आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई विवाद में फंसते दिख रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रवेश वर्मा के प्रतिनिधि ने उनके नामांकन पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई हैं। आरोप है कि केजरीवाल ने अपनी आय और मतदाता पहचान संबंधी जानकारी छिपाई है, जिससे उनका नामांकन फिलहाल रोक दिया गया है।
भाजपा नेता प्रवेश वर्मा के प्रतिनिधि एडवोकेट साकेत गुप्ता ने रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) के समक्ष अरविंद केजरीवाल के नामांकन पर कई आरोप लगाए। उनका दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने 2019-2020 में अपनी वार्षिक आय मात्र 1,57,823 रुपये बताई, जो मासिक करीब 13,152 रुपये बैठती है। गुप्ता ने इसे पूरी तरह गलत और झूठा बताते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को प्रतिदिन 20,000 रुपये का वेतन और 1,000 रुपये का दैनिक भत्ता मिलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह न्यूनतम वेतन अधिनियम का उल्लंघन है और इससे मतदाताओं को गुमराह किया जा रहा है।
साकेत गुप्ता ने अरविंद केजरीवाल की मतदाता पहचान पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का नाम वार्ड नंबर 52 में वोटर लिस्ट में दर्ज है, लेकिन इस वार्ड में केवल 708 मतदाता हैं, जबकि उनका नंबर 709 दिखाया गया है। इसके अलावा, उनका नाम चांदनी चौक के वार्ड 105 और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के कौशांबी में भी वोटर लिस्ट में दर्ज है। उन्होंने सवाल उठाया कि एक ही व्यक्ति तीन स्थानों पर मतदाता कैसे हो सकता है?
इसके अलावा, गुप्ता ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने अपने नामांकन फॉर्म में अपने खिलाफ दर्ज तीन पुलिस मामलों की जानकारी छिपाई है। ये मामले नॉर्थ एवेन्यू थाने में गंभीर धाराओं के तहत दर्ज हैं। उन्होंने मांग की कि इन तथ्यों के आधार पर केजरीवाल का नामांकन रद्द किया जाए।
रिटर्निंग ऑफिसर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अरविंद केजरीवाल के नामांकन को जांच के लिए होल्ड पर रखा है। अब जांच पूरी होने के बाद ही इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
इस घटना ने दिल्ली की सियासत को गरमा दिया है और अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब देखना होगा कि आरओ इस मामले में क्या फैसला सुनाते हैं।
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