नई दिल्ली । यूपी पुलिस की तेज़तर्रार टीम ने एक और pan-India conversion syndicate को उजागर किया है। ये वही गिरोह है जो “Love Jihad as a Tool for Mass Religious Conversion” जैसे संगठित एजेंडे पर काम कर रहा था।ISI की तर्ज पर काम कर रहे इस कन्वर्जन रैकेट में पुलिस ने छह राज्यों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया।
अब पुलिस ने द्वारा गिरफ्तार किए गए अब्दुल रहमान उर्फ पप्पू उर्फ महेंद्र को (Conversion Syndicate in India) इस मतांतरण के मामले में महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है। कन्वर्जन से जुड़े लोग उसे “रहमान चाचा” के नाम से जानते थे। रहमान को दिल्ली के मुस्तफाबाद से दबोचा गया। उसके घर से बड़ी संख्या में ब्रेनवॉश करने वाली किताबें बरामद हुई हैं। माना जा रहा है कि रहमान ही पूरे कन्वर्जन रैकेट का मास्टरमाइंड है।
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जानकारी के अनुसार- अब्दुल के पास से हरियाणा के रोहतक की एक हिंदू लड़की को भी बचाया गया है, जिसका मतांतरण कराए जाने की योजना थी।
महेंद्र पाल से अब्दुल रहमान बनने की कहानी
बता दें कि अब्दुल रहमान पहले हिंदू था। उसका नाम महेंद्र पाल हुआ करता था। वर्ष 1990 में उसने पैसों के लिए पहले ईसाई और फिर इस्लाम अपनाकर खुद को मुस्लिम में कन्वर्ट कर लिया।
आगरा कन्वर्जन केस की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि 19 जुलाई 2025 को आगरा पुलिस ने कन्वर्जन रैकेट का खुलासा (UP Police Conversion Racket Action) किया था। इस कार्रवाई में 6 राज्यों से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। ये गिरफ्तारियां आगरा की दो सगी बहनों के अपहरण और मतांतरण मामले में की गई थीं। अब इस रैकेट के मुख्य सरगना अब्दुल रहमान को भी पुलिस की गिरफ्त में है। जिससे भविष्य में कई खुलासे होने की संभावना भी जताई जा रही है।
रामगढ़ से जुड़ी है रहमान की जड़ें
कन्वर्जन गिरोह का मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान (Abdul Rehman Conversion Case) की असल पहचान जानने के लिए पाञ्चजन्य उसके पैतृक स्थान जनपद फिरोज़ाबाद के थाना रजावली के अंतर्गत गांव रामगढ़ पहुंचा। वहाँ जानकारी करने पर जो सच्चाई निकालकर सामने आई, उसने सकते में डाल दिया।रहमान के बारे में ग्रामीणों से पता चला कि अब्दुल रहमान पहले हिंदू था और उसका घरेलू नाम ‘पप्पू’ है, जो लगभग 30 वर्ष पहले गांव से अचानक गायब हो गया था।
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अब्दुल के पड़ोसियों के अनुसार उसके पिता ने ग्रामीणों को बताया कि पप्पू मुंबई में रहता है। ग्रामीणों के अनुसार अब्दुल रहमान उर्फ पप्पू गांव से जाने के बाद सिर्फ एक बार वह अपने गांव आया था और उसका घर और खेत भी बिक चुका है। ग्रामीणों के अनुसार अब्दुल रहमान उर्फ पप्पू उर्फ महेंद्र के यहां गांव से चले जाने के बाद किसी कोई कोई खबर नहीं थी।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
- अब्दुल रहमान उर्फ पप्पू उर्फ महेंद्र सिंह जादौन के पिता का नाम प्रेमपाल जादौन है।
- प्रेमपाल के तीन पुत्र थे।
- बड़े पुत्र ने एक मुस्लिम महिला से विवाह कर लिया था।
- बीच वाले पुत्र की हत्या हो गई।
- और तीसरे नंबर पर था पप्पू उर्फ महेंद्र सिंह।
- आगे जाकर पप्पू ने मतांतरण कर लिया और उसका नया नाम बन गया ‘अब्दुल रहमान’।
पुलिस की छापेमारी पर ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
अब्दुल रहमान उर्फ पप्पू उर्फ महेंद्र सिंह के गांव वालों के अनुसार सोमवार तड़के पुलिस किसी शख्स को मुंह पर कपड़ा बांधकर गांव में लाई थी। इस दौरान जो पुराने लोग हैं उन्हें संदेह है कि वह पप्पू उर्फ महेंद्र सिंह जादौन ही था, क्योंकि पुलिस उसे उसके पिता यानि की उसके पैतृक घर प्रेमपाल सिंह के घर भी ले गई और वहां रह रहे लोगों से जानकारी जुटाई।
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ग्रामीणों ने बताया कि मुंह ढका होने के कारण वे ठीक से पहचान नहीं पाए, लेकिन उसकी चाल-ढाल से उन्हें यह पक्का विश्वास है कि जिसे पुलिस लाई थी वह पप्पू ही था जो अब्दुल रहमान बन गया है।
खतरनाक नेटवर्क के लिए काम करता था अब्दुल रहमान
बता दें कि अब्दुल रहमान जिस नेटवर्क के लिए काम करता था वह कितना गहरा और खतरनाक है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाइए कि इसके तार social media grooming, fake identity creation, indoctrination tactics जैसी आधुनिक साज़िशों से भी जुड़े हैं। ये कोई मामूली गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक well-planned conversion war की परतें हैं जो एक-एक कर देश के सामने आ रही हैं।
विदेशों से मिलती थी फंडिंग
पुलिस जांच में सामने आया है कि कनाडा, अमेरिका, पाकिस्तान और गल्फ देशों से इस नेटवर्क को फंडिंग मिल रही थी। यह नेटवर्क लड़कियों को झूठे प्रेम जाल (Love Jihad) में फंसा कर मतान्तरण करवा रहा था। पुलिस को ISIS और PFI जैसे संगठनों से इस नेटवर्क की समानता के संकेत मिले हैं।
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आतंकी संगठनों से कनेक्शन!
पुलिस को शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि यह नेटवर्क पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) और पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से किसी न किसी रूप में जुड़ा हुआ था। विदेशों से फंडिंग आकर सीधे युवाओं को गुमराह करने, हिंदू लड़कियों को फंसाने और उनका मतान्तरण कराने के लिए इस्तेमाल हो रही थी।
आगे की कार्रवाई में जुटी यूपी पुलिस
यूपी पुलिस अब सभी गिरफ्तार आरोपियों की रिमांड लेकर गहन पूछताछ की तैयारी में है। साथ ही अन्य राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों से संपर्क कर रही है, ताकि इस नेटवर्क (Religious Conversion India) की जड़ें और गहरी पड़ताल की जा सके।
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इस मामले को देखने के बाद स्पष्ट कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस की सतर्कता से एक और बड़ी साजिश समय रहते बेनकाब हो गई है। अब उम्मीद की जा रही है कि इस गिरोह से जुड़े और चेहरों को भी जल्द ही कानून के दायरे में लाया जाएगा।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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