टिमरनी । हरदा जिले की तहसील टिमरनी के सरस्वती शिशु मन्दिर प्रांगण में दो दिन ( 11 और 12 जनवरी 2025 ) को ” श्रद्धेय भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यानमाला ” का यह 33वां स्मरणीय वैचारिक मंथन था। इसमें निरंतर राष्ट्रीय स्तर के वक्ता शिरकत कर श्रोताओं का ज्ञानवर्द्धन व जिज्ञासा शांत करते रहे हैं। दो दिवसीय व्याख्यानमाला की पहली संध्या ” वर्तमान युवा और भविष्य का भारत ” विषय के मुख्य वक्ता श्री मोहन नारायण गिरी (संस्थापक, शहीद समरसता मिशन इन्दौर) थे। उन्होंने कहा भारत टेक्नोलॉजी , मिलेट्री और इकोनॉमी के बल पर 2047 तक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। भारत की वर्तमान जीडीपी 3.7 ट्रिलियन डॉलर है । निकट भविष्य में भारत 9 ट्रिलियन डॉलर के आसपास की अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। विकसित राष्ट्र की सभी विशेषताओं के साथ भारत प्रगति की ओर अग्रसर है । नई शिक्षा नीति 2020 भी ठोस कदम साबित हो रही है । दुनिया में भारत सबसे युवा देश है , जिसकी 65 प्रतिशत आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है । दुनिया की सबसे प्रशिक्षित श्रम शक्ति भारत के पास है । भारतीय युवा ने हर काल में कल्पनातीत त्याग और बलिदान दिया है। विश्व के सभी पंथों, मजहबों और समुदायों में आपस में कई मत- मतांतर हैं। लेकिन मृत्यु पर सब एक हैं। जो जन्मा है, वो मरेगा। इस शाश्वत नियम के तहत तमाम सभ्यताओं में से भारत की सभ्यता संस्कृति ही जिंदा रही, इसलिए विश्व ने भारत को मृत्युंजय के नाम से पुकारा। उन्होंने कहा दुनिया में आईटी के क्षेत्र में 40 प्रतिशत योगदान भारतवंशी युवाओं का है । तकनीकी हमारे हाथ में शक्ति है , एडिक्शन नहीं है । इस सूचना क्रान्ति के दौर में एआई भविष्य के भारत के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है । इसका दुष्परिणाम बेरोजगारी और आलस्य के रूप में सामने है। इससे युवाओं को बचना चाहिए।
देशभर के आईआईटी संस्थानों सहित अन्य संस्थाओं में 300 से अधिक व्याख्यान दे चुके श्री गिरी ने कहा क भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी मिलेट्री पॉवर है। मगर , मानवीय तथा लोकतंत्र के नियम पालन में वह विश्व की सबसे पहली सेना है। अग्निवीर योजना से भारत, दुनिया का सबसे युवा सैन्य बल वाला देश बन जाएगा। इस योजना से ना केवल बाह्य, बल्कि आंतरिक सुरक्षा भी शक्तिशाली बनेगी। उन्होंने करीब डेढ़ घण्टे के अपने धारा प्रवाह उद्बोधन में ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक आख्यानों से श्रोताओं को हतप्रभ कर दिया।
उन्होंने कहा भारत ने हमेशा नवीन प्रयोगों का बाँह फैला कर स्वागत किया है। मानव अधिकार को भारत ने अपनाया है। सबसे पहले दुनिया को ” जियो और जीने दो ” का संदेश देने वाला भारत ही है, फिर चाहे विदेश का कोई देश मानव अधिकार के लिए अगुआ होने का दावा करे, तो करता रहे। उन्होंने विदेशी षड्यंत्रों के संदर्भ में खुलकर कहा अमेरिका के अरबपति सोरोस की निगाहें भारत पर लगी हुई हैं। वह थिंक टैंकों के बलबूते पर भारत की विविधता को विषमता, और विषमता को विघटन की तरफ ले जाना चाहता है। इसी का परिणाम है कि भारत जैसे सहिष्णु देश में सहिष्णुता ही राष्ट्रीय विमर्श का मुद्दा बन गई थी। पूरी दुनिया में सुरक्षा की गारंटी देने वाला अगर कोई देश है तो वह भारत है। उन्होंने भारत की युवा शक्ति का आह्वान किया कि विश्व शांति के लिए युवाओं को समझ, संतुलन और शक्ति के बीच समन्वय बैठाना होगा।
उन्होंने गुलाम और आजाद भारत में युवाओं के त्याग, बलिदान, संकल्प, शौर्य और उम्र का सिलेसिलेवार जिक्र करते हुए , छत्रपति शिवाजी, रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई, भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, बिरसा मुंडा, बहन गुलो- जानो के उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इसरो ने चन्द्रयान-3 का प्रक्षेपण कर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने की संकल्पना करने वाले एपीजे अब्दुल कलाम की उम्र 33 वर्ष थी। डॉ. कलाम ने उस संकल्पना को सिद्धी तक पहुंचाया। यही भारतीय युवा की विशेषता है।
व्याख्यानमाला की दूसरी संध्या का विषय ‘‘कलहमुक्त, स्नेहयुक्त परिवार‘‘ था। इसके मुख्य वक्ता श्री रवीन्द्र जोशी (अखिल भारतीय संयोजक, कुटुम्ब प्रबोधन गतिविधि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) थे। उन्होंने कहा आज परिवारों में कलह, द्वेष, वैमनस्यता बढ़ रही है। रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। वैवाहिक संबंध टूट रहे हैं। इसका मुख्य कारण भय, स्वार्थ, अहंकार, आलस्य, गलत सामाजिक मान्यता और मानसिक जड़ता है। इन बातों को दूर करने के लिए परिवार में साथ मिलकर भोजन करो। गपशप करो । परिवार के साथ समय बिताओ। यदि परिवार में सत्य, सदाचार, संवेदनशीलता, सुन्दर मन की कमी है तो आनन्दयुक्त पारिवारिक जीवन बनाने के लिए ओज, बल, शील, धैर्य, युक्ति, बुद्धि, दृष्टि, दक्षता इन आठ गुणों की उपासना करना पड़ेगा। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द, डाॅ. केशव बलिराम हेडगेवार, बाबा भीमराव अम्बेड़कर, भाऊसाहेब भुस्कुटे के जीवन से बहुत ही रोचक व प्रेरणादायी आख्यानों से श्रोताओं को जीवन मूल्यों की पहचान कराई। आपात काल में 19 माह जेल में रहने वाले गृहस्थ प्रचारक श्री जोशी ने कहा , परिवारों में आपस में संवाद की कमी, मोबाइल की बुरी लत, धैर्य की कमी, आत्म केन्द्रित जीवनशैली, तनाव, सांस्कृतिक संबंधों का अभाव तथा अहंकार, कलह के कारण बनते जा रहे हैं। युवक-युवती परिवार की प्रतिष्ठा से ज्यादा स्वयं की प्रतिष्ठा को अधिक मूल्यवान समझ रहे हैं। इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इनको समय रहते सुधारा जाना चाहिए। इसके लिए परिवार के मुखिया को चाहिए कि वह घर के सभी सदस्यों के साथ मिलकर सुबह या शाम का भोजन करे। दिन में एक बार भजन करे। सप्ताह में कोई ऐसा दिन तय करे,जब सभी बैठ कर गपशप करे। उन्होनें आश्चर्य व्यक्त किया कि जिस देश में पिता के वचन का सम्मान रखने के लिए बेटा राजपाठ छोड़कर वन का मार्ग स्वीकार कर लेता है। उस देश में छोटी-छोटी बातों को लेकर पिता-पुत्र के संबंध बिगड़ जाते हैं। भाई- भाई में प्रेम नहीं है। उन्होंने श्रोताओं को ‘‘रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाय पर वचन न जाई…‘‘ ऐसे कुल की परम्परा का स्मरण कराया। रामचरित मानस के सोने के हिरण एवं केवट प्रसंग का उल्लेख करते हुए पति-पत्नी को एक-दूसरे के जीवन मूल्यों को समझने तथा घर में क्या जरूरी है? और क्या नहीं ? गृहस्थी के लिए कितना पर्याप्त है, यह पति पत्नी को तय करना पड़ेगा। इसी के तारतम्य में उन्होंने कबीर का दोहा ” साँई इतना दीजिए…. का उल्लेख किया।
मुख्यवक्ता श्री जोशी ने परिवारों में मोबाइल की बुरी लत से बचने के लिए मोबाइल पार्किंग व्यवस्था बनाने जैसे उपायों को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा बच्चों को जब कोई खिलौना लाकर देते हैं तो वह उसका मानवीकरण करता है, उसे खिलाता, पिलाता, सुलाता है। वैसे ही उसे बताओ कि मोबाइल भी कुछ देर आराम करेगा, वह भी थक गया होगा। अब मोबाइल से सुबह मिलेंगे। ऐसी बात प्यार से बच्चों को समझाओ। परिवार में रोको, टोको और ठोको वाला फार्मूला कदापि ना अपनाओ।
संयुक्त रूप से रह रहे परिवारों के मुखिया का किया सम्मान
कार्यक्रम में संयुक्त रूप से रह रहे जिले के तीन परिवारों के मुखियों का सम्मान किया गया। सम्मान पाने वालों में उत्तम सिंह मौर्य ग्राम झिरीखेड़ा, इनके परिवार में 04 पीढ़ी के 56 सदस्य साथ रह रहे हैं, जयकिशन आमे, ग्राम सुखरास (हरदा) इनके परिवार में 27 सदस्य साथ रह रहे हैं। प्रहलाद गौर , रहटगांव के परिवार में 28 सदस्य साथ रह रहे हैं। जब महात्वकांक्षा के चलते परिवार टूट रहे हैं। समाज में एकल परिवार का फैशन पैर पसार रहा हो,ऐसे में चार पीढ़ियों का साथ रहने के उदाहरण अनुकरणीय हो जाते हैं। व्याख्यानमाला आयोजन समिति ने उन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में रामचरित मानस की प्रति एव्ं शॉल- श्रीफल भेंट किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अरूण सिकरवार व कतिया समाज के पूर्व अध्यक्ष बाजूलाल काजवे ने की। अतिथि परिचय एवं संचालन विक्रम भुस्कुटे ने देववाणी संस्कृत भाषा और हिन्दी में किया। गणेश वंदना संगीत पथक समूह (सरस्वती विद्या मंदिर, टिमरनी) के कलाकारों ने दी। संघ के प्रांतीय, विभागीय पदाधिकारियों सहित हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अभिनव चौकसे उपस्थित रहे। सुधीजनों का आभार डाॅ. अतुल गोविन्द भुस्कुटे ने माना। उन्होंने व्याख्यानमाला की निरंतरता व सफलता का श्रेय श्रोताओं का प्रतिकूल मौसम में भी व्याख्यान सुनने की प्रतिबद्धता को दिया।
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