बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की मुश्किलें हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली कट्टरपंथी इस्लामी सरकार शेख हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग से जुड़े हर नेता को जेल में सड़ाने पर तुली हुई है। इसी क्रम में अब उन पर पिछले साल हुए कथित छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार का आरोप लगाया गया है। आरोप ये भी है कि भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान जानबूझकर शेख हसीना ने दमन अभियान चलाया था, जिसमें कई छात्रों की मौत हो गई थी।
लाइव हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, हसीना को लेकर बांग्लादेश में केस तो पहले से ही दर्ज है और उस पर आज (रविवार) सुनवाई हुई, जिस दौरान अभियोजन पक्ष के वकील ताजुल इस्लाम ने कथित वीडियो सबूतों के हवाले से ये दावा किया कि ये हसीना ही थीं, जिन्होंने पुलिस, आवामी लीग के नेताओं और अपने सहयोगी संगठनों को छात्रों के आदोलन को कुचलने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान इस्लाम ने आरोप लगाया छात्र आंदोलन के दौरान चिटगांव, ढाका समेत कई अन्य शहरों में पूर्व पीएम के इशारे पर सुरक्षाबलों ने अंधाधुन गोलियां बरसाई थीं।
बल का प्रयोग करते हुए देश के कई शहरों से जबरन प्रदर्शनकारी छात्रों को हटाया गया था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट की मानें तो 15 जुलाई से 15 अगस्त यानि कि एक माह के दौरान हुए कथित भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान वहां करीब 1400 लोगों की मौत हुई थी। इसमें दंगाई छात्रों के साथ ही पुलिसकर्मी भी शामिल थे। लेकिन समझने वाली बात ये है कि इसी छात्र आंदोलन के दौरान कट्टरपंथियों ने निर्दोष हिन्दुओं पर हमले किए थे।
क्या शेख हसीना को हो सकती है फांसी
शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण में सुनवाई चल रही है। इसे 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों और अधिकारियों को सजा देने के लिए गठित किया गया था। इस न्यायाधिकरण ने पहले भी जमात ए इस्लामी और बीएनपी के कई नेताओं को फांसी की सजा दी थी। ऐसे में शेख हसीना को भी फांसी की सजा सुनाए जाने का अनुमान है।
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