‘भारत कोई धर्मशाला नहीं’ सुप्रीम कोर्ट का फैसला और केंद्र की गाइड लाइन
May 20, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

‘भारत कोई धर्मशाला नहीं’ सुप्रीम कोर्ट का फैसला और केंद्र की गाइड लाइन

सुप्रीम कोर्ट ने अवैध प्रवासियों और शरणार्थियों पर सख्त टिप्पणी की औऱ कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है। हम पहले ही 140 करोड़ जनसंख्या के साथ संघर्ष कर रहे हैं। साथ ही कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमित संसाधनों को प्राथमिकता देते हुए कोर्ट ने अवैध घुसपैठियों के निर्वासन पर जोर दिया।

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
May 20, 2025, 09:10 am IST
in भारत, विश्लेषण
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्‍याओं के बाद एक बार फिर भारत में रह रहे घुसपैठियों पर अहम टिप्पणी की है। मानवाधिकार के नाम पर जो अधिवक्‍ता एवं अन्‍य भारत में हो रही घुसपैठ को सही ठहराने एवं जो यहां आ गए हैं, उन्‍हें बसाए रखने की वकालत करते हैं, वास्‍तव में यह निर्णय उन सभी के लिए कोर्ट द्वारा दिखाया गया एक आईना है। न्‍यायालय बार-बार यह कहना चाहता है कि पहले अपने देश के लोगों की चिंता करो, जब अपने ही लोगों की जनसंख्‍या आवश्‍यकता से अधिक हो, तब दूसरों का अतिरिक्‍त भार देश नहीं सह सकता।

ताजा प्रकरण श्रीलंकाई नागरिक से जुड़ा है, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कहा, “क्या भारत को दुनिया भर से शरणार्थियों की मेजबानी करनी है? हम 140 करोड़ लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। यह (भारत) कोई धर्मशाला नहीं है कि हम हर जगह से विदेशी नागरिकों का स्वागत कर सकें।” हम हर कोने से आए शरणार्थियों को शरण नहीं दे सकते। यहां इस प्रकरण में श्रीलंकाई याचिकाकर्ता के वकीलों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को दी गई जानकारी के अनुसार, वह वीजा पर भारत आया था। उसे उसके देश में जान का खतरा है। न्यायमूर्ति दत्ता ने पूछा, “आपको यहां बसने का क्या अधिकार है?” वकील ने जवाब दिया, “याचिकाकर्ता एक शरणार्थी है।” न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, “अनुच्छेद 19 के अनुसार, केवल भारत के नागरिकों को ही भारत में बसने का मौलिक अधिकार है। अगर उनकी जान को खतरा है, तो उन्हें दूसरे देश चले जाना चाहिए,” भारत ही क्‍यों?

देखा जाए तो अदालत का यह निर्णय भी अभी कुछ दिन पहले रोहिंग्‍याओं को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर आए सुप्रीम कोर्ट की टिप्‍पणियों एवं दिए गए पूर्व निर्णय की तरह ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि रोहिंग्‍या म्‍यांमार और बांग्‍लादेश से घुसपैठ कर भारत में प्रवेश कर गए, यह मामला श्रीलंका के नागरिक से जुड़ा है। वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रोहिंग्याओं का भारत में अवैध रूप से रहना देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। इसलिए अवैध तरीके से भारत में रहने वालों के खिलाफ कानून के अंतर्गत कार्रवाइयां की जाती रहेंगी। केंद्र सरकार ने तत्‍कालीन समय में कोर्ट को यह भी बताया था कि किस हद तक भारत पहले ही बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठ का सामना कर रहा है, जिसके चलते कुछ सीमावर्ती राज्यों (असम और पश्चिम बंगाल) की जनसांख्यिकी प्रोफाइल बदल गई है। तब सरकार से जवाब से कोर्ट संतुष्‍ट नजर आई थी। पूर्व चीफ जस्‍ट‍िस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी सुनवाई के दौरान कहा था, भारत ने पहले ही कई शरणार्थियों को शरण दी है, लेकिन अब यह संभव नहीं। शरणार्थियों की मौजूदगी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है, और भारत के सीमित संसाधनों को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा उठाया जा रहा यह कदम जरूरी है। इसी प्रकार की टिप्‍पणियां इसी माह के दूसरे सप्‍ताह में रोहिंग्‍याओं को लेकर कोर्ट की सामने आई थी।

सरकार और सुप्रीम कोर्ट का रुख देश की सुरक्षा के पक्ष में है। दूसरी ओर ये कुछ मानवाधिकार संगठन और कुछ विपक्षी दलों के नेता हैं, जिन्‍हें देश की सुरक्षा से अधिक रोहिंग्या एवं ऐसे ही अन्‍य “निर्दोष शरणार्थी” नजर आते हैं। आश्‍चर्य होता है कि सुप्रीम कोर्ट के दो टूक कहने के बाद भी मानवाधिकार का हवाला देने वाले बार-बार उसके पास पहुंच रहे हैं! न्‍यायालय अपनी ही बात दोहरा रहा है कि ‘शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा जारी पहचान पत्र उनके लिए कोई मददगार नहीं हो सकते हैं।’ वास्‍तव में “यदि वे विदेशी अधिनियम के अनुसार विदेशी हैं, तो उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए।” इन्‍हें तत्‍काल निर्वासित किया जाए।

