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हे राम! ये कैसा कलियुगी बेटा, केस सुनते हुए अदालत की भी अंतरात्मा झकझोर गई, जानें क्यों ?

अपनी 77 वर्षीय मां को पांच हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता दिए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली बेटे की याचिका पर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने आश्चर्य जताया है। न्यायालय ने कहा कि यह कलयुग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

by राकेश सैन
Feb 28, 2025, 01:01 pm IST
in पंजाब
Punjab Haryana High court NHAI
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श्रवण कुमार की धरती पर आज ऐसे लोग भी मिलते हैं, जिनकी हरकतों को देख अदालतों तक की अंतरात्मा कांप उठती है। अपनी 77 वर्षीय मां को पांच हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता दिए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली बेटे की याचिका पर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने आश्चर्य जताया है। न्यायालय ने कहा कि यह कलयुग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसने इस न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। कोर्ट ने याची पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

77 वर्षीय महिला के पति की 1992 में मृत्यु हो गई थी। उसके परिवार में एक बेटा और एक विवाहित बेटी है। उसके एक बेटे की मौत भी हो चुकी है जो अपनी विधवा और दो बेटों को पीछे छोड़ गया है। पति की मृत्यु के बाद 77 वर्षीय महिला की 50 बीघा जमीन उसके बेटे और उसके मृतक बेटे के बेटों (अपने पोतों) के पास चली गई। 1993 में उसे उसके भूत, वर्तमान और भविष्य के भरण-पोषण के लिए एक लाख रुपये दिए गए। इसके बाद वह अपनी बेटी के साथ रहने लगी। भरण-पोषण के लिए एक परिवारिक अदालत में केस करने पर अदालत ने उसके बेटे को पांच हजार रुपये देने को कहा था। इस 5 हजार रुपये के भरण-पोषण के आदेश को चुनौती देते हुए उसके बेटे ने तर्क दिया कि चूंकि वह उसके साथ नहीं रह रही थी, इसलिए पारिवारिक अदालत आदेश पारित नहीं कर सकती थी।

इसे भी पढ़ें: अमृतसर व बटाला में बमों से हमला करने वाला आतंकी मुठभेड़ में ढेर, दूसरा काबू

मां का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और वह अपनी बेटी की दया पर जीने को मजबूर है, क्योंकि उसके पास उसे पालने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है। अदालत ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण मामला बताया और कहा कि एक बार जब यह पाया गया कि बुजुर्ग महिला के पास आय का कोई स्रोत नहीं है, तो उसके बेटे के लिए याचिका दायर करने का कोई आधार नहीं है।

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि वास्तव में यह न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोरता है कि बेटे ने अपनी ही मां के खिलाफ 5 हजार रुपये के भरण-पोषण भत्ते के निर्धारण को चुनौती देते हुए वर्तमान याचिका दायर की है, हालांकि वह अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी है। हाईकोर्ट ने याची पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए उसे तीन महीने के भीतर अपनी मां के नाम पर यह राशि संगरूर के पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष जमा कराने का आदेश दिया है।

Topics: MaintenanceSon refuses to pay maintenance to his 77 year old motherहाई कोर्टHigh Courtpunjabपंजाबभरण पोषणबेटे ने अपनी 77 वर्षीय मां को भरण पोषण देने से किया इंकार
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