म्यांमार में हाल ही में आए विनाशकारी भूकंप ने भारी तबाही मचाई, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई और हजारों घायल हो गए। इस आपदा के बाद भारत ने त्वरित मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए 29 मार्च को ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया। यह अभियान भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और वैश्विक मंच पर ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ (विश्व एक परिवार है) के सिद्धांत को दर्शाता है।

विज्ञान और तकनीकी मामलों के जानकार
म्यांमार में आए भीषण भूकंप से हुई मौत और तबाही के बीच भारत ने सबसे पहले 15 टन राहत सामग्री पहुंचाई तथा आपातकालीन मिशन ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत बचाव दलों के साथ हवाई और समुद्री मार्ग से और आपूर्ति भेजी। भारत की ओर से सैन्य परिवहन विमान में आवश्यक राहत सामग्री यांगून पहुंचाने के कुछ घंटों बाद, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के दो सी-130जे विमान से पहुंचे। इसी कड़ी में ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत भारत का एक और सी-130 विमान म्यांमार की राजधानी नेपीडॉ में उतरा। इस विमान के जरिए 38 एनडीआरएफ कर्मी और 10 टन राहत सामग्री भेजी गई है।
पूर्वी नौसेना कमान से भारतीय नौसेना के जहाज सतपुड़ा और सावित्री, मानवीय सहायता और आपदा राहत के रूप में 29 मार्च 2025 को यांगून के लिए रवाना हुए। इसके अलावा, अंदमान और निकोबार कमान से भारतीय नौसेना के जहाज करमुक और एलसीयू 52 भी आपदा राहत ऑपरेशन में सहायता के लिए रवाना हुए। इन जहाजों पर लगभग 52 टन राहत सामग्री भेजी गई है, जिसमें आवश्यक कपड़े, पीने का पानी, भोजन, दवाइयां और आपदा राहत पैलेट शामिल हैं।
7.7 थी तीव्रता
28 मार्च 2025 को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिसका केंद्र सागाइंग क्षेत्र में था। इसके बाद 6.4 तीव्रता के झटके भी महसूस किए गए। इस आपदा ने म्यांमार के कई शहरों, जैसे मांडले और यांगून में इमारतें पुल, और सड़कें नष्ट कर दीं। म्यांमार की सैन्य सरकार ने गत 2 मार्च तक 2,700 से अधिक मौतों की पुष्टि की, जबकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) ने मृतकों की संख्या 10,000 तक पहुंचने की आशंका जताई। इस त्रासदी का असर पड़ोसी देश थाईलैंड तक भी देखा गया, जहां 7.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया।
ऑपरेशन ब्रह्मा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं। इस समय जब हम म्यांमार के लोगों को तबाही के बाद उनके देश के पुनर्निर्माण में मदद कर रहे हैं, इस अभियान का नाम विशेष महत्व रखता है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के सैन्य शासक वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से फोन पर बात की और गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
पड़ोसी के साथ सदा
भारत लगातार ‘पड़ोसी पहले’ की नीति के तहत सभी देशों की मदद के लिए आगे रहा है। जब-जब इन देशों पर किसी भी तरह की मुसीबत आई, भारत ने दिल खोलकर मदद की। चीन लगातार भारत के पड़ोसी देशों में अपनी दखल को बढ़ाता जा रहा है। पाकिस्तान तो बहुत पहले ही चीन की गोद में जा बैठा था, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश में भी चीन अपने पांव पसार रहा है। इसके कारण इन देशों के भारत के साथ संबंधों में तनाव दिख रहा है। भारत ने पाकिस्तान की भी आपदा में मदद की। भारत की कोशिश ये रहती है कि उसके पड़ोस से संबंध अच्छे रहें और सभी देश तरक्की करें। म्यांमार से भारत के संबंध हमेशा से ही अच्छे रहे हैं और वहां के सैन्य शासन ने भी उग्रवादियों पर लगाम लगाने में भारत की मदद की है।
हर संभव सहायता कर रहे हम
- 29 मार्च को भारतीय वायुसेना का C-130J हरक्यूलिस विमान 15 टन राहत सामग्री लेकर हिंडन वायुसेना स्टेशन से यांगून पहुंचा। इसमें टेंट, कंबल, स्लीपिंग बैग, तैयार भोजन, जल शुद्धिकरण उपकरण, सौर लैंप, जनरेटर सेट, स्वच्छता किट, और आवश्यक दवाइयां (पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, सिरिंज, पट्टियां) शामिल थीं।
- भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री 40 टन से अधिक राहत सामग्री लेकर 31 मार्च को यांगून बंदरगाह पहुंचे। इसमें कपड़े, खाद्य सामग्री, साबुन, और सैनिटाइजर शामिल है।
- अब तक भारत ने 137 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी है, पांच विमान और चार नौसैनिक जहाजों के जरिए।
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की 80 सदस्यीय टीम, जिसमें खोजी कुत्ते और विशेष उपकरण (कंक्रीट कटर, ड्रिल मशीन, प्लाज्मा कटिंग मशीन) म्यांमार भेजे गए। इस टीम का नेतृत्व गाजियाबाद की 8वीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी कर रहे हैं। टीम मांडले और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में मलबे से लोगों को निकालने में जुटी है।
क्या कहा इसरो ने
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों के अनुसार म्यांमार क्षेत्र भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों की सीमा पर स्थित है और यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। भारतीय प्लेट हर साल करीब 5 सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ती है, जिससे भूकंपीय तनाव जमा हो जाता है। जब यह तनाव अचानक छूटता है तो बड़े भूकंप आते हैं, जैसा कि म्यांमार में देखा गया है। इसरो ने म्यांमार में आए भूकंप की तस्वीरें जारी की हैं। इसरो की तरफ से बताया गया कि भूकंप के बाद 29 मार्च को ‘कार्टोसैट-3’ नाम के इमेजिंग उपग्रह ने म्यांमार के मांडले और सागाइंग शहरों के ऊपर से तस्वीरें लीं। कार्टोसैट-3 ने धरती से 500 किलोमीटर ऊपर से तस्वीरें में खींचीं। इन तस्वीरों में भूकंप का भयावह मंजर दिखाई दे रहा है। तस्वीरों इरावदी नदी पर बना ढह चुका पुल, मंडाले विश्वविद्यालय में हुआ नुकसान स्पष्ट दिख रहा है। कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहतरीन और अत्याधुनिक तकनीक वाला इमेजिंग उपग्रह है।
चिकित्सा सहायता
- आगरा से 118 सदस्यीय मेडिकल टीम, जिसे ‘एयरबोर्न एंजल्स टास्क फोर्स’ नाम दिया गया, 60 बेड का अस्थायी अस्पताल स्थापित करने के लिए म्यांमार रवाना हुई। यह टीम उन्नत चिकित्सा और सर्जरी सेवाएं प्रदान करने में प्रशिक्षित है।
- 30 मार्च को मांडले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 10 चिकित्सा कर्मियों की पहली टुकड़ी पहुंची, जो फील्ड अस्पताल की स्थापना के लिए क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रही है।
समन्वय और नीति - भारतीय सेना, एनडीआरएफ और मेडिकल दलों ने म्यांमार प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित किया और राहत कार्यों की रणनीति तय की गई।
भारत ने म्यांमार में सोलर लैंप और जनरेटर सेट भी भेजे हैं, ताकि बिजली की कमी को दूर किया जा सके। आवश्यक दवाइयां व अन्य चिकित्सा संबंधी उपकरण पहले भेजे गए हैं। पड़ोसियों के अलावा दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी भारत मानवता की मदद के लिए आगे आता रहा है। 2023 में तुर्की में आए भूकंप से भारी तबाही मची थी। तब भारत ने राहत सामग्री समेत बचाव दल वहां भेजे थे।
भारत की तरफ से म्यांमार में विमानों और नौसेना के जहाजों के जरिए कुल 137 टन मदद भेजी जा चुकी है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, ‘भारत हमेशा अपने पड़ोस में प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता देने वाला सबसे पहला देश रहा है।’ स्थिति का आकलन जारी है, भारत म्यांमार की आवश्यकताओं के अनुसार सहायता बढ़ाने के लिए तैयार है।
भारत के महत्वपूर्ण राहत मिशन
- ऑपरेशन दोस्त (2023): तुर्की और सीरिया में भूकंप के बाद 6 टन से अधिक राहत सामग्री और एनडीआरएफ टीमें भेजी गईं।
- ऑपरेशन मैत्री (2015): नेपाल में आए भूकंप के बाद बचाव और राहत कार्यों के लिए, जिसमें 5,000 से अधिक लोगों को निकाला गया।
- ऑपरेशन जापान (2011): जापान में 9.0 तीव्रता के भूकंप और सुनामी के बाद भारत ने राहत सामग्री और सहायता प्रदान की।
- ऑपरेशन हैती (2010): हैती में 7.0 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत शांति सेना और राहत सामग्री भेजी।
- ऑपरेशन गुडविल (2005): पाकिस्तान में 7.6 तीव्रता के भूकंप (कश्मीर क्षेत्र) के बाद भारत ने राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता प्रदान की।
- ऑपरेशन कैस्टर और रेनबो सुनामी राहत (2004): इंडोनेशिया, श्रीलंका और मालदीव में 9.1 तीव्रता के भूकंप और सुनामी के बाद नौसेना जहाजों के ज़रिए राहत पहुंचाई गई।
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