दूसरी ओर इन घुसपैठियों को भारत को बाहर करने के सुप्रीम निर्णय को आज केंद्रीय गृह मंत्रालय की सभी राज्‍यों के लिए निर्देश ने एक नई दिशा भी दे दी है। : केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्‍यों से कहा गया है कि अवैध अप्रवासियों का वेरिफिकेशन करने के लिए एक महीने की डेडलाइन है। गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अवैध घुसपैठियों का पता लगाने, उनकी पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने के लिए अपनी वैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करने को कहा है। इसके लिए आवश्‍यकतानुसार ऐसे व्यक्तियों को रखने के लिए पर्याप्त जिला-स्तरीय डिटेंशन सेंटर स्थापित करने के लिए भी कहा गया है।गृह मंत्रालय ने बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध घुसपैठियों होने का संदेह रखने वाले उन लोगों के प्रमाण-पत्रों को सत्यापित करने के लिए 30 दिन की समय-सीमा तय की है जो भारतीय नागरिक होने का दावा करते हैं। स्‍वाभाविक तौर पर अब ऐसे में यही माना जा रहा है कि 30 दिन की अवधि के बाद यदि किसी के दस्तावेजों का सत्यापन नहीं किया जाता है तो उन्हें निर्वासित किया ही जाएगा।

इसके साथ ही, अप्रवास ब्यूरो को सार्वजनिक पोर्टल पर निर्वासित लोगों की सूची प्रकाशित करने के लिए कहा गया है। यह डेटा यूआईडीएआई, चुनाव आयोग और विदेश मंत्रालय के साथ भी साझा किया जाएगा। ताकि भविष्य में ऐसे व्यक्तियों को आधार आईडी, वोटर कार्ड या पासपोर्ट जारी करने से रोका जा सके। वैसे भी इस वर्ष फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस संबंध में चेतावनी देते नजर आए थे, उस वक्‍त उन्‍होंने साफ कह दिया था कि अवैध घुसपैठियों का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और इससे सख्ती से निपटा जाएगा। उनकी पहचान कर उन्हें निर्वासित किया जाना जाएगा। तब से, राजस्थान और गुजरात राज्यों ने बांग्लादेश से अवैध अप्रवासी होने के संदेह में लोगों की पहचान करने और उन्हें हिरासत में लेने का क्रम जारी है। अब तक कई राज्‍यों से ये घुसपैठिए रोज पकड़े जा रहे हैं और उन्‍हें देश से बाहर का रास्‍ता दिखाया जा रहा है।

स्‍वभाविक है कि इन परिस्‍थ‍ितियों में भी जो लोग आज इन घुसपैठियों का साथ देने न्‍यायालय में खड़े हो रहे हैं, उन्‍हें एक बार अवश्‍य सोचना चाहिए कि क्‍या वह ऐसा करके अपने देश के साथ मानवाधिकार के नाम पर अन्‍याय तो नहीं कर रहे! क्‍योंकि देश हित से बढ़कर कुछ भी नहीं हो सकता है।

Topics: गृह मंत्रालयराष्ट्रीय सुरक्षाhome ministryrefugeesSupreme Courtशरणार्थीDemographic ChangeNational securityमानवाधिकारअवैध घुसपैठियेhuman rightsअवैध प्रवासीरोहिंग्याभारत में अवैध घुसपैठRohingyaillegal migrantsसुप्रीम कोर्टजनसांख्यिकी परिवर्तन
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

रूस के राष्ट्रपति पुतिन एमनेस्टी इंटरनेशनल के क्रियाकलापों पर कड़ी नजर रखे हुए थे

रूस ने लगाई ‘एमनेस्टी’ पर रोक, देश विरोधी प्रोजेक्ट्स चलाने के आरोप में ताला जड़ा अंतरराष्ट्रीय ‘मानवाधिकार’ संगठन पर

Voice president jagdeep dhankarh

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर कैश बरामदगी मामले में एफआईआर न होने पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: हाई कोर्ट के सभी जजों को पूर्ण पेंशन का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट

रोहिंग्याओं को समुद्र में फेंकने के दावे पर SC ने लगाई फटकार, कहा – देश मुश्किल हालात में और आप रोज नई कहानियां ला रहे

Waqf Board

वक्फ संशोधन कानून पर फैलाया जा रहा गलत नैरेटिव : केंद्र सरकार 

प्रतीकात्मक तस्वीर

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 की सुनवाई 20 मई तक टाली, कहा-सभी वकील तैयार होकर आएं

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Odisha government drive against Illegal Bangladeshi immigrants

ओडिशा : राज्य सरकार ने शुरु किया अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सदानंद सप्रे

सिरमौर में संगोष्ठी

रूस के राष्ट्रपति पुतिन एमनेस्टी इंटरनेशनल के क्रियाकलापों पर कड़ी नजर रखे हुए थे

रूस ने लगाई ‘एमनेस्टी’ पर रोक, देश विरोधी प्रोजेक्ट्स चलाने के आरोप में ताला जड़ा अंतरराष्ट्रीय ‘मानवाधिकार’ संगठन पर

Operation sindoor

शस्त्र और शास्त्र, दोनों धरातलों पर ध्वस्त पाकिस्तान

Army Organized mega medical camp

भारतीय सेना का मानवीय कदम: ऑपरेशन सिंदूर के बाद बारामुल्ला और राजौरी में निःशुल्क चिकित्सा शिविर

Nitasha Kaul OCI Card Canceled

कौन हैं निताशा कौल और क्यों हुआ उनका ओसीआई कार्ड निरस्त?

Indian Airforce on mission mode

‘विश्व की पुकार है ये भागवत का सार कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है’, भारतीय वायुसेना ने शेयर किया दमदार वीडियो, देखें

पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की कार्यशाला

India Pakistan Border retreat ceremony started

भारत-पाकिस्तान के बीच सामान्य हो रहे हालात, आज से फिर शुरू होगी रिट्रीट सेरेमनी

Singapor Doctor punished for commenting on Islam

सिंगापुर: 85 वर्षीय डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर इस्लाम को लेकर की पोस्ट, अदालत ने ठोंका S$10,000 का जुर्माना

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies