भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, विशेषतः क्रांतिकारी आंदोलन (Revolutionary Movement), भारत विभाजन (Partition of India) तथा स्वतंत्रवीर विनायक दामोदर सावरकर (Swatantryaveer Vinayak Damodar Savarkar) के जीवन, विचार एवं योगदान पर गंभीर और गुणवत्ता-युक्त शोध को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, मुंबई स्थित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक (Swatantryaveer Savarkar Rashtriya Smarak) ने अपने इतिहास में पहली बार तीन प्रतिष्ठित शोध छात्रवृत्तियाँ घोषित की हैं :
- पंडित श्यामजी कृष्ण वर्मा शोध छात्रवृत्ति
- बाबाराव सावरकर शोध छात्रवृत्ति
- नारायणराव सावरकर शोध छात्रवृत्ति
इन छात्रवृत्तियों के अंतर्गत ₹10,000 से ₹25,000 तक मासिक मानधन तथा 6 माह से 2 वर्ष तक की शोध अवधि निर्धारित की गई थी।
ऐतिहासिक घोषणा और आवेदन प्रक्रिया
यह ऐतिहासिक घोषणा 28 मई 2025 को स्वतंत्रवीर सावरकर की 142वीं जयंती के अवसर पर की गई थी। आवेदन की अंतिम तिथि 26 जून 2025 रही, जो कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की जयंती का दिन था।
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यह आवेदन प्रक्रिया पूर्णतः ऑनलाइन आयोजित की गई, जिसमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों से कुल 26 शोध प्रस्ताव प्राप्त हुए। ये प्रस्ताव हिंदी, अंग्रेज़ी और मराठी भाषाओं में थे।
शोध परिषद का गठन और चयन प्रक्रिया
उत्कृष्ट शोध सुनिश्चित करने हेतु एक विशिष्ट शोध परिषद का गठन किया गया, जिसमें सम्मिलित थे :
- प्रवीण दीक्षित – अध्यक्ष, सावरकर स्मारक एवं सेवानिवृत्त IPS अधिकारी
- डॉ. रिज़वान कादरी – सदस्य, प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय समिति
- प्रखर श्रीवास्तव – प्रख्यात पत्रकार एवं इतिहासकार
- चंद्रशेखर साने – सावरकर विषय के विद्वान
- चिरायु पंडित – लेखक, शोधकर्ता एवं शिक्षाविद
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परिषद द्वारा गहन मूल्यांकन एवं साक्षात्कार के बाद तीन शोधकर्ताओं का चयन सर्वसम्मति से किया गया।
चयनित शोधकर्ताओं और उनके शोध विषय
1. श्यामजी कृष्ण वर्मा छात्रवृत्ति
- शोधकर्ता : सौमक पॉदर
- विषय : “सावरकर और बंगाली बुद्धिजीवी: पुनर्मूल्यांकन, संगठनात्मक समन्वय और सांस्कृतिक संवाद (1905–1966)”
- अवधि : 2 वर्ष
2. बाबाराव सावरकर छात्रवृत्ति
- शोधकर्ता : अनघ विवेक करमरकर
- विषय : “क्रांतिकारी त्रयी: सावरकर बंधुओं की भूमिका”
- अवधि : 1 वर्ष
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3. नारायणराव सावरकर छात्रवृत्ति
- शोधकर्ता : मीता नाथ बोरा
- विषय : “स्वतंत्रता से विभाजन तक – पूर्वोत्तर की यात्रा”
- अवधि : निर्धारित अवधि अनुसार
राष्ट्रवादी विमर्श को नई दिशा देने का प्रयास
ये छात्रवृत्तियाँ न केवल क्रांतिकारी इतिहास को नया दृष्टिकोण देंगी, बल्कि देश में राष्ट्रीय विमर्श को भी समृद्ध करेंगी।
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इस अवसर पर वीर सावरकर के पौत्र तथा राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने कहा-
“श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा वीर सावरकर को दी गई छात्रवृत्ति के कारण भारतीय क्रांतिसंग्राम को नयी ऊर्जा मिली। यह प्रयास हमारी ओर से एक कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम है। भारत के क्रांतिकारी संग्राम का इतिहास जानबूझ कर दबाया गया और हमें ‘बिना खड्ग बिना ढाल आज़ादी मिली’ ऐसा एक नेरेटिव कांग्रेस द्वारा प्रचलित किया गया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सत्य उजागर करने के लिए नए उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर इतिहास संशोधन की अत्यंत आवश्यकता है और इसीलिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक द्वारा ये तीन इतिहास संशोधन छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जा रही हैं।
आज ‘नेरेटिव वॉर’ के युग में वास्तविक तथ्य लोगों तक पहुँचे, यह हमारा इस छात्रवृत्ति के माध्यम से प्रयास रहेगा।”
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