बांग्लादेश में तथाकथित ‘छात्र आंदोलन’ और फिर योजनाबद्ध तरीके से शेख हसीना को प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटाने के बाद, ‘छात्रों’ ने अंतरिम सरकार बनाकर उसके मुख्य सलाहकार के नाते नोबुल सम्मान प्राप्त कथित ईमानदार और प्रभावशाली छवि वाले मोहम्मद यूनुस को चुना था। लेकिन अब महज सात महीने के अंदर ही उस ‘साफ छवि वाले समाजशास्त्री’ नेता की साख को बट्टा लगने लगा है। पिछले कुछ दिनों से वे विवादों में घिर गए हैं। मुख्य सलाहकार पर सरकारी गाड़ियों के निजी उपयोग के आरोप लगे हैं जिससे उनकी ‘प्रतिष्ठा’ को गहरा आघात पहुंच रहा है। यहां यह ध्यान रहे कि यह मुद्दा केवल उनकी व्यक्तिगत छवि से जुड़ा नहीं है बल्कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है।
अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सबसे बड़ा आरोप लगा है कि उन्होंने सरकारी गाड़ियों का उपयोग अपने निजी कार्यों के लिए किया। यह आरोप तब सामने आया जब कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि यूनुस ने सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया है। इन रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उन्होंने इन गाड़ियों का उपयोग अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के लिए किया, जो सरकारी नियमों के विपरीत है।
इस मुद्दे के जोर पकड़ने पर बांग्लादेश की जनता और विपक्षी दलों में असमंजसता का माहौल बना हुआ है। विपक्षी दलों ने इसे भ्रष्टाचार का एक जीता—जागता उदाहरण बताते हुए यूनुस के इस्तीफे की मांग कर दी है तो उधर जनता भी इस मामले पर अपनी नाराजगी जता रही है। आम लोगों को उम्मीद थी कि यूनुस के रहते अंतरिम सरकार में पारदर्शिता और ईमानदारी बनी रहेगी।
हालांकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से अभी इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी हुआ है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि सरकार में अंदरखाने इस मामले की जांच चल रही है और जल्दी ही इस पर कार्रवाई की जाएगी। यूनुस ने अपनी तरफ से इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह उनके खिलाफ एक साजिश है।
अगर इस विवाद ने और तूल पकड़ा तो उसका असर बांग्लादेश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर पड़ सकता है। अगर ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल यूनुस की छवि को धूमिल पहुंचाएगा बल्कि अंतरिम सरकार की विश्वसनीयता को भी डांवाडोल कर देगा। यह मामला बांग्लादेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे कथित अभियानों को भी प्रभावित कर सकता है।
मोहम्मद यूनुस के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने बांग्लादेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह मामला अगर सही साबित हुआ तो इससे एक सबक मिलेगा कि नेताओं को अपनी जिम्मेदारियों और संसाधनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। जनता और सरकार को इस मामले की निष्पक्ष जांच की उम्मीद है ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा दी जा सके।
अगर यूनुस पर लग रहे संसाधनों के दुरुपयोग के आरोप सही साबित होते हैं तो इससे पर्दे के पीछे से उन्हें कथित तौर पर संचालित कर रहे पश्चिमी ईकोसिस्टम में भी खलबली मचेगी। अनेक रिपेार्ट और तथ्य यह दिखाते हैं कि यूनुस के तार ऐसे पश्चिमी एनजीओ से जुड़े हैं जो विकासशील देशों में लोकतंत्र को आघात पहुंचाकर वहां पश्चिम के हित साधने के दुष्चक्र रचते हैं। ऐसे ही डीप स्टेट ने कथित तौर पर शेख हसीना के विरुद्ध आंदोलन खड़ा करवाया था, जिसमें पाकिस्तान की आईएसआई की भूमिका का भी उल्लेख आया था। भारत के पूर्व विदेश सचिव और बांग्लादेश में उच्चायुक्त रहे हर्ष श्रृंगला ने इस ओर संकेत भी किया था।
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