बांग्लादेश के कथित छात्र आंदोलन के नेताओं ने कहा “31 दिसंबर 2024 को दफ़नाएंगे संविधान”: बीएनपी ने कहा यह “फासीवादी”
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

बांग्लादेश के कथित छात्र आंदोलन के नेताओं ने कहा “31 दिसंबर 2024 को दफ़नाएंगे संविधान”: बीएनपी ने कहा यह “फासीवादी”

यह कहा गया कि “हम मुजीब-बादी संविधान को दफनाना चाहते हैं।“

by सोनाली मिश्रा
Dec 31, 2024, 10:49 am IST
in विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बांग्लादेश में कथित छात्र आंदोलन के नेताओं ने यह घोषणा की है कि वे 31 दिसंबर 2024 को एक “जुलाई घोषणापत्र” जारी करेंगे जो 1972 के संविधान को दफन कर देगा। इसका अर्थ यह हुआ कि वे बांग्लादेश में संविधान के स्थान पर अपनी ही नई व्यवस्था चाहते हैं।

29 दिसंबर को ढाका में हुई एक प्रेस कान्फ्रन्स में इस कथित आंदोलन के संयोजक हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि इस घोषणापत्र को बहुत पहले ही जारी कर दिया जाना चाहिए था, इसमें हुई देरी के चलते शेख हसीना और अवामी लीग के नेताओं को इस आंदोलन पर सवाल उठाने का अवसर दिया है।

कथित भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के संयोजक ने कहा कि 31 दिसंबर को 3 बजे हम जुलाई क्रांति की घोषणा करेंगे। यह बांग्लादेश के नए लक्ष्यों, सपनों और आकांक्षाओं की घोषणा होगी और 31 दिसंबर को शहीद मीनार पर यह घोषणा जुलाई क्रांति की कानूनी मान्यता होगी। इसके बाद जो कहा वह गौर करने लायक है।

यह कहा गया कि “हम मुजीब-बादी संविधान को दफनाना चाहते हैं।“

इस प्रेस कान्फ्रन्स में इन कथित छात्रों ने इस संविधान को ही देश की तमाम समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया। और यह कहा कि “हम संविधान को सुधारना या निरस्त करना चाहते हैं, क्योंकि इसने बांग्लादेश में फासीवाद का रास्ता बनाया है।“

बांग्लादेश में अगस्त में जब से शेख हसीना को अपना पद छोड़कर जाना पड़ा था, तब से ही पांचजन्य ने यह कहा है कि यह आंदोलन केवल शेख हसीना को सत्ता से बाहर निकालने का नहीं था, बल्कि यह और कुछ था। यह बांग्लादेश की संवैधानिक व्यवस्था को पूरी तरह से बदलना था। बांग्लादेश की उस पहचान से छुटकारा पाना था जो उसे शेख मुजीबुर्रहमान ने दिलाई थी। यह पूरी लड़ाई केवल और केवल बांग्लादेश की हर उस पहचान को नष्ट करने की थी जो उसने अपने लाखों नागरिकों के बलिदान के बाद पाई थी। लाखों नागरिकों ने अपनी बांग्ला पहचान को पाने के लिए पूरे परिवारों का ही बलिदान दे दिया था।

इस संविधान को पाने के लिए जो लड़ाई हुई थी उसमें न जाने कितनी लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ था। मगर अब उसी संविधान को “मुजी-बादी” संविधान कहकर खारिज किया जा रहा है और उसे बदलने की बात की जा रही है। क्या यह उन लाखों लोगों के बलिदानों का अपमान नहीं है?

क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इस कदम का समर्थन करती है या फिर देश की अन्य मुख्य राजनीतिक शक्तियां इस कदम का समर्थन करती हैं कि असंख्य बलिदानों के बाद पाई हुई आजादी और संविधान को नकार दिया जाए? क्या वह आजादी आजादी नहीं थी? वह संविधान किसी एक व्यक्ति ने तो नहीं बनाया होगा?

कथित छात्र आंदोलन आखिर किसके खिलाफ था? क्या इसका उद्देश्य केवल और केवल भारत विरोध ही था? ऐसा इसलिए प्रश्न उठ रहा है कि इन कथित छात्र नेताओं ने कहा कि भारतीय आक्रमण की शुरुआत 1972 के संविधान के सिद्धांतों के माध्यम से हुई थी (और) यह घोषणा यह स्पष्ट कर देगी कि कैसे मुजीबवादी संविधान ने लोगों की आकांक्षाओं को नष्ट कर दिया और वास्तव में हम इसे कैसे बदलना चाहते हैं।

क्या इस कथित आंदोलन के मूल में भारत या कहें अपनी हिंदू जड़ों से विरोध ही केवल शामिल था या यही केवल इसका मूल तत्व था? बांग्लादेश कैसे भारत से अलग हो सकता है जबकि उसकी जड़ें तो भारत तक ही आती हैं? अपनी सांस्कृतिक जड़ों से कटने की इतनी बेचैनी इस कथित छात्र आंदोलन में है कि इसने अपने ही बलिदानियों के बलिदान को नकार दिया है?

संविधान को नकारने वाले यह नहीं जानते हैं कि इस संविधान की स्थापना संविधान सभा के सदस्यों की सलाह के अनुसार हुई थी। क्या ये लोग यह कहना चाहते हैं कि उस समय संविधान सभा के सदस्यों की कोई योग्यता नहीं थी?

वहीं इस कदम को लेकर बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने बहुत ही कठोर प्रतिक्रिया दी है। बीएनपी के नेताओं ने इस कदम को ही फासीवादी बताया है। बीएनपी के वरिष्ठ नेताओं ने इस वक्तव्य को गैर जरूरी बताते हुए कहा है कि 1971 के संविधान के लिए लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया है और ऐसे बयान कि “इसे दफना दिया जाए, मार दिया जाए” अपने आप में फासीवादी भाषा को बताता है। बीएनपी के स्टैन्डिंग कमिटी के सदस्य मिर्जा अब्बास ने कहा कि ऐसे बयानों से भ्रम फैलेगा।

वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस कदम से अपने आपको दूर कर लिया है। सरकार ने कहा है कि उसका इस “जुलाई घोषणा” से कोई भी संबंध नहीं है।

बीएनपी के एक और सदस्य रुहुल कबीर रिजवी ने कुछ ऐसे राजनीतिक समूहों पर आरोप लगाया कि वे अपने मुनाफे के लिए मौजूदा राजनीतिक माहौल का फायदा उठाया रहे हैं, जो मुक्ति आंदोलन के विरोधी रहे थे।

बांग्लादेश में जो भी हो रहा है, अर्थात संविधान का विरोध, शेख मुजीबुर्रहमान की दी गई पहचान का विरोध और उसे हटाने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, उनके विषय में पांचजन्य ने आरंभ से ही लिखा है।

Topics: बांग्लादेश भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलनBangladesh Anti-Discrimination Student Movementworld Newsbangladeshइस्लामिक कट्टरपंथबांग्लादेशIslamic fundamentalismवर्ल्ड न्यूजबांग्लादेश संविधानBangladesh constitution
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Turkish plan against india

तुर्की का भारत विरोधी एजेंडा: बांग्लादेश और पाकिस्तान के सहारे घेरने की साजिश, निशाने पर ये राज्य

Kolakata Law College gangrape case

9 दिनों में 24 रेप: बांग्लादेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की महामारी

Sheikh Haseena sentenced to 6 month

शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने सुनाई छह महीने की जेल, जानें किस जुर्म की मिली सजा

पासपोर्ट में अफसरों को 'मेडिकल कोर का सदस्य' बताया गया है।

बांग्लादेश: ब्लिट्ज के संपादक ने खोली आईएसआई के फर्जीवाड़े की पोल, फौजी अफसर कहां ठहरे, किससे मिले, सबसे हटाया पर्दा!

Representational Image

Bangladesh : 25 साल की हिन्दू युवती का बलात्कार किया, वीडियो वायरल किया; Dhaka में जबरदस्त आक्रोश, 5 आरोपी गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Donald Trump

टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने ने बसाया उन्ही के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिलवुमन का झलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies