बनने के पहले ही शराब निर्माता कंपनियों से धन की उगाही शुरू हो गई थी। ई.डी. ने अपने दूसरे आरोपपत्र में गवाहों के बयान और दस्तावेजी प्रमाण के साथ यह दावा किया है। नई शराब नीति बनाने के लिए तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय समूह की बैठकों के दौरान ही विजय नायर ने शराब कारोबारियों से मिलकर अनुकूल नीति के लिए धन मांगना शुरू कर दिया था।
देश की 45 प्रतिशत शराब बनाने वाली ‘पेरनोड रिकार्ड’ में काम करने वाले सुनील दुग्गल और इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइंस एसोसिएशन आफ इंडिया (आइएसडब्ल्यूएआई) के महासचिव सुरेश मेनन ने एजेंसी को दिए अपने बयान में विजय नायर की ओर से दबाव बनाए जाने की बात कही है। इनके बयान आरोपपत्र के साथ संलग्न हैं। उनके अनुसार विजय नायर ने फरवरी, 2021 में ही संजीत रंधावा की मार्फत विदेशी शराब निर्माता कंपनियों के साथ संपर्क साधा था। इसके बाद आइएसडब्ल्यूएआई ने सुरेश मेनन को विजय नायर के साथ बातचीत की जिम्मेदारी दी थी। एक मार्च, 2021 को दिल्ली के ताज होटल में दोनों की मुलाकात हुई। सुरेश मेनन के मोबाइल से बरामद व्हाट्सअप चैट से इसकी पुष्टि होती है।
सुरेश मेनन के बयान के हवाले से ई.डी. ने यह दावा किया है कि पहली बैठक में ही विजय नायर ने शराब निर्माता एमएनसी कंपनियों से धन की मांग शुरू कर दी। नायर का कहना था कि स्थानीय शराब निर्माता कंपनियां आम आदमी पार्टी के लिए बहुत पैसा जमा कर रही हैं। यदि एमएनसी कंपनियों ने भी आम आदमी पार्टी को पैसा नहीं दिया, तो बन रही नीति में स्थानीय निर्माताओं को तरजीह दी जाएगी। इसी बैठक में विजय नायर ने आइएसडब्ल्यूएआई के सदस्य पेरनाड रिकार्ड समेत अन्य भारतीय कंपनियों से भी आआपा को पैसे देने की मांग रखी। सुरेश मेनन को दी गई धमकी की पुष्टि पेरनाड रिकार्ड के सुनील दुग्गल द्वारा मनोज राय को भेजे गए व्हाट्सअप संदेश से भी होती है। यह संदेश भी बरामद कर लिया गया है। ईडी के अनुसार 27 अप्रैल, 2021 को विजय नायर और ब्रिंडको के अमन ढल ने पेरनाड रिकार्ड के बिनॉय बाबू और डियागियो रे जगबीर सिधू से अलग-अलग मुलाकात की।
पंजाब सरकार का इस्तेमाल
दिल्ली की नई आबकारी नीति के तहत थोक विक्रेताओं को मिलने वाले 12 प्रतिशत लाभ में से छह प्रतिशत कमीशन आआपा नेता विजय नायर को नहीं पहुंचाने के कारण महादेव लिकर्स को अपने एल-1 लाइसेंस से हाथ धोना पड़ा। ईडी के आरोपपत्र के अनुसार पंजाब में आआपा की सरकार बनने के बाद दो डिस्टिलरियों को 25 दिन तक बंद रखा गया और तभी चालू होने दिया गया, जब महादेव लिकर ने दिल्ली में चार कंपनियों के थोक कारोबार से किनारा कर लिया। इसके बाद उसे एल-1 लाइसेंस जमा करने के लिए मजबूर किया गया।
ई.डी. ने गवाहों और दस्तावेजी सबूतों के आधार पर अपने आरोपपत्र में महादेव लिकर्स के चार कंपनियों के थोक कारोबार को छोड़ने और एल-1 लाइसेंस जमा करने का विस्तृत ब्योरा दिया है। इसके लिए ईडी ने पंजाब के आबकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त नरेश दुबे के साथ ही पूरे मामले से जुड़ीं विभिन्न कंपनियों के अधिकारियों के बयान और आरोपियों की स्वीकारोक्ति को अदालत में प्रस्तुत किया है। इसके साथ ही इस दौरान व्हाट्सअप पर भेजे गए संदेश फोटो को भी सबूत के रूप में पेश किया गया है। ईडी को अमित द्वारा दिए गए बयान के अनुसार विजय नायर महादेव लिकर की ओर से छह प्रतिशत कि कमीशन नहीं मिलने को लेकर नाराज था, लेकिन उसके ताकतवर मालिकों से सीधे पंगा लेने से बच रहा था। पंजाब में आआपा की सरकार बनने के बाद यह मौका मिल गया।
मार्च, 2021 में पंजाब में आआपा की सरकार बनने के अगले महीने ही 28 अप्रैल को महादेव लिकर के मालिकों से जुड़ी दो डिस्टलरियों को पंजाब के आबकारी विभाग ने मौखिक आदेश से बंद करा दिया। इस बारे में पूछताछ करने पर उन्हें दिल्ली में मामला निपटाने की सलाह दी गई। दिल्ली में संपर्क करने पर महादेव लिकर के मालिकों दिनेश अरोड़ा और अमित अरोड़ा ने चार कंपनियों के दिल्ली में कारोबार का अधिकार छोड़ने की शर्त रखी। मजबूरी में 12 मई को महादेव लिकर ने रेडिको, एल्कोब्रू, मोदी डिस्टिलरीज और जेमिनी डिस्टिलरीज के कारोबार का अधिकार छोड़ने का ईमेल दिल्ली के आबकारी विभाग को ईमेल कर दिया। लेकिन अमित अरोड़ा ने महादेव लिकर के ‘लेटरहेड’ पर इसे लिखकर दिल्ली के आबकारी विभाग में जमा करने को कहा। ईमेल और ‘लेटरहेड’ का फोटो भी शेयर किया गया।
चारों कंपनियों के थोक वितरण अधिकार छोड़ने के तत्काल बाद पंजाब आबकारी विभाग ने ‘शो-काउज नोटिस’ जारी कर बंद डिस्टिलरियों के बारे में जवाब तलब किया और 16 मई को सुनवाई की तारीख तय की। सुनवाई के दिन महादेव लीकर के मालिकों को बताया गया कि उन्हें आबकारी अधिकारियों के सामने यह कहना है कि वे ‘मुख्यमंत्री राहत कोष’ में 51 लाख रुपए जमा कराना चाहते हैं। इसके बाद भी आयकर विभाग के अधिकारियों ने ‘राहत कोष’ के लिए जारी चेक की फोटो व्हाट्सअप पर मंगाई और उसके बाद दोनों डिस्टिलरिज पर 25 लाख जुर्माना लगाकर मामले को खत्म कर दिया। इसके बाद महादेव लिकर के मालिकों को पंजाब में झूठी एफआईआर में फंसाकर जेल भेजने की धमकी दी गई और उन्हें दिल्ली का एल-1 लाइसेंस जमा करने पर मजबूर किया गया।
जिन चार कंपनियों के थोक कारोबार को महादेव लिकर से जबरन लिया गया था, उन्हें शिव एसोसिएट्स और दीवान स्प्रिट के बीच बांट दिया गया। इनमें एल्कोर्ब्यू को शिव एसोसिएट्स के पास भेजा गया और रेडिको खेतान, मोदी डिस्टिलरीज व जेमिनी डिस्टिलरीज दीवान स्प्रिट को दिया गया। लेकिन इसकी एवज में विजय नायर ने दीवान स्पिरिट में राघव मागुंटा को 50 प्रतिशत का हिस्सेदार बनवाया। वहीं शिव एसोसिएट्स में खुद दिनेश अरोड़ा, अमित अरोड़ा और संदीप परसान को 85 प्रतिशत का मालिक बना दिया और मूल मालिक प्रभजोत सिंह के पास सिर्फ 15 फीसद का मालिकाना हक रह गया। ई.डी. ने विस्तार से बताया है कि किस तरह से इन कंपनियों के मालिकों को डरा-धमकाकर उसमें अपने लोगों को मालिकाना हक दिया गया।
घोटाले की रकम की बंदरबांट
