मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक गंभीर साजिश का खुलासा करते हुए ऐसे पांच लोगों को गिरफ्तार किया है जो हिंदू नाम और भगवा वेश धारण कर धार्मिक नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे थे। ये सभी कांवड़ यात्रा जैसे पवित्र आयोजन के दौरान उन्माद फ़ैलाने के इरादे से काम कर रहे थे। पुलिस के अनुसार अगर इन्हें समय रहते गिरफ्तार न किया जाता, तो ये धार्मिक वैमनस्य फैलाकर कानून-व्यवस्था को चुनौती दे सकते थे।
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पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में— मोहम्मद सुहैल, मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद शादाब, मोहम्मद आबिद, और एक अन्य शामिल है। ये सभी कांवड़ियों का हिंदू वेश और नामों का इस्तेमाल कर कांवड़ शिविरों में घुसकर वहाँ हिंदू धर्म और आस्था का मज़ाक बना रहे थे। इनका मकसद था भ्रम फैलाकर नफरत को बढ़ावा देना था। जिसके बाद ये उस नफरत की आड़ में उन्माद फैला सकें, और दंगे भड़क जाएँ।
जमानत पर छूटते ही जुट गए मकसद में
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार सभी आरोपियों पर पहले भी अलग-अलग मामलों में मुजफ्फरनगर के विभिन्न थानों में केस दर्ज हैं। पुलिस 14 जुलाई को इन सभी को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जैसे ही ये जमानत पर बाहर आए तो इन्होने फिर से वही हरकतें शुरू कर दीं।
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अब होगी कड़ी कार्रवाई
बरहाल पुलिस अब इन आरोपियों के खिलाफ हिस्ट्रीशीट खोलने और गैंगस्टर एक्ट में केस दर्ज करने की तैयारी कर रही है। प्रशासन ने साफ और स्पष्ट रूप से कह दिया है कि धार्मिक और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
सीएम योगी ने पहले ही दी थी चेतावनी
हाल ही में दिल्ली दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद में दूधेश्वरनाथ मंदिर में पूजा अर्चना कर कहा था- “जहां कांवड़ यात्रा में उत्साह, श्रद्धा और भक्ति है, वहीं कुछ लोग इसे बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से इस यात्रा को बदनाम करने की कोशिश हो रही है।”
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उन्होंने आगे कहा- “ऐसे उपद्रवियों को समुदाय में घुसने न दें। कानून हाथ में न लें, प्रशासन को जानकारी दें। ऐसे लोगों की पहचान हो चुकी है और यात्रा समाप्ति के बाद उनके पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किए जाएंगे।”
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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