गोवा के बारे में लोग हमेशा सी सैंड और सन की बात करते हैं, लेकिन जब से मैंने वन मंत्रालय का कार्यभार संभाला है तब से फॉरेस्ट इको टूरिज्म विकसित करने पर अतिरिक्त जोर दे रहे हैं। मुझे लगता है कि हमारा ध्यान बीच से लेकर फॉरेस्ट पर केंद्रित होना चाहिए और इस दिशा में हम लोग प्रयासरत हैं, ताकि राज्य में अलग तरह का वातावरण बनाया जा सके। इससे लोगों के मन में जो गोवा के प्रति एक भाव है कि यहां वे केवल मेज-मस्ती के लिए आते हैं, वह सोच बदलेगी।
इसे लेकर हमने एक योजना बनाकर इसे केंद्र सरकार को भेजा है। हमें विश्वास है कि गोवा में एक नया माहौल बनाने में हमें सफलता मिलेगी। हम जंगल बचाने और नए जंगल उगाने की दिशा में काम कर रहे हैं ताकि जंगल का घनत्व कम नहीं हो।
राज्य के वन मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा कि गोवा में महादेव वन्यजीव अभयारण्य और 57 प्रतिशत जंगल क्षेत्र है। 20 प्रतिशत संरक्षित क्षेत्र है। इसके अलावा, वन संरक्षण के लिए हमने अतिरिक्त क्षेत्र भी रखा है। हम लगातार इस दिशा में विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं। इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति भी बनाई है। मुझे लगता है कि गोवा का वन क्षेत्र कम नहीं हुआ है। गोआ में वन क्षेत्र पहले की ही तरह है। इसमें निजी वन क्षेत्र भी शामिल है। इसलिए मेरे हिसाब से संतुलन ठीक है।
यह पूछने पर कि केंद्र सरकार ने आजादी के 75वें वर्ष में हर जिले में 75 तालाब बनाने की योजना बनाई है, अपने यहाँ इस योजना को कैसे लागू कर रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा कि इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय इसके लिए नोडल एजेंसी है। इस योजना में वन विभाग साझीदार है। इस योजना को लागू करने वन विभाग जो भी कर सकता है, उसके लिए यह ग्रामीण विकास मंत्रालय का सहयोग करेगा। गोवा में खेती योग्य जमीन कम है, इसलिए जमीन को लेकर दबाव ज्यादा है। गोवा छोटा राज्य है और लोग यहां खेती करना पसंद नहीं करते हैं। हम सब कुछ बाहर से लाते हैं।
मेरे पास नगर योजना विभाग है उसको लेकर के हमने एक अधिसूचना भी जारी की है। हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं कि जल संरक्षण की दिशा में काम किया है जाए इसके लिए वन विभाग और ग्रामीन विकास विभाग मिल कर काम करेगा और हम जंगलों में भी तालाब बनाएंगे।
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