बात 2016 की है। सपा में चाचा-भतीजे में रार काफी बढ़ चुकी थी। पार्टी की एक बड़ी बैठक बुलाई गई, जिसमें शिवपाल यादव की ओर से मांग की गई कि अखिलेश यादव को हटाकर मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालें। इस पर मुलायम सिंह यादव ने कहा था, ‘‘चुनाव नजदीक है, अब मुख्यमंत्री बन कर क्या करूंगा? आप सभी लोग अखिलेश यादव का समर्थन करें और सभी प्रकार के विवाद को समाप्त करें। मेरे लिए पार्टी सबसे ऊपर है। मैं पार्टी नहीं टूटने दूंगा।’’
उन्होंने अखिलेश से कहा, ‘‘क्या जानते हो, शिवपाल के बारे में? बहुत संघर्ष से इस पार्टी को यहां तक पहुंचाया है।’’ जब अखिलेश ने बोलना शुरू किया तो उन्होंने औरंगजेब का विवाद छेड़ दिया। अखिलेश बोले, ‘‘मेरे बारे में अमर सिंह ने एक अंग्रेजी समाचार-पत्र में खबर छपवाई, जिसमे मुझे औरंगजेब और नेताजी को शाहजहां लिखा गया।’’ इसके बाद शिवपाल यादव बोले, ‘‘ये झूठ है, मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं, मुख्यमंत्री झूठे हैं।’’ यह कहते हुए उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ से माइक छीन लिया। बैठक में जमकर हंगामा हुआ था।
दरअसल, सितंबर 2016 में अखिलेश यादव ने नवनिर्मित सात मंजिला हज हाउस का उद्घाटन किया था। लेकिन इस मौके पर मुलायम सिंह की फोटो नदारद थी। सपा सरकार ने हिंडन नदी के किनारे चार एकड़ भूमि पर 51 करोड़ रुपये की लागत से इस हज हाउस का निर्माण कराया था। इसके बाद एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार-पत्र में ‘मुलायम सिंह यादव शाहजहां जैसा महसूस करते हैं’, शीर्षक से एक खबर छपी थी।
पार्टी की बैठक में जैसे ही अखिलेश ने खबर छपवाने का आरोप अमर सिंह पर लगाया, शिवपाल यादव ने उनके हाथ से माइक छीन लिया। मंच पर अफरा-तफरी मच गई। मुलायम सिंह ने चाचा-भतीजे के बीच समझौता कराना चाहा, लेकिन बात और बिगड़ गई। इसके बाद विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर दोनों में विवाद और गहरा हो गया। अखिलेश के पास पार्टी का जो दायित्व था, उसे कम कर दिया गया। इसके बाद अखिलेश ने रामगोपाल यादव के साथ मिलकर पिता को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया और स्वयं उस पर काबिज हो गए। पार्टी का विवाद सड़क पर आने के बाद अमर सिंह ने तंज कसते हुए कहा था कि अखिलेश यादव औरंगजेब हैं और मुलायम सिंह यादव की भूमिका शाहजहां जैसी हो गई है।
सवाल है कि तब औरंगजेब कहने पर अखिलेश चिढ़ गए थे। अब उन्हीं की पार्टी के अबु आजमी ने औरंगजेब को कुशल शासक बताया तो अखिलेश ने उसका समर्थन किया। अगर अखिलेश मानते हैं कि औरंगजेब ‘कुशल शासक’ था तो 2016 में इस बात पर बखेड़ा क्यों किया था? क्या वे ऐसा मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए नहीं कर रहे हैं?
बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था, ‘‘सपा भारत की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व नहीं करती और अपने मूल विचारक डॉ. राम मनोहर लोहिया के सिद्धांतों से भटक गई है। लोहिया ने भारत की एकता के तीन आधार बताए थे- श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान शिव। लेकिन आज सपा औरंगजेब जैसे क्रूर शासक को अपना आदर्श मान रही है। औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को आगरा किले में कैद कर एक-एक बूंद पानी के लिए तरसाया था। सपा नेताओं को शाहजहां की जीवनी पढ़नी चाहिए। जिन लोगों का आचरण औरंगजेब जैसा है, वे उस पर गर्व कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि औरंगजेब ने जजिया कर लगाया, मंदिर तोड़े और भारत का इस्लामीकरण करने की कोशिश की। कोई सभ्य मुसलमान अपने बेटे का नाम औरंगजेब नहीं रखता, क्योंकि उसे पता है कि वह उसे एक-एक बूंद पानी के लिए तरसा देगा। सपा महाकुंभ जैसे आयोजन की आलोचना करती है और औरंगजेब जैसे दुर्दांत और कट्टर मजहबी शासक का महिमामंडन करती है। सपा अपने विधायक (अबु आजमी) को पार्टी से निकाले और उसे उत्तर प्रदेश भेजे, यहां उसका ‘उपचार’ किया जाएगा। जो छत्रपति शिवाजी की परंपरा पर लज्जा महसूस करता हो और औरंगजेब को नायक मानता हो, क्या उसे भारत में रहने का अधिकार है?’’
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