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मुस्लिम मर्दों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की दें जानकारी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश, जानिये क्या है मामला

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पाकिस्तानी महिला शायर परवीन शाकिर की शायरी पढ़ी

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WEB DESK

नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अपराध करार देने वाले कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो एक साथ तीन तलाक बोलने के चलते मुस्लिम मर्दों के खिलाफ देशभर में दर्ज मुकदमों और चार्जशीट की जानकारी दे। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने अगली सुनवाई मार्च में करने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को यह भी बताना है कि क्या तीन तलाक पर सरकार की ओर से लाये कानून के खिलाफ किसी हाई कोर्ट में कोई मामला लंबित है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पाकिस्तानी महिला शायर परवीन शाकिर की शायरी पढ़ी-

‘तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ-कहर के साथ

मेरी जवानी भी लौटा दो मेरी महर के साथ”

इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि मुस्लिम समुदाय में जारी तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का 2017 का आदेश भी तलाक के केसों को कम नहीं कर पा रहा है। ऐसे में इसे अपराध करार दिया जाना जरूरी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि तीन तलाक की पीड़िताओं को पुलिस के पास जाने के अलावा कोई विकल्प मौजूद नहीं है। पुलिस भी इस मामले में मजबूर हो जाती थी कि पहले इसे लेकर कोई कानून नहीं था जिसकी वजह से पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती थी। केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किये जाने के बावजूद इस पर रोक नहीं लग पाई थी। केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूरी तरह अमल सुनिश्चित करने के लिए क़ानून वक़्त की ज़रूरत थी, ऐसे केस में 3 साल तक की सजा से इसे रोकने में मदद मिली है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्रिपल तलाक कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बोर्ड ने कहा है कि तलाक ए बिद्दत को अपराध बनाना अंसवैधानिक है। इस मसले पर जमीयत उलेमा ए हिंद समेत 3 याचिकाएं पहले से लंबित हैं। इन पर कोर्ट ने 13 सितंबर, 2019 को नोटिस जारी किया था।

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