CJI के CBI डायरेक्टर के चयन में शामिल होने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उठाया सवाल, क्यों कहा ये लोकतंत्र के खिलाफ?
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CJI के CBI डायरेक्टर के चयन में शामिल होने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उठाया सवाल, क्यों कहा ये लोकतंत्र के खिलाफ?

शक्तियों के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जाहिर करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि इस पर फिर से विचार करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि जजों के आदेश पर कार्यपालिका का शासन संवैधानिक विरोधाभाष है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब और नहीं सहेगा।

by Kuldeep Singh
Feb 15, 2025, 08:07 am IST
in भारत
Voice president jagdeep dhankarh

जगदीप धनखड़, उप राष्ट्रपति

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‘हमारे जैसे देश या किस और लोकतंत्र में भारत के चीफ जस्टिस सीबीआई के निदेशक के चयन में आखिर कैसे शामिल हो सकते हैं? क्या इसके लिए कोई कानूनी तर्क हो सकता है? निश्चित तौर पर कार्यपालिका ने न्यायिक फैसले के आगे घुटने टेक दिए।’ ये बात उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने CBI डायरेक्टर की नियुक्ति के मामले में सीजेआई के शामिल होने पर की है। उन्होंने कहा कि ये लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है।

शक्तियों के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जाहिर करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि इस पर फिर से विचार करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि जजों के आदेश पर कार्यपालिका का शासन संवैधानिक विरोधाभाष है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब और नहीं सहेगा। क्योंकि संस्थाएं अपनी सीमाओं को तोड़ती हैं तो लोकतंत्र को इस भूल से बड़े घाव पहुंचते हैं और उन घावों से ही इसे याद रखा जाता है। जब संविधान के निर्माताओं ने इसे बनाया था तो उस दौरान उनके मन में अराजकता का संगम नहीं था और संस्थागत समन्वय के बिना संवैधानिक सलाह केवल प्रतीकवाद है।

उप राष्ट्रपति कहते हैं कि देश में न्यायालयीन सम्मान और आदर होना चाहिए कि ये संस्थाएं देश हित के लिए सहकारी संवाद के साथ संवैधानिक सीमाओं के अंदर ही रहकर कार्य करें। जब एक निर्वाचित सरकार के द्वारा कार्यकारी भूमिकाओं का निर्वहन होता है तो एक जबावदेही तय होती है। हालांकि, प्रत्येक संस्था अपने-अपने क्षेत्रों में ईष्टतम योगदान देती है। लेकिन, इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि हम एक संप्रभु राष्ट्र हैं, हमारी ये संप्रभुता लोगों में ही निहित होती है।

निर्णयों के माध्यम से होनी चाहिए ज्युडिशियरी की उपस्थिति

उप राष्ट्रपति ने न्यायपालिका के अधिकारों पर बात करते हुए कहते हैं कि देश में कानून बनाने का सर्वोच्च अधिकार केवल देश की संसद के पास है, लेकिन उसकी समीक्षा का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को है। ये अच्छा है। लेकिन समीक्षा संविधान को ध्यान में रखकर की जाती है कि संसद के द्वारा बनाया गया कानून संविधान के अनुरूप है अथवा नहीं। इसलिए, न्यायपालिका की सार्वजनिक उपस्थिति मुख्य तौर पर अपने फैसलों जरिए ही होनी चाहिए। क्योंकि, निर्णय बोलते हैं, इनका अपना वजन होता है। ऐसा इसलिए कि जब देश की सर्वोच्च अदालत संविधान के तहत कोई फैसला सुनाती है तो ये बाध्यकारी मिशाल बन जाता है।

Topics: सीबीआईcbiparliamentजगदीप धनखड़Jagdeep Dhankharसंसदन्यायपालिका का अधिकार क्षेत्रसीबीआई डायरेक्टर की नियुक्तिJurisdiction of JudiciarySupreme CourtAppointment of CBI Directorसुप्रीम कोर्ट
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