इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दहेज उत्पीड़न के मामले में ऐतिहासिक निर्णय दिया है। दहेज उत्पीड़न के मामले में जिन लोगों को फर्जी फंसा दिया जाता है। उन्हें इस निर्णय से बड़ी राहत मिलेगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि दहेज उत्पीड़न की एफआईआर दर्ज होने के बाद दो महीने तक मुलजिम पक्ष में से किसी की गिरफ्तारी न की जाए। इस दो माह को कूलिंग पीरियड माना है। अभी तक यह देखने में आया है कि पारिवारिक विवाद होने पर भी दहेज उत्पीड़न की एफआईआर दर्ज करा दी जाती है और एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस गिरफ्तारी के लिए दबिश देने लगती है। कई बार इस प्रकार की एफआईआर में फर्जी आरोप लगाकर ससुराल वालों को फंसा दिया जाता है। बाद में जांच के दौरान यह पाया जाता है कि किसी अन्य कारण से परिवार में विवाद हुआ था।
उसके बाद दहेज उत्पीड़न का मुकदमा कायम करा दिया गया था। जब तक जांच में मामला फर्जी पाया जाता है तब तक नामजद अभियुक्त दो–तीन माह की जेल काट चुके होते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि दहेज उत्पीड़न में दो माह तक गिरफ्तारी न की जाए और इस प्रकार के मामलों को परिवार कल्याण समिति को विचार हेतु भेजा जाए। कमेटी विस्तृत रिपोर्ट बनाए और उसे पुलिस व मजिस्ट्रेट को सौंपे। मुकदमे में कमेटी के किसी सदस्य को गवाह के तौर पर नहीं बुलाया जाएगा।
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