बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के लिए ऐसा लग रहा है जैसे नई परेशानी पैदा हो रही हैं। अभी तक बीएनपी ही उनका सबसे अधिक विरोध चुनावों की तारीखों को लेकर कर रही थी, मगर अब उनकी सहयोगी पार्टियों को उनसे कुछ समस्याएं हैं।
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पिछले दिनों लंदन के दौरे पर थे और उन्होंने वहीं पर बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान से भी मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने बांग्लादेश में आने वाले चुनावों के समय पर बात की। न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार इस मुलाकात के बाद दोनों ही नेताओं की तरफ से एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया गया और जिसमें रहमान ने प्रस्तावित किया कि देश में अगले आम चुनाव वर्ष 2026 के रमजान से पहले हो जाने चाहिए।
पहले कहा था अप्रैल में कराएंगे चुनाव
यूनुस ने पहले कहा था कि अगले वर्ष अप्रैल में वे चुनाव करवाएंगे। और उन्होंने यह भी कहा था आवश्यक सुधार और संस्थागत तैयारियां भी समय पर पूरी होते ही वे चुनाव करवा देंगे। इस मुलाकात के बाद मीडिया के अनुसार उन्होंने चुनावों के लिए फरवरी 2026 की टाइमलाइन दे दी है।
मगर इस बैठक को लेकर बांग्लादेश में दो और अन्य मुख्य पार्टियों के चेहरे पर बल पड़ गए हैं। जमात और नेशनल सिटिज़न पार्टी अर्थात एनसीपी दोनों का ही कहना है कि मोहम्मद यूनुस और तारिक रहमान के बीच मुलाकात ठीक नहीं है और यह मुहम्मद यूनुस द्वारा किया गया भेदभाव दिखती है।
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आवामी लीग के बाद सबसे बड़ी पार्टी है बीएनपी
यह सभी को पता है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के बाद यदि कोई सबसे बड़ी पार्टी है तो वह है बीएनपी। और बीएनपी लगातार चुनावों की बात कर रही है। वह जोर दे रही थी कि इस साल के अंत तक चुनाव हो जाने चाहिए, मगर अब चूंकि अप्रैल का समय मोहम्मद यूनुस द्वारा तय कर दिया गया है तो इसे लेकर जमात और एनसीपी का कहना था कि पहले पर्याप्त सुधार हो जाने चाहिए।
जमात और एनसीपी लगातार ही यह बात कह रही हैं कि पहले पर्याप्त सुधार होने चाहिए। और अब इस मुलाकात को लेकर ये दोनों ही पार्टियां अब मोहम्मद यूनुस पर निशाना साध रही हैं। डेलीस्टार के अनुसार जमात ने कहा कि किसी एक राजनीतिक दल के साथ मुलाकात के बाद विदेश में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करना और बैठक के बारे में संयुक्त बयान जारी करना “नैतिक रूप से अनुचित” है और “देश की राजनीतिक संस्कृति से विचलन” को दर्शाता है।
मुहम्मद यूनुस पर क्या हैं आरोप
इस्लामिस्ट पार्टी ने अपने वक्तव्य में कहा, “इसके माध्यम से, मुख्य सलाहकार ने एक विशेष पार्टी के प्रति झुकाव व्यक्त किया है, जिसने उनकी तटस्थता को कमजोर किया है।” जमात का कहना है कि मुख्य सलाहकार ने जिस प्रकार से एक पार्टी के साथ बात की है उसने जनता के मन में यह शक पैदा कर दिया है कि क्या आने वाले चुनाव वास्तव में निष्पक्ष हो पाएंगे। उसने यह भी कहा कि एक ऐसे मुल्क में जहाँ पर राजनीतिक पार्टियां सक्रिय रूप से संलग्न हैं, तो ऐसे में एक ही पार्टी के साथ फैसला कैसे लिया जा सकता है।
वहीं कथित छात्र आंदोलन के बाद छात्रों द्वारा बनाई गई पार्टी नेशनल सिटिज़न पार्टी का भी कहना है कि वह इससे असहज महसूस कर रही है। उसने एक वक्तव्य में लिखा कि ऐसा लग रहा है कि जैसे सरकार एक पार्टी के प्रति भेदभाव कर रही है। डेली स्टार से संयुक्त कनवीनर अरिफुल इस्लाम अदीब ने कहा, “हमारी पार्टी दिसंबर से जून के बीच किसी भी तारीख़ को लेकर सहमत है। लेकिन उससे पहले मूलभूत सुधारों और उन्हें कैसे लागू किया जाएगा, इस पर आम सहमति बननी चाहिए। निष्पक्ष चुनाव के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा चुनाव आयोग का पुनर्गठन एक और पूर्व शर्त है।“
एक और इस्लामिस्ट पार्टी बांग्लादेश खिलाफत मजलिश ने भी इस वक्तव्य पर निराशा व्यक्त की है। इस्लामिस्ट पार्टी का कहना है कि किसी विशेष राजनीतिक दल के नेता के साथ संयुक्त बयान जारी करना मोहम्मद यूनुस की तटस्थता और स्वीकार्यता पर सवाल उठाता है और अन्य राजनीतिक दलों के खिलाफ राज्य स्तर पर भेदभाव का संदेश देता है।
हालांकि, कुछ छोटी पार्टियों और आम लोगों ने इस कदम का, इस घोषणा का स्वागत भी किया है।
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के अपने विचार हैं। आवश्यक नहीं कि पॉञ्चजन्य इससे सहमत हो।)
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