जब से इजरायल हमास युद्ध की शुरुआत हुई तब से अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने 2 बार इजरायल की मदद के लिए अमेरिकी सीनेट को बायपास करते हुए अपनी आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल किया था। अब एक बार फिर से बाइडेन प्रशासन ने हूती विद्रोहियों पर हमले के लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी लिए बिना ही आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल किया है। बाइडेन प्रशासन के खिलाफ खुद उन्हीं की पार्टी की कांग्रेसवुमन आवाज उठाते हुए आलोचना की है। वाशिंगटन डेमोक्रेट और कॉकस की अध्यक्ष प्रमिला जयपाल ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया है।
प्रमिला जयपाल ने इसे पूरी तरह से ‘अस्वीकार्य’ घटना करार दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद-1 के मुताबिक, किसी भी सैन्य कार्रवाई को कांग्रेस द्वारा अधिकृत होना चाहिए। इसी के साथ लंबे समय से चली आ रही बहस फिर से शुरू हो गई कि अमेरिका में युद्ध की घोषणा करने की शक्ति किसके पास है। दरअसल, बाइडेन प्रशासन ने गुरुवार की रात को ऐलान किया था कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, नीदरलैंड और बहरीन के समर्थन से अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में एक दर्जन से अधिक हूती अड्डों पर हवाई और नौसैनिक हमले करने का फैसला किया है।
इसके बाद अमेरिका-ब्रिटेन हमले शुरू भी कर दिए। इसके बारे में कांग्रेस को सूचित तो किया, लेकिन मंजूरी नहीं ली। इसी को लेकर बाइडेन अपने ही घर में घिरे हुए हैं।
तुर्की ने की अमेरिकी की आलोचना
इस बीच हूती विद्रोहियों पर अमेरिका-ब्रिटेन के हमले के बाद नाटो देश तुर्की ने चेताते हुए कहा कि ये दोनों देश मिडिल ईस्ट में रक्तपात फैलाने पर उतारू हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेर तैयब एर्दोऑन ने आशंका जताई है कि अमेरिका के इस हमले के बाद तनाव और बढ़ेगा।
एर्दोऑन ने कहा कि यमन पर अमेरिका के हमलों ने रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण लाल सागर जलमार्ग का उपयोग करने वाले वाणिज्यिक जहाजों की सुरक्षा को लेकर यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच तनाव को भी उजागर किया है। यूरोपीय संघ के देश अभी भी अपनी नौसेनाओं को अमेरिका की कमान के अधीन रखने के इच्छुक नहीं हैं। तुर्की के राष्ट्रपति ने इसे बल का मनमाना प्रयोग करार दिया है।
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