बांग्लादेश में पिछले दिनों यह चर्चा हुई कि अंतरिम सरकार के कर्ताधर्ता मोहम्मद यूनुस इस्तीफा दे सकते हैं, ऐसे समाचार आए कि सेना के साथ उनके मतभेद हैं। मगर अब यह स्पष्ट होता दिखाई दे रहा है कि मोहम्मद यूनुस सत्ता से बाहर नहीं जा रहे हैं, अपितु उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि जब तक वे चुनाव, सुधार और न्याय जैसी आवश्यक जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर लेंगे, तब तक वे सत्ता नहीं छोड़ेंगे।
24 मई को Chief Adviser of the Government of Bangladesh के हैंडल से एक्स पर एक पोस्ट की गई। इस पोस्ट से पता चलता है कि मोहम्मद यूनुस की मंशा क्या है? यह भी ध्यान में रखा जाए कि इन दिनों बीएनपी जैसे कई दल यह आवाज उठा रहे हैं कि चुनाव जल्दी कराए जाएं। आम जनता भी यह मांग कर रही है कि अब चुनाव कराए जाने चाहिए। मगर मोहम्मद यूनुस और कई कट्टरपंथी दल इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चुनाव बाद में कराए जाएं।
यह एडवायजरी काउंसिल का बयान है। इसमें लिखा था है कि राष्ट्रीय आर्थिक परिषद की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद आज, शनिवार को सलाहकार परिषद की एक अनिर्धारित बैठक आयोजित की गई। दो घंटे तक चली इस बैठक में अंतरिम सरकार को सौंपी गई तीन प्राथमिक जिम्मेदारियों – चुनाव, सुधार और न्याय – पर विस्तृत चर्चा हुई।
Statement from the Advisory Council
Dhaka, 24 May 2025: An unscheduled meeting of the Advisory Council was held today, Saturday, following the meeting of the Executive Committee of National Economic Council. The two-hour long meeting included detailed discussions on three… pic.twitter.com/7hnKZiXV1t
— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) May 24, 2025
इस बैठक की अध्यक्षता मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने की थी। इस बैठक में यह चर्चा हुई कि कैसे अतार्किक मांगों और भड़काऊ बयानों से जनता के बीच भ्रम का माहौल बनाया जा रहा है। इसमें लिखा है कि “परिषद ने इस बात पर चर्चा की कि किस प्रकार अनुचित मांगें, जानबूझकर भड़काऊ और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बयानबाजी, तथा विघटनकारी कार्यक्रम सामान्य कामकाज के माहौल में लगातार बाधा डाल रहे हैं तथा जनता के बीच भ्रम और संदेह पैदा कर रहे हैं।“
काउंसिल की बैठक में यह चर्चा कि गई कि राष्ट्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए, एक मुक्त और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए, न्याय और सुधार के लिए और इस देश से हमेशा के लिए तानाशाही को आने से रोकने के लिए वृहद एकता आवश्यक है।
और तमाम बाधाओं के बाद भी अंतरिम सरकार व्यक्तिगत लाभों को किनारे करती हुई अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करती जा रही है। हालांकि यदि इन परिस्थितियों में या किसी विदेशी षड्यन्त्र के भाग के रूप में यदि इन जिम्मेदारियों का पालन यह अंतरिम सरकार नहीं कर पाती है तो वह जनता के सामने सारे कारण बताएगी और फिर जनता के साथ ही आवश्यक कदम उठाएगी।
काउंसिल ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि “अंतरिम सरकार जुलाई विद्रोह की जनता की उम्मीदों पर खरी उतरती है। लेकिन अगर सरकार की स्वायत्तता, सुधार के प्रयास, न्याय प्रक्रिया, निष्पक्ष चुनाव योजना और सामान्य कामकाज में इस हद तक बाधा डाली जाती है कि उसके कर्तव्यों का पालन करना असंभव हो जाता है, तो वह लोगों के साथ मिलकर आवश्यक कदम उठाएगी।“
यह एक प्रकार से सॉफ्ट शब्दों में चेतावनी या धमकी है या फिर यह चुनाव के लिए उठ रही आवाजों को विदेशी षड्यन्त्र कहकर उन्हें ही खलनायक बनाने का प्रयास है। इस पोस्ट के बंगाली संस्करण पर एक पत्रकार ने उत्तर देते हुए लिखा है कि उन्होंने पहले ही यह कह दिया था कि डॉ यूनुस इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने लिखा कि मैं एड्वाइजरी काउंसिल के शब्दों का अर्थ बताता हूँ।
I said days ago that Dr. Yunus wasn’t resigning. The whole thing was just an Act. Now it’s confirmed: it was all an act.
Let me translate his Advisory Council statement:
“Unreasonable demands” = Election
“Deliberately provocative statements” = Criticism of the Humanitarian…
— Babar Honey (@BabarHoneyX) May 24, 2025
“अनुचित मांगें” = चुनाव
“जानबूझकर भड़काऊ बयान” = मानवीय गलियारे की आलोचना
“अधिकार क्षेत्र से बाहर बयान” = चुनाव
“विघटनकारी कार्यक्रम” = आसिफ महमूद और खलीलुर रहमान के इस्तीफे की मांग
उन्होनें पोस्ट में लिखा कि “मैंने यह भी कहा कि यूनुस अपने आलोचकों को “विदेशी एजेंट” या “भारतीय दलाल” कहना शुरू कर देंगे।
उन्होंने राजनीतिक ताकतों पर “विदेशी साजिशों” के तहत काम करने का आरोप लगाकर ठीक यही किया।“
हालांकि सोशल मीडिया पर लोग अभी यूनुस के समर्थन में हैं। इसका कारण यही लगता है कि उन्हें ऐसा लगता होगा कि यदि मोहम्मद यूनुस के खिलाफ कुछ कहा तो उन्हें भी भारतीय दलाल कहना आरंभ कर दिया जाएगा। बीएनपी ही सबसे ज्यादा आवाज चुनावों के लिए उठा रही है। किसी किसी यूजर ने यह भी लिखा कि बीएनपी सुधारों की दुश्मन है।
सोशल मीडिया पर लोग मोहम्मद यूनुस से कह रहे हैं कि हमारे देश से भारत के प्रभुत्व को समाप्त करें। मोहम्मद यूनुस को समर्थन इसलिए नहीं है कि मोहम्मद यूनुस को नोबल प्राइज़ मिला है या फिर उन्होंने कुछ आर्थिक सुधार जैसा कुछ किया है। उन्हें समर्थन इसलिए मिल रहा है क्योंकि शेख हसीना का विरोध कर रहे या फिर बांग्लादेश की भारत द्वारा निर्मित पहचान को हासिल करने वाले शेख मुजीबुर्रहमान का विरोध करने वाले लोगों को यह लगता है कि मोहम्मद यूनुस उन्हें भारत की कथित प्रभुता से मुक्ति दिलाएंगे।
यह विडंबना ही है कि भारत के ही एक अंग को काटकर बने बांग्लादेश मे भारत के प्रति ही इस सीमा तक घृणा है कि वे देश को हर मोर्चे पर नीचे जाते देख सकते हैं, मगर भारत की पहचान नहीं चाहिए।
कुछ लोग मोहम्मद यूनुस पर असफल होने का आरोप लगा रहे हैं, मगर यह वे लोग हैं, जो विदेशों मे रह रहे हैं।
(डिस्क्लेमर: ये लेख लेखक के अपने स्वतंत्र विचार हैं। जरूरी नहीं कि पॉञ्चजन्य इससे सहमत हो)
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