हिजाब को लेकर सितम्बर 2022 से झुलस रहे ईरान में महिलाओं का आक्रोश किस तरह कुचला जा रहा है, इसका कल एक और उदाहरण सामने आया है। वहां की संसद ने अब एक ‘ड्रेस कोड’ लागू करने के लिए नया कानून बना दिया है। यह कानून कहता है कि यदि कोई महिला हिजाब के बिना दिखी तो उसे करीब लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। इतना ही नहीं, वह किसी अन्य देश भी नहीं जा पाएगी, क्योंकि कानून के तहत उसका पासपोर्ट जब्त कर लेने को भी कहा गया है।
राजधानी तेहरान से आए समाचारों के अनुसार, ऐसा लगता है कि नए ड्रेस कोड को लेकर शिया सरकार पूरी सख्ती बरतने का मन बना चुकी है। ऐसी बे—हिजाबी महिलाओं के पासपोर्ट ही जब्त नहीं होंगे उनके इंटरनेट कनेक्शन काटकर बाहरी कनेक्शन भी काट दिए जाएंगे। ईरान में छह महीने से चले आ रहे हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों में इस कानून के प्रति आक्रोश उपजना स्वाभाविक ही है। हिजाब विरोधी दबे स्वर में सरकार की आलोचना करने लगे हैं और इस कानून के विरुद्ध लामबंद होने की कोशिश कर रहे हैं।
एक और दिलचस्प बात यह भी देखने में आई है कि वहां के एक शिया मौलाना मोहसेन अराकी ने बे—हिजाबी महिलाओं को कोरोना वायरस जैसा करार दिया है। मोहसेन अराकी का कहना है कि जैसे कोरोना वायरस को नहीं फैलने दिया गया वैसे ही हिजाब विरोधी चलन को भी फैलने से रोका जाएगा। इस मौलाना ने तो बिना किसी देश का नाम लिए, यहां तक कहा कि ‘हमारे दुश्मन ईरान की महिलाओं की स्वतंत्रता को खत्म करना चाहते हैं, क्योंकि हिजाब से ही कोई महिला आजादी से रह सकती है। अगर वह हिजाब नहीं पहनती तो दूसरों की बुरी नजर में बनी रहती है।’
एक अन्य मौलवी मोहम्मद नबी मौसवीफारद ने सरकार से मांग की थी कि ‘हमारे यहां की महिलाएं गर्मियों में बिना कपड़े के घर से बाहर आएं, उससे पहले ही सरकार को हिजाब को लेकर सख्त कानून बना देने चाहिए’। वह तो यहां तक बोला था कि सरकार घोषणा कर दे कि जो महिला हिजाब नहीं पहनेगी वह कोई भी सुविधा नहीं ले पाएगी।
उल्लेखनीय है कि ईरान सरकार हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के पीछे अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों का हाथ बता चुकी है। सरकार का मानना है कि इन प्रदर्शनों को बाहर से खाद—पानी मिल रहा है।
बहकी बातें भी सिर्फ मौलाना अराकी ने नहीं की हैं। गत माह वहीं के एक अन्य मौलवी मोहम्मद नबी मौसवीफारद ने सरकार से मांग की थी कि ‘हमारे यहां की महिलाएं गर्मियों में बिना कपड़े के घर से बाहर आएं, उससे पहले ही सरकार को हिजाब को लेकर सख्त कानून बना देने चाहिए’। वह तो यहां तक बोला था कि सरकार घोषणा कर दे कि जो महिला हिजाब नहीं पहनेगी वह कोई भी सुविधा नहीं ले पाएगी। ईरान का कट्टरपंथी वर्ग और उसकी महिलाएं हिजाब के पक्ष में ऐसे न जाने कितनी अजीबोगरीब बातें, मांगे उछालती रही हैं।
एक मोहम्मद मेहदी होसैनी का भी बयान है कि बारिश कम होने के कारण महिलाओं के हिजाब उतारे। वह तो यहां तक कह गया था कि जो भी हिजाब न पहने उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। यह होसैनी ईरान के सुप्रीम शिया नेता अयातुल्ला खामनेई का नजदीकी बताया जाता है।
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