पड़ोसी इस्लामी देश बांग्लादेश के हालात कुछ ठीक नहीं दिख रहे हैं। हाल के घटनाक्रमों पर नजर डालें तो जिस प्रकार के राजनीतिक और सैन्य परिदृश्य बने हैं, उन्हें लेकर इस वक्त कई सवाल खड़े हुए हैं। राजधानी ढाका अचानक राजनीतिक और सैन्य सरगर्मी की गवाह बन गई है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां और अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के बीच तनाव की खबरें पिछले कुछ समय से सुर्खियों में छाई ही हुई हैं। लेकिन अब ढाका में सैनिकों की बढ़ती गतिविधियों और बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती ने उन अटकलों को और हवा दे दी है कि क्या बांग्लादेश में तख्तापलट होने जा रहा है!
बांग्लादेश में पूर्ववर्ती शेख हसीना सरकार के 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया था। यूनुस नोबुल शांति पुरस्कार विजेता हैं और उस देश की जानी मानी हस्ती हैं। हालांकि, उनके कार्यकाल के दौरान बांग्लादेश की भारत और अमेरिका के साथ संबंधों में खटास आई है। इसके अलावा, देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति भी लगातार बिगड़ती नजर आ रही है, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। वहां हिन्दुओं की सुनियोजित हत्याओं की गूंज अमेरिकी, ब्रिटिश, कनाडा की संसदों के अलावा संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी है। लेकिन अजीब बात है कि हाल में जब संयुक्त राष्ट्र महासचिव चार दिन के दौरे पर वहां गए थे तब उन्होंने इस बाबत एक शब्द नहीं बोला था!
बहरहाल, सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां ने हाल ही में बयान दिया था कि जब तक बांग्लादेश में एक चुनी हुई सरकार नहीं बन जाती, तब तक सेना कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाएगी। उन्होंने सुरक्षाबलों को अनुशासन और पेशेवर जिम्मेदारियों के साथ काम करने की सलाह दी है। हालांकि, उन्होंने बल प्रयोग से बचने की भी बात कही है, जिससे यह संकेत मिलता है कि सेना स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से संभालना चाहती है।

लेकिन अब ढाका में सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों की तैनाती ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सेना की 9वीं डिवीजन को ढाका में इकट्ठा होने का आदेश दिया गया है, जिससे ये अटकलें जोर पकड़ती जा रही हैं कि सेना यूनुस सरकार का तख्तापलट करने की तैयारी में है। हालांकि, सेना ने इस कदम को कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने वाला बताया है।
लेकिन, मान लिया जाए कि अगर सेना यूनुस सरकार को हटाने का फैसला कर ही लेती है, तब क्या होगा? विशेषज्ञों की राय है कि यह स्थिति बांग्लादेश के पहले से डगमगाए हुए लोकतांत्रिक ढांचे को एक और बड़े झटके जैसी होगी। इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी जमकर आलोचना हो सकती है। भारत और अमेरिका जैसे देशों ने पहले ही बांग्लादेश की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है, और ऐसे में सेना का यह कदम द्विपक्षीय संबंधों को और खराब कर सकता है।
इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक बांग्लादेश में स्थिति जटिल और संवेदनशील बनी हुई है। ढाका में सेना और अंतरिम सरकार के बीच बढ़ते तनाव ने देश के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, यह देखना बाकी है कि सेना अपने ताजा कदम को किस दिशा में ले जाती है और इसका देश की राजनीति और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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