समीर महेंद्रू की कंपनी इंडो स्प्रिट को घोटाले की रकम की बंदरबांट के लिए इस्तेमाल किया गया था। ईडी ने अपने आरोपपत्र में गवाहों के बयान और उनकी मुलाकात के सबूतों के आधार पर बताया है कि आआपा नेता विजय नायर ने पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए ‘साउथ लॉबी’ से 100 करोड़ रुपए अग्रिम देने का दबाव बनाया था। इसकी एवज में इंडो स्पिरिट में ‘साउथ लॉबी’ को 65 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी गई थी। शुरू में समीर महेंद्रू 65 प्रतिशत हिस्सेदारी देने को तैयार नहीं था, लेकिन विजय नायर ने उसे इंडो स्पिरिट को पेरनाड रिकार्ड का दिल्ली का थोक कारोबार देने का लालच देकर मना लिया। ध्यान देने की बात है कि पेरनोड रिकार्ड देश में कुल शराब के 45 फीसद की निर्माता है। जाहिर है, समीर महेंद्रू ने इसे स्वीकार कर लिया।
‘साउथ लॉबी’ में के. कविता, शरत रेड्डी और मगुंथा श्रीनिवासुलु रेड्डी इंडो स्पिरिट में सीधे शामिल न होकर किसी के माध्यम से काम कर रहे थे। इनमें के. कविता के लिए अरुण पिल्लई काम कर रहा था। स्वयं अरुण पिल्लई समेत कई गवाहों ने इसकी पुष्टि की है। इसके साथ ही ईडी ने दिल्ली में शराब कारोबार को लेकर दिल्ली और हैदराबाद में हुई कई बैठकों के दस्तावेजी सबूत दिए हैं, जिनमें अन्य आरोपियों के साथ-साथ के. कविता भी खुद मौजूद थी।
इंडो स्पिरिट में ‘साउथ लॉबी’ को 65 प्रतिशत हिस्सेदारी के जरिए इस ‘लॉबी’ को 100 करोड़ रुपए की अग्रिम रिश्वत की भरपाई का पूरा गणित समझाया गया है। इसके अनुसार शराब के थोक कारोबार को ‘हैंडल’ की औसत लागत तीन फीसद आती है। आबकारी नीति में सुनिश्चित 12 फीसद लाभ में तीन फीसद को घटा दें तो इंडो स्पिरिट को नौ फीसद का शुद्ध लाभ हो रहा था।
नौ फीसद के लाभ में 65 फीसद हिस्सेदारी ‘साउथ लॉबी’ को जा रही थी, जो आबकारी नीति के तहत मिलने वाले 12 फीसद का आधा यानी छह फीसद ही है। जाहिर है, ‘साउथ लॉबी’ को इंडो स्पिरिट को मिले 12 फीसद लाभ में से छह फीसद मिल रहा था। इसे 100 करोड़ रुपए की अग्रिम रिश्वत में से समायोजित किया जा रहा था। इसके अलावा ‘साउथ लॉबी’ को दिल्ली में नौ ‘रिटेल जोन’ भी मिल गया था। ईडी के अनुसार ‘रिटेल’ में 185 फीसद तक के लाभ की गुंजाइश थी। इस तरह से ‘साउथ लॉबी’ ने दिल्ली के 30 फीसद शराब कारोबार पर कब्जा जमा लिया था।
गोवा चुनाव में लगी घोटाले की रकम
ईडी ने शराब घोटाले में ‘साउथ लॉबी’ से मिली 100 करोड़ रुपए की रिश्वत के एक हिस्से का उपयोग गोवा विधानसभा चुनाव में किए जाने का पुख्ता सबूत अदालत के सामने रखा है। इसके अनुसार 100 करोड़ रु. में से 30 करोड़ रु. दिनेश अरोड़ा को दिए गए थे, जबकि 70 करोड़ रु. को विजय नायर एवं अन्य लोगों के जरिए किनारे लगाया गया था। ईडी ने इस सिलसिले में गोवा में आआपा के चुनावी प्रचार को संभालने वाले चैरिएट प्रोडक्शंस मीडिया के निदेशक राजेश जोशी समेत कई लोगों का बयान संलग्न किया है।
इनमें ग्रेस एडवरटाइजिंग के कर्मचारी इस्लाम काजी ने बताया कि किस तरह आआपा चुनावी ‘होल्डिंग्स’ के बिल का आधा नकद में भुगतान करती थी। इसी तरह से चुनावी ‘ग्राउंड सर्वे’ और ‘ओपिनियन पोल’ के लिए रखी गई मनस्विनी प्रभुणे ने ईडी को बताया कि उसके माध्यम से गोवा में काम करने वाले आआपा के कार्यकर्ताओं को नकद भुगतान किया गया।
इन सभी बातों का यही निष्कर्ष निकलता है कि भले ही आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के बचाव में कुछ भी कहे या करे, लेकिन अब वे बुरी तरह फंस गए हैं। (बातचीत पर आधारित)
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