नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने ‘तलाक के मामलों’ पर आज अहम फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट धारा 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ऐसे रिश्तों में जहां सुधार की कोई गुंजाइश न बची हो, तलाक को मंजूरी प्रदान कर सकता है।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने कहा कि जोड़े को जरूरी वेटिंग पीरियड (छह माह) का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। इस बेंच में जस्टिस कौल के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस ए एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एके माहेश्वरी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 29 सितंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह केस वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के पास भेजा गया था। मामले में कोर्ट ने पांच वकीलों जयसिंह, कपिल सिब्बल, वी गिरि, दुष्यंत दवे और मीनाक्षी अरोड़ा को मदद के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था।
संविधान पीठ ने कहा कि आपसी सहमति से तलाक के लिए छह महीने इंतजार की बाध्यता आवश्यक नहीं है।
संविधान पीठ के पास जो मुद्दा भेजा गया था वह यह था कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी के तहत तलाक के लिए आपसी सहमति हो तो क्या अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि को समाप्त किया जा सकता है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार करने का फैसला लिया कि जब रिश्तों के चलने की गुंजाइश बिल्कुल न हो तो क्या विवाह को निरस्त किया जा सकता है।
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