भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को देखते हुए यदि हम उसके अनुसार जीवन जीना शुरू कर देंगे तो सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए मीडिया को निजी स्वार्थ से हटकर भारतीय संस्कृति को स्थान देना चाहिए।
‘‘हर देश और संस्कृति का अपना ‘स्व’ होता है। ब्रिटेन लोकतांत्रिक देश है, लेकिन जब वहां राजा का राजतिलक होता है तो ईसाई पद्धति से होता है। यह वहां का ‘स्व’ है। इसका कोई विरोध नहीं होता। इसीलिए आवश्यक है कि हम अपने स्व की तलाश करें और उसके साथ खड़े हों’’। उक्त बात वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने कही।
वे पिछले दिनों भोपाल स्थित रवीन्द्र भवन में देवर्षि नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अमेरिका का राष्ट्रपति बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ लेता है और कोई आपत्ति नहीं होती। इसका कारण यह है कि उसने एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र होने पर भी अपने ‘स्व’ को नहीं बदला।
इतिहास, कला, संस्कृति और शिल्प को नष्ट किया। इसके उलट भारत के लोग जब बाहर गए तो उन्होंने वहां की संस्कृति को समाप्त नहीं किया, अपितु उनको समृद्ध ही किया।
हमें भी हमारे देश के ‘स्व’ को समझकर उसकी पुनर्स्थापना करनी होगी। समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र कार्यवाह श्री हेमंत मुक्तिबोध ने कहा कि दुनिया भर की दूसरी संस्कृतियों के लोग जब बाहर के देशों में गए तो सबसे पहले उन्होंने वहां की संस्कृति को नष्ट किया।
इन लोगों ने इतिहास, कला, संस्कृति और शिल्प को नष्ट किया। इसके उलट भारत के लोग जब बाहर गए तो उन्होंने वहां की संस्कृति को समाप्त नहीं किया, अपितु उनको समृद्ध ही किया।
भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को देखते हुए यदि हम उसके अनुसार जीवन जीना शुरू कर देंगे तो सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए मीडिया को निजी स्वार्थ से हटकर भारतीय संस्कृति को स्थान देना चाहिए। सकारात्मक और समाजहित में कार्य करने वाले लोगों के समाचार सामने आएं, इस दिशा में कार्य करना चाहिए।
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