बांग्लादेश के कथित छात्र आंदोलन के नेताओं ने कहा “31 दिसंबर 2024 को दफ़नाएंगे संविधान”: बीएनपी ने कहा यह “फासीवादी”
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

बांग्लादेश के कथित छात्र आंदोलन के नेताओं ने कहा “31 दिसंबर 2024 को दफ़नाएंगे संविधान”: बीएनपी ने कहा यह “फासीवादी”

यह कहा गया कि “हम मुजीब-बादी संविधान को दफनाना चाहते हैं।“

by सोनाली मिश्रा
Dec 31, 2024, 10:49 am IST
in विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बांग्लादेश में कथित छात्र आंदोलन के नेताओं ने यह घोषणा की है कि वे 31 दिसंबर 2024 को एक “जुलाई घोषणापत्र” जारी करेंगे जो 1972 के संविधान को दफन कर देगा। इसका अर्थ यह हुआ कि वे बांग्लादेश में संविधान के स्थान पर अपनी ही नई व्यवस्था चाहते हैं।

29 दिसंबर को ढाका में हुई एक प्रेस कान्फ्रन्स में इस कथित आंदोलन के संयोजक हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि इस घोषणापत्र को बहुत पहले ही जारी कर दिया जाना चाहिए था, इसमें हुई देरी के चलते शेख हसीना और अवामी लीग के नेताओं को इस आंदोलन पर सवाल उठाने का अवसर दिया है।

कथित भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के संयोजक ने कहा कि 31 दिसंबर को 3 बजे हम जुलाई क्रांति की घोषणा करेंगे। यह बांग्लादेश के नए लक्ष्यों, सपनों और आकांक्षाओं की घोषणा होगी और 31 दिसंबर को शहीद मीनार पर यह घोषणा जुलाई क्रांति की कानूनी मान्यता होगी। इसके बाद जो कहा वह गौर करने लायक है।

यह कहा गया कि “हम मुजीब-बादी संविधान को दफनाना चाहते हैं।“

इस प्रेस कान्फ्रन्स में इन कथित छात्रों ने इस संविधान को ही देश की तमाम समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया। और यह कहा कि “हम संविधान को सुधारना या निरस्त करना चाहते हैं, क्योंकि इसने बांग्लादेश में फासीवाद का रास्ता बनाया है।“

बांग्लादेश में अगस्त में जब से शेख हसीना को अपना पद छोड़कर जाना पड़ा था, तब से ही पांचजन्य ने यह कहा है कि यह आंदोलन केवल शेख हसीना को सत्ता से बाहर निकालने का नहीं था, बल्कि यह और कुछ था। यह बांग्लादेश की संवैधानिक व्यवस्था को पूरी तरह से बदलना था। बांग्लादेश की उस पहचान से छुटकारा पाना था जो उसे शेख मुजीबुर्रहमान ने दिलाई थी। यह पूरी लड़ाई केवल और केवल बांग्लादेश की हर उस पहचान को नष्ट करने की थी जो उसने अपने लाखों नागरिकों के बलिदान के बाद पाई थी। लाखों नागरिकों ने अपनी बांग्ला पहचान को पाने के लिए पूरे परिवारों का ही बलिदान दे दिया था।

इस संविधान को पाने के लिए जो लड़ाई हुई थी उसमें न जाने कितनी लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ था। मगर अब उसी संविधान को “मुजी-बादी” संविधान कहकर खारिज किया जा रहा है और उसे बदलने की बात की जा रही है। क्या यह उन लाखों लोगों के बलिदानों का अपमान नहीं है?

क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इस कदम का समर्थन करती है या फिर देश की अन्य मुख्य राजनीतिक शक्तियां इस कदम का समर्थन करती हैं कि असंख्य बलिदानों के बाद पाई हुई आजादी और संविधान को नकार दिया जाए? क्या वह आजादी आजादी नहीं थी? वह संविधान किसी एक व्यक्ति ने तो नहीं बनाया होगा?

कथित छात्र आंदोलन आखिर किसके खिलाफ था? क्या इसका उद्देश्य केवल और केवल भारत विरोध ही था? ऐसा इसलिए प्रश्न उठ रहा है कि इन कथित छात्र नेताओं ने कहा कि भारतीय आक्रमण की शुरुआत 1972 के संविधान के सिद्धांतों के माध्यम से हुई थी (और) यह घोषणा यह स्पष्ट कर देगी कि कैसे मुजीबवादी संविधान ने लोगों की आकांक्षाओं को नष्ट कर दिया और वास्तव में हम इसे कैसे बदलना चाहते हैं।

क्या इस कथित आंदोलन के मूल में भारत या कहें अपनी हिंदू जड़ों से विरोध ही केवल शामिल था या यही केवल इसका मूल तत्व था? बांग्लादेश कैसे भारत से अलग हो सकता है जबकि उसकी जड़ें तो भारत तक ही आती हैं? अपनी सांस्कृतिक जड़ों से कटने की इतनी बेचैनी इस कथित छात्र आंदोलन में है कि इसने अपने ही बलिदानियों के बलिदान को नकार दिया है?

संविधान को नकारने वाले यह नहीं जानते हैं कि इस संविधान की स्थापना संविधान सभा के सदस्यों की सलाह के अनुसार हुई थी। क्या ये लोग यह कहना चाहते हैं कि उस समय संविधान सभा के सदस्यों की कोई योग्यता नहीं थी?

वहीं इस कदम को लेकर बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने बहुत ही कठोर प्रतिक्रिया दी है। बीएनपी के नेताओं ने इस कदम को ही फासीवादी बताया है। बीएनपी के वरिष्ठ नेताओं ने इस वक्तव्य को गैर जरूरी बताते हुए कहा है कि 1971 के संविधान के लिए लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया है और ऐसे बयान कि “इसे दफना दिया जाए, मार दिया जाए” अपने आप में फासीवादी भाषा को बताता है। बीएनपी के स्टैन्डिंग कमिटी के सदस्य मिर्जा अब्बास ने कहा कि ऐसे बयानों से भ्रम फैलेगा।

वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस कदम से अपने आपको दूर कर लिया है। सरकार ने कहा है कि उसका इस “जुलाई घोषणा” से कोई भी संबंध नहीं है।

बीएनपी के एक और सदस्य रुहुल कबीर रिजवी ने कुछ ऐसे राजनीतिक समूहों पर आरोप लगाया कि वे अपने मुनाफे के लिए मौजूदा राजनीतिक माहौल का फायदा उठाया रहे हैं, जो मुक्ति आंदोलन के विरोधी रहे थे।

बांग्लादेश में जो भी हो रहा है, अर्थात संविधान का विरोध, शेख मुजीबुर्रहमान की दी गई पहचान का विरोध और उसे हटाने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, उनके विषय में पांचजन्य ने आरंभ से ही लिखा है।

Topics: Bangladesh constitutionबांग्लादेश भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलनBangladesh Anti-Discrimination Student Movementworld Newsbangladeshइस्लामिक कट्टरपंथबांग्लादेशIslamic fundamentalismवर्ल्ड न्यूजबांग्लादेश संविधान
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

वीडियो में कुर्ता—लुंगी और गोल टोपी पहने मुस्लिम लोग खुशी खुशी बरगद के पेड़ पर आरी चलाते दिखते हैं

Bangladesh : मजहबी उन्मादियों का दिमागी दिवालियापन हुआ साबित, फतवा देकर काटा बरगद का पुराना पेड़, हिन्दुओं में आक्रोश

तस्लीमा नसरीन

जब तक इस्लाम रहेगा तब तक आतंकवाद रहेगा, 1400 वर्षो में नहीं बदला- तस्लीमा नसरीन

Bangladesh Islsamist looted books

बांग्लादेश में इस्लामिस्टों की पुस्तक लूट: नालंदा से टँगाइल तक, एक ही कट्टरपंथी सोच

File Photo

Bangladesh : मजहबी उन्मादी तोड़ रहे हिंदू मंदिर, प्राचीन श्मशान को हटाकर बना रहे ‘एनीमल मार्केट’

मोहम्मद यूनुस

Yunus को कट्टर जमातियों की खुली धमकी-‘महिलाओं का भला सोचा भी तो Sheikh Hasina जैसी हालत कर देंगे’

Bangladesh Hindu youth stabbed to death

बांग्लादेश: पहलगाम हमले पर भारत का समर्थन किया, शकील ने चाकू घोंप की हिन्दू युवक की हत्या, लोगों में गुस्सा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies