ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर विवाद और खुलासे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जहाँ एक ओर सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि किसी भी तरह से लोगों का गुस्सा शांत हो जाए और वह उस समुदाय पर कदम उठाने से बच जाए, जो उसका मजबूत वोटबैंक है तो वही लोगों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
श्वेत लड़कियों के साथ पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग्स के सदस्यों को लेकर कोमल रुख के चलते लोग लगातार प्रश्न उठा रहे हैं। अब एक और खुलासा हुआ है, जिसने लोगों के मन मे और गुस्सा भर दिया है। जीबी न्यूज़ ने यह खुलासा किया है कि रोथेरहम ग्रूमिंग गैंग के सदस्यों को लगभग 6 लाख यूरो की कानूनी सहायता मिली है।
जीबी न्यूज़ के अनुसार कुल 611,204 पाउंड की सहायता राशि अपराधियों को दी गई – जिसमें गिरोह के सरगना को कुल 143,696 पाउंड की धनराशि प्राप्त हुई। यह खबर उस समय आई है, जब जब कुछ ही दिनों पहले लेबर पार्टी बाल यौन शोषण की स्वतंत्र जांच कराने के अपने वादे से पीछे हटती नजर आई थी। हालांकि अब एक बार फिर से उसे लेकर बयान बाजी जारी है। हाल ही में ब्रिटेन की संसद में भी इस मामले को लेकर बहस हुई थी, और उसमें शैडो होम ऑफिस मिनिस्टर कैटी लेम ने इस गैंग को रेप गैंग का नाम दिया था। और उन्होंने यह भी बताया था कि एक सर्वाइवर लड़की ने बताया कि उसके साथ बलात्कार करने वाले लड़के ने उससे क्या क्या? उस लड़के ने उससे कहा कि “हम यहाँ सभी श्वेत लड़कियों का बलात्कार करने के लिए आए हैं।“ और उन्होंने यह भी कहा कि सभी बलात्कार मजहबी कारणों से प्रेरित थे।
Thanks to @Katie_Lam_MP for giving Parliament some reality juice on the Grooming Rape Gang Scandal and lack of any accountability. You were the voice we needed.
Jess Phillips's performative sighing and huffing mentions the racially aggravated nature of the grooming gangs. pic.twitter.com/Wsu4S3Wele— Make Britain Safe Again (@unitedagainstgg) April 9, 2025
8 अप्रेल को संसद में दिया गया उनका यह सम्बोधन सोशल मीडिया पर वायरल है। लोगों का कहना है कि लेबर सरकार जानबूझकर इस पूरे अपराध को अनदेखा कर रही है, क्योंकि इस समुदाय के लोग उसका वोटबैंक है और कीर स्टार्मर और उसकी पार्टी कामकाजी श्वेत लड़कियों केए पीठ में छुरा घोंप रही है।
सोशल मीडिया पर एक बार फिर से बहस आरंभ हो गई है कि ग्रूमिंग गैंग के लोगों को एशियाई क्यों कहा जा रहा है, जबकि वे या तो पाकिस्तानी थे या फिर पाकिस्तानी मूल के थे।
ग्रूमिंग गैंग्स की जांच को लेकर गृह सचिव यवेट कूपर ने कहा है कि ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर पाँच शहरों में जो भी स्थानीय जांच चल रही हैं, वह जारी रहेंगी। कूपर ने बीबीसी से बात करते हुए कहा था कि पीड़ितों को पुलिस द्वारा की जा रही जांच पड़ताल से ही न्याय दिलवाया जा सकता है, महज जांच से नहीं।
ग्रूमिंग गैंग की हरकतों का विरोध करने वाले एक्टिविस्ट राजा मिया ने एक्स पर पोस्ट लिखा कि कूपर का जांच का दावा दिखावा है। राजा मिया ने अपनी पोस्ट में लिखा कि दशकों तक पूरे यूरोप में ग्रूमिंग गैंग्स का कहर श्वेत लड़कियों पर होता रहा और राजनेता और अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। जो पीड़ित बच गई थीं, उन्हें अनदेखा किया गया, इस अपराध को लेकर आवाज उठाने वाले कार्यकर्ताओं को सजा दी गई और अधिकारी चुप रहे, वे समुदाय में एकता का भ्रम लेकर डरपोक बनकर बैठे रहे।
https://Twitter.com/recusant_raja/status/1911692749612409309?
उन्होंने आगे लिखा कि कूपर के इस कदम से भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जो भी वे प्रदान कर रही हैं, वह कानूनी पूछताछ नहीं है। उनके पास किसी भी गवाह को बाध्य करने की कानूनी ताकत नहीं है। ये पूछताछ न ही पुलिस फ़ाइल को दोबारा देख सकती हैं और न ही जो सत्ता में हैं उन्हें जिम्मेदार ठहरा सकती हैं। दरअसल, ये पूछताछ केवल इसलिए की जा रही हैं, कि जिससे गलत सूचनाएं जो फैल रही हैं, उन्हें रोका जा सके।
इसे लेकर डेली मेल पर भी पत्रकार डैन होडगेस ने लिखा कि सरकार नहीं चाहती है कि ग्रूमिंग गैंग का पूरा सच जनता के सामने आए। क्योंकि यदि वे यह तथ्य सामने लाएंगे कि अधिकतर हमलावर मुख्य रूप से एशियाई थे, तो वे अपने प्रोग्रेसिव मध्य वर्ग समर्थकों को ठेस पहुंचाएंगे। और यदि वे यह बताएंगे कि पाकिस्तानी विरासत वाले आदमियों की इस पूरे अपराध में क्या भूमिका रही थी, तो मुस्लिम समुदाय में उनके वोटबैंक के कम होने की भी आशंका है।
वे लिखते हैं कि यह मूलत: प्राथमिकता का प्रश्न है। एक ऐसा क्रम है, जिसमें राजनीतिक कारणों से श्वेत लड़कियां और महिलाएं सबसे नीचे है और लेबर सरकार इसे छिपाने का भी प्रयास नहीं कर रही है।
ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर ब्रिटेन में जनता और सरकार के बीच लगातार संघर्ष चल रहा है। जहाँ एक ओर नए-नए खुलासे लोगों को और हैरानी में डाल रहे हैं, तो वही अब जिस प्रकार से इन बलात्कारियों को कानूनी सहायता मिली है तो लोग यह भी पूछ रहे हैं कि आखिर इन्हें इस सीमा तक कानूनी सहायता क्यों मिल रही है? मगर इसका उत्तर राजनीतिक है, और वोटबैंक की राजनीति जो न करवाए वह थोड़ा ही है।
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