RSS @100 : उपेक्षा से समर्पण तक
August 1, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

संघ ने शुरू में बहुत उपेक्षा झेली थी, लोग बच्चों की शाखा का उपहास उड़ाया करते थे। लेकिन समय के साथ काम बढ़ता गया और आज संघ विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन बन चुका है। समाज जीवन के हर क्षेत्र में स्वयंसेवक अमूल्य योगदान दे रहे हैं

by विजय कुमार
Jul 11, 2025, 12:32 pm IST
in विश्लेषण, संघ
एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

एक विद्वान के अनुसार हर संस्था या संगठन को अपने जीवन में चार प्रमुख सीढ़ियों से गुजरना पड़ता है। ये हैं-उपेक्षा, विरोध, समर्थन और समर्पण। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सौ वर्षीय यात्रा भी इसका अपवाद नहीं है। संघ की स्थापना विजयादशमी (27 सितम्बर, 1925) को नागपुर में हुई। इसके संस्थापक थे डाॅ. केशव बलिराम हेडगेवार। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई के दौरान कोलकाता में क्रांतिकारी संस्था ‘अनुशीलन समिति’ के साथ काम किया। पढ़ाई पूरी कर वे नागपुर आ गए और कांग्रेस में शामिल हो गए; पर दोनों जगह उन्हें पूर्ण संतुष्टि नहीं मिली। अंततः उन्होंने संघ की स्थापना की।

विजय कुमार
वरिष्ठ प्रचारक, रा.स्व.संघ

संघ की सबसे बड़ी विशेषता थी उसकी कार्यपद्धति थी। बाकी संस्थाएं धरने, प्रदर्शन, वार्षिकोत्सव, आंदोलन आदि के माध्यम से काम करती थीं; पर संघ का आधार एक घंटे की शाखा थी। शुरू में डाॅ. हेडगेवार ने कुछ विशिष्टजनों से संपर्क कर उन्हें जोड़ने का प्रयास किया; पर उनसे उचित सहयोग नहीं मिला। अतः वे बच्चों को साथ लेकर शाखा लगाने लगे। इसी में से फिर संघ का विकास हुआ। लेकिन यहीं से संघ की उपेक्षा का दौर भी शुरू हुआ। लोग डाॅ. हेडगेवार का मजाक बनाने लगे। कुछ कहते कि ‘जिन बच्चों को अपनी नाक तक पोंछनी नहीं आती, उनके बल पर डाॅ. हेडगेवार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे! उन्हें साथ लेकर वे देश को स्वाधीनता दिलाएंगे!’

डाॅ. हेडगेवार का जन्म चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (1 अप्रैल, 1889) को हुआ था। शाखा लगती देख कई लोग कहते थे कि ‘देखो, 40 वर्षीय डाॅ. हेडगेवार बच्चों के साथ खेल रहे हैं, क्या हो गया है इनके दिमाग को!’ जब संघ की शाखाएं बढ़ने लगीं, अच्छी संख्या होने लगी तो पहली बार पथ संचलन का आयोजन हुआ। उसमें लगभग 50 स्वयंसेवक शामिल हुए थे। नागपुर वालों ने हजारों की संख्या वाले जुलूस देखे थे। उनमें लोग झंडे, बैनर आदि लेकर नारे लगाते चलते थे; पर इस संचलन में ऐसा कुछ नहीं था। अतः इसे उपेक्षा से देखा गया; पर डाॅ. हेडगेवार शांत भाव से अपने काम में लगे रहे।

इन खबरों पर भी नजर डालें :-

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

यत्र-तत्र-सर्वत्र राम राम

केवल भारत के हृदय में ही नहीं , बल्कि दुनियाभर के हृदय में बसते हैं। इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्ण ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि ह्यभले ही इस्लाम हमारा मजहब है, पर राम और रामायण हमारी…

जुड़ने लगे लोग

लेकिन यह उपेक्षा का दौर अधिक नहीं चला। चूंकि संघ कार्य की जड़ें मजबूत हो रही थीं। पहले केवल नागपुर में और फिर निकटवर्ती विदर्भ क्षेत्र में शाखाएं चलने लगीं। समाज के प्रभावशाली लोग संघ से जुड़ने लगे। कई जगह कांग्रेस के बड़े नेता भी संघ में आने लगेे। अतः उनके शीर्ष नेताओं के कान खड़े होने लगे। संघ में खुलकर हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू संगठन की बात कही जाती थी; पर कांग्रेस वाले पंथनिरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण के समर्थक थे। इससे वहां संघ का विरोध होने लगा। अतः कई नेताओं ने संघ को छोड़ा, तो कई ने कांग्रेस को ही अलविदा कह दिया। दूसरी ओर संघ की गतिविधियां देखकर शासन-प्रशासन भी चैकन्ना होने लगा था।

स्वयंसेवक अपनी प्रतिज्ञा में देश की स्वाधीनता की बात कहते थे। अतः अंग्रेजों को लगा कि ऊपरी ढांचा भले ही खेलकूद का हो; पर डाॅ. हेडगेवार किसी गुप्त योजना पर काम कर रहे हैं। उनकी पृष्ठभूमि क्रांतिकारियों के साथ काम की थी ही। कई पुराने साथी भी उनसे मिलने आते रहते थे। अतः उनके पीछे गुप्तचर लगा दिये गये। यद्यपि डाॅ. हेडगेवार की सावधानी के कारण उनके हाथ कभी कुछ नहीं लगा।

समय बदला, सोच बदली

15 दिसम्बर, 1932 को मध्य प्रांत शासन ने शाखा में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया; पर कई बड़े नेताओं और समाजसेवियों द्वारा संघ की प्रशंसा तथा विधानसभा में हुई रोचक बहस से यह मजाक का विषय बन गया। 5 अगस्त, 1940 को केन्द्र शासन ने भारत सुरक्षा कानून के अन्तर्गत संघ की सैन्य वेशभूषा तथा प्रशिक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया। उन दिनों संघ का काम मुख्यतः मध्य भारत में ही था; पर वहां की सरकार ने प्रतिबंध लागू करने से मना कर दिया।

1940 में डाॅ. हेडगेवार के देहांत के बाद श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरुजी सरसंघचालक बने। देश के विभाजन के समय पंजाब और सिंध में हिन्दुओं की रक्षा में संघ की जो भूमिका रही, उससे लोग संघ और गुरुजी को पूजने लगे। उन दिनों संघ के कार्यक्रमों में लाखों लोग आने लगे थे। इससे नेहरू जी की नींद उड़ गई। उन्हें लगा कि संघ वाले मेरी कुर्सी छीन लेंगे। अतः 1948 में गांधी जी की हत्या का झूठा आरोप लगाकर संघ पर प्रतिबंध लगाया गया। संघ ने नेहरू जी को समझाने का प्रयास किया; पर इससे काम नहीं चला। अतः संघ ने सत्याग्रह किया और सरकार को झुका दिया। विरोध का यह क्रम इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में भी जारी रहा। 1975 में अपनी सत्ता बचाने और अपने पुत्र संजय गांधी को राजनीति में स्थापित करने के लिए उन्होंने देश में आपातकाल लगाया। इसकी चपेट में संघ भी आ गया। एक बार फिर वार्ता और सत्याग्रह का मार्ग अपनाया गया। अंततः शासन को झुकना पड़ा।

बढ़ता गया सम्मान

1992 में बाबरी ढांचे के ध्वंस के बाद एक बार फिर संघ पर प्रतिबंध लगा; पर इसे न्यायालय ने ही हटा दिया। इन प्रतिबंधों से संघ की प्रतिष्ठा बढ़ी और काम का विस्तार हुआ। यद्यपि आज भी अनेक राजनेता संघ को बुरा-भला कहते हैं; पर इससे संघ को कोई फर्क नहीं पड़ता। स्वयंसेवकों ने घोर उपेक्षा और हिंसक विरोध की प्रक्रिया में से निकलते हुए समाज के सभी क्षेत्रों में सैकड़ों संगठन और संस्थाएं बनाईं। अतः इनके माध्यम से करोड़ों पुरुष, स्त्री, बच्चे, वृद्ध, मजदूर, किसान, वकील, अध्यापक, डाॅक्टर, वनवासी, व्यापारी, विद्यार्थी आदि संघ से जुड़े। संघ विचार की प्रायः सभी संस्थाएं आज अपने क्षेत्र में शीर्ष पर हैं। अतः अब संघ के विरोध की बजाय समर्थन की लहर चल पड़ी है।

इसका प्रभाव राजनीतिक क्षेत्र में भी पड़ा है। वहां संघ के संस्कारों में पगे कार्यकर्ताओं द्वारा बनाई गई भारतीय जनता पार्टी है। किसी समय इस पार्टी को एक विशेष वर्ग और क्षेत्र की पार्टी माना जाता था; पर अब उसे पूरे देश में वोट मिलते हैं। केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों, जहां वह कभी सत्ता में नहीं रही, में भी उसके वोट लगातार बढ़ रहे हैं। कांग्रेस और वामपंथियों के अलावा, शायद ही कोई राजनीतिक दल हो, जिसने भाजपा के साथ केन्द्र या राज्य की सत्ता में सहभाग न किया हो। भाजपा को सदा कोसने वाले नेता भी आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने को आतुर रहते हैं। अर्थात संघ विरोधी अब समर्पण की मुद्रा में हैं। संघ की सौ वर्षीय यात्रा की यह एक बड़ी उपलब्धि है।

इस खबर को भी पढ़ें :-

Topics: ‘मुस्लिम तुष्टीकरणSenior PracharakRSSपाञ्चजन्य विशेषसांस्कृतिक संगठनश्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकरसंघ की सौ वर्षीय यात्रासंघ विरोधीस्वयंसेवकसंघ की स्थापना विजयादशमीहिन्दू राष्ट्रडाॅ. केशव बलिराम हेडगेवाररा.स्व.संघश्री गुरुजी सरसंघचालकपंथनिरपेक्षताविजय कुमार वरिष्ठ प्रचारकहिन्दू संगठनVijay Kumar
Share8TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

भाषायी विवाद खड़े करनेवालों के लिए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का सन्‍देश

संस्कृत: भाषा विवाद का समाधान, भारत की ‘आत्मा’ की पहचान

कांग्रेस के कुचक्र की खुली पोल, भगवा और हिंदू से इतनी घृणा क्यों?

मालेगांव विस्फोट स्थल का दृश्य (फाइल चित्र)

आतंकवाद के राजनीतिकरण और वैश्विक हिंदुत्व-विरोधी तंत्र की हार

RSS प्रमुख मोहन भागवत जी

मालेगांव ब्लास्ट में बड़ा खुलासा: RSS प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने का था आदेश

भारतीय मजदूर संघ के 70 वर्ष : ‘विचार पर अडिग रहकर श्रमिक, उद्योग, देश और विश्व के हित की चिंता आवश्यक’

चुनरी ओढ़ाकर, फूल माला चढ़ाकर लूणी नदी की पूजा करते स्थानीय लोग

लूणी नदी : मरु में बहती खुशी की ‘गंगा’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

आयरलैंड में भारतीयों पर हो रहे नस्लवादी हमले

आयरलैंड में भारतीयों पर नस्लवादी हमले बढ़े, भारतीय दूतावास ने जारी की एडवाइजरी, सुनसान जगहों पर न जाने की चेतावनी

भाषायी विवाद खड़े करनेवालों के लिए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का सन्‍देश

संस्कृत: भाषा विवाद का समाधान, भारत की ‘आत्मा’ की पहचान

मालेगांव बम विस्फोट का दृश्य (फाइल चित्र)

मालेगांव बम विस्फोट : फर्श पर झूठा विमर्श

राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने दिया जवाब

राहुल गांधी की धमकी पर चुनाव आयोग का पंच, 5 प्वाइंट्स में करारा जवाब

मालेगांव धमाके का निर्णय आते ही कथित सेक्युलरों के बदले सुर, न्याय की बदली परिभाषा

फोटो क्रेडिट- ANI

पुणे में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा से छेड़छाड़, आपत्तिजनक पोस्ट पर हिंसक झड़प

संवैधानिक संस्थाओं को धमकाकर क्यों ‘लोकतंत्र’ कमजोर कर रहे हैं राहुल गांधी?

प्रतीकात्मक तस्वीर

CM पुष्कर सिंह धामी ने दी चेतावनी: अवैध निर्माण और कब्जे पर कड़ी नजर

Vice President Election

Vice President Election: 9 सितंबर को होगा मतदान, 782 सांसद डालेंगे वोट

Bihar News

मीनापुर में महावीरी जुलूस पर हमला, कई घायल, 5 गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies