वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां देकर संवैधानिक तौर पर अपना मुस्लिम प्रेम और तुष्टिकरण की राजनीति को जाहिर करने वाली कांग्रेस ने एक बार फिर से अपना असली रंग दिखाया है। इस बार कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने सार्वजनिक ठेकों में मुस्लिमों को 4 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण देने की तैयारी की है। अपनी इस योजना को परवान चढ़ाने के लिए सरकार कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट एक्ट 1999 में संशोधन करने की योजना पर काम कर रही है।
सिद्धारमैया सरकार इसी विधानसभा सत्र के दौरान इस आरक्षण को लागू करना चाहती है। बताया जा रहा है कि कानून एवं विधायी मामलों के मंत्री एचके पाटील ने इसे मंजूरी दे दी है। साथ ही वित्त विभाग ने भी इसके लिए कमर कस ली है। रिपोर्ट की मानें तो अगर ये लागू हो जाता है तो कर्नाटक में सरकारी ठेकों में आरक्षण की सीमा बढ़कर 47 फीसदी तक हो जाएगी।
राज्य में पहले से एससी/एसटी के लिए 24 फीसदी, OBC-1 को 4% OBC-2A वर्ग को 15 फीसदी आरक्षण पहले से ही लागू है। अब प्रस्तावित मुस्लिम आरक्षण श्रेणी-2B के तहत आएगा। तुष्टिकरण का आलम तो ये भी है कि मुस्लिम के लिए ठेके की सीमा को भी बढ़ाकर 2 करोड़ कर दिया गया है।
हार नहीं मान रहे सिद्धारमैया
सीएम सिद्धारमैया मुस्लिम तुष्टिकरण में कुछ इस तरह से खो गए हैं कि वो हार मानने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव को वह अपने पहले कार्यकाल (2013-18) के दौरान भी लाए थे। लेकिन, उस वक्त उनकी ये योजना सफल नहीं सकी थी।
तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे सिद्धारमैया
इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस की नजर में केवल मुस्लिम समुदाय ही अल्पसंख्य है, बाकी को वो अल्पसंख्यक नहीं मानती है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को शिक्षा और रोजगार में आरक्षण देकर सरकार पहले ही संविधान का सीधा उल्लंघन है। भाजपा नेता ने आरक्षण देने की घटना को उच्चतम सीमा का तुष्टिकरण करार दिया है।
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