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Yunus को कट्टर जमातियों की खुली धमकी-‘महिलाओं का भला सोचा भी तो Sheikh Hasina जैसी हालत कर देंगे’

'हिफाजत-ए-इस्लाम' और 'खिलाफत मजलिस' जैसी कट्टर जमातों ने महिला सुधारों को "इस्लाम विरोधी" करार दिया है। उन्होंने आयोग के प्रस्तावों की निंदा करते हुए कहा कि ये कुरान और सुन्नत के खिलाफ हैं

by Alok Goswami
Apr 28, 2025, 02:57 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
मोहम्मद यूनुस

मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश इस्लामी देश है। शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद तो उसमें होड़ लगी है तालिबान जैसी कट्टर इस्लामी सत्ता बनाने की। तालिबान ने अपने राज में अफगान महिलाओं को पशुवत बना दिया है, उनके अधिकारों को छीनकर दोयम दर्जे की नागरिक बना छोड़ा है। शेख हसीना अपने देश को आगे ले जाने के लिए विकास की चिंता करने वाली शासक मानी जाती थीं। लेकिन उनके बाद, सत्ता में बिठाए गए नोबल विजेता मोहम्मद यूनुस कट्टर मजहबियों की कठपुतली ही हैं, यह बात एक बार फिर सिद्ध हुई है। इस्लामी राज या दबाव में चलने वाली सत्ता महिलाओं के ​लेकर क्या सोच रखती है यह तालिबान जाहिर कर चुके हैं। बांग्लादेश के मुल्ला—मौलवी भी ठीक वैसा ही ‘इस्लामी माहौल’ चाहते हैं इसलिए उन्होंने यूनुस को साफ कहा है कि ‘महिलाओं को ज्यादा भाव न दिया जाए, उनके सुधार के प्रयास न किए जाएं नहीं तो जो हाल शेख हसीना का किया है वैसा ही हाल उनका भी कर दिया जाएगा।’

बांग्लादेश की कट्टर मजहबी जमातों की ऐसी धमकियों से उस देश में एक नया बखेड़ा खड़ा होता दिख रहा है। कट्टर जमात ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ ने गत दिनों मोहम्मद यूनुस की नकेल कसने के लिए उग्र बयान दिया है जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल है। यूनुस के गले में फांस अटक गई है कि महिला सुधार आयोग के जो भी प्रस्ताव हैं उनको लागू करने की जुर्रत न करें। अगर की तो समझ लें कि नतीजे वही होंगे जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को झेलने पड़ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि महिला सुधार आयोग ने बांग्लादेश में महिलाओं के लिए समान अधिकारों और सुधारों की दिशा में कई प्रस्ताव पेश किए हैं। इनमें विवाह, तलाक, विरासत और भरण-पोषण जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की बात कही गई है। कट्टरपंथी समूहों का दावा है कि ये प्रस्ताव ‘इस्लामी कानूनों के खिलाफ’ हैं और मजहबी मान्यताओं को कमजोर करते हैं। और इस्लामी कानून तथा मजहबी मान्यताएं क्या हैं उनकी बानगी तालिबान ने दिखाई ही है। मजहबी सोच वालों के लिए महिलाएं समाज में सबसे नीचे रखी जाएं तभी इस्लाम सुरक्षित रह सकता है।

मजहबी सोच वालों के लिए महिलाएं समाज में सबसे नीचे रखी जाएं तभी इस्लाम सुरक्षित रह सकता है

‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ और ‘खिलाफत मजलिस’ जैसी कट्टर जमातों ने इन सुधारों को “इस्लाम विरोधी” करार दिया है। उन्होंने आयोग के प्रस्तावों की निंदा करते हुए कहा कि ये कुरान और सुन्नत के खिलाफ हैं। इन जमातों की खुली धमकी है कि अगर सुधार आयोग के प्रस्तावों को लागू करने का सोचा गया, तो देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे।

बांग्लादेश की सत्ता के शीर्ष पर दुनिया को दिखाने वाले चेहरे यानी सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक जगह यह जिक्र करने की ‘भूल’ की थी कि महिला सुधार आयोग के प्रस्तावों को लागू करने की दिशा में कदम उठाएंगे। तभी से कट्टरपंथी जमातें उन्हें ‘सलाह’ दे रही है कि ‘होश में आओ, इस्लाम विरोधी कदम न उठाओ।’ उन्हें चेतावनी दी जा रही है कि अगर उन्होंने जमातों की बात अनसुनी की तो उनका हाल शेख हसीना जैसा होगा। यह धमकी दिखाती है कि बांग्लादेश में उन कट्टरपंथी तत्वों की तूती बोल रही है जिन्हें शेख हसीना ने लगाम लगाए रखा था।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल की बात करें तो उस दौरान कट्टरपंथी समूह अराजकता फैलाने की कोशिश करते थे लेकिन उन पर काबू रखा जाता था। हसीना ने महिलाओं के अधिकारों और सुधारों की दिशा में कई कदम उठाए थे, जिसके कारण उन्हें कट्टरपंथी गुटों की धमकियों और विरोध का सामना करना पड़ा था। लेकिन अगर यूनुस ने हिम्मत दिखाई और आयोग के प्रस्तावों को लागू ​किया तो उनकी देश की महिलाओं की नजर में उनका सम्मान बढ़ जाएगा।

Topics: हिफाजत ए इस्लाममहिला सुधारhifajat-e-islambangladeshWomen Empowermentशेख हसीनाSheikh Hasinayunusमोहम्मद यूनुस
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