नई दिल्ली । भारत में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हर राज्य से किसी न किसी दिन कोई मामला सामने आ रहा है। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक को साइबर अपराधी निशाना बना रहे हैं। अब दिल्ली और मध्य प्रदेश से डिजिटल अरेस्ट के दो मामले सामने आए हैं। इनमें से एक रिटायर्ड इंजीनियर हैं। पुलिस ने उनका रेस्क्यू किया है।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि रोहिणी निवासी रिटायर्ड इंजीनियर (72 वर्ष) को पार्सल के जरिये फंसाया गया। साइबर अपराधी ने खुद को पार्सल कंपनी का अधिकारी बताया और उनसे कहा कि उनके नाम से प्रतिबंधित दवाएं ताइवान से भेजी गई थीं। उनसे मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी बात करेंगे। इसके बाद बुजुर्ग को स्काइप डाउनलोड कराया और वीडियो कॉल कर डिजिटल अरेस्ट किया। पूरे परिवार को जेल में भेजने की धमकी देकर 10 करोड़ रुपये कई खातों में जमा करवा लिए। आठ घंटे तक वह कमरे में बंद रहे। बाद में उन्होंने परिजनों को जानकारी दी। एक अक्टूबर को पुलिस में शिकायत दी गई। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि उन्हें कंबोडिया से फोन किया गया था। दिल्ली पुलिस के अधिकारी के मुताबिक कंबोडिया, ताइवान और फिलीपींस से डिजिटल अरेस्ट के फोन आ रहे हैं।
भोपाल में छह घंटे तक इंजीनियर को रखा डिजिटल अरेस्ट
भोपाल में चार दिन के अंदर डिजिटल अरेस्ट की दूसरी घटना सामने आई है। साइबर अपराधियों ने टेलीकॉम कंपनी के इंजीनियर को छह घंटे तक उनके घर में डिजिटली कैद रखा। उन्हें डराया और धमकाकर एक कमरे में निगरानी में रखा गया। बुधवार दोपहर क्राइम ब्रांच ने उन्हें और उनके परिवार को घर से बाहर निकाला। इंजीनियर और उनका परिवार इस कदर घबराया हुआ था कि साइबर क्रिमिनल्स का वीडियो कॉल डिस्कनेक्ट होने के बाद भी वे घर से बाहर नहीं निकले। ठगों ने उनसे 24 घंटे निगरानी में रहने के लिए कहा था। उनके मोबाइल पर किसका कॉल आ रहा था, ठगों को इसका तक पता चल रहा था। इस वजह से वे किसी का कॉल उठा नहीं पा रहे थे।
ऑनलाइन रकम के लेनदेन का झांसा दिया
एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि भोपाल के करारिया के गायत्री नगर में रहने वाले प्रमोद कुमार (38) प्राइवेट टेलीकॉम कंपनी में फील्ड इंजीनियर हैं। मंगलवार शाम 4.15 बजे उनके मोबाइल पर कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को ईओडब्लू का अधिकारी बताकर कहा कि आपके नंबर से अलग-अलग बैंक खातों में बड़े पैमाने पर ऑनलाइन रकम का लेनदेन हुआ है। आपका नंबर बंद नहीं होना चाहिए। मैं मुंबई से हूं। नंबर बंद करने की हालत में भोपाल से गिरफ्तारी की जाएगी। ठगों को प्रमोद के मोबाइल में सेव कई जानकारियां पहले से थीं। पहला कॉल डिस्कनेक्ट होने के कुछ ही देर बाद प्रमोद को दूसरे नंबर से वीडियो कॉल आया। कॉल रिसीव करते ही स्क्रीन पर पुलिस यूनिफॉर्म में तीन लोग दिखे। उन्होंने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। कहा कि आपके नंबर से एक व्यक्ति से फिरौती मांगी गई है। प्रमोद ने अपना पक्ष रखना चाहा तो उसे धमकाया गया। कहा कि आपने जो जुर्म किया है, इसके लिए 3.50 लाख रुपये का फाइन और दो साल जेल की सजा है। ठगों ने प्रमोद से बातचीत करते हुए उनसे उनकी पूरी जानकारी हासिल की। इस बीच उनके मोबाइल पर वेटिंग पर जो कॉल आ रहे थे, वे भी ठगों को पता होते थे कि किसके कॉल हैं। इससे प्रमोद और भी घबरा गए थे।
ऑफिस से फोन आने पर बचे
ठगों ने प्रमोद से कहा कि हम स्थानीय पुलिस की मदद से आपको गिरफ्तार करने वाले थे। भले आदमी लग रहे हो। बचना चाहते हो तो हमारी निगरानी में 24 घंटे तक रहना होगा। इस पर उन्होंने ने हामी भर दी। आरोपियों के कहने पर खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। रात 11.30 बजे तक ठगों की निगरानी में रहे। बाद में आरोपियों ने खुद कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। डर की वजह से बुधवार सुबह 11.30 बजे तक प्रमोद ने किसी का कॉल पिक नहीं किया। ऑफिस की मीटिंग भी अटेंड नहीं की। तब उनके बॉस प्रदीप ने उन्हें कॉल किए। कई कॉल करने पर भी उन्होंने कॉल को पिक नहीं की। तब प्रदीप अनहोनी की आशंका के चलते उनके घर पहुंचे। प्रमोद ने गेट खोलने से इनकार कर दिया। ऐसे में उनके बॉस ने भोपाल क्राइम ब्रांच को मामले की सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर प्रमोद को रेस्क्यू किया। उन्हें बताया कि उनके साथ फ्रॉड हो रहा था। पुलिस की समझाइश के बाद वे नॉर्मल हुए और पत्नी-बच्चों के साथ घर से बाहर निकले। इससे पहले साइबर पुलिस ने चार दिन पूर्व भोपाल में डिजिटल अरेस्ट हुए एक कारोबारी को ठगों की लाइव निगरानी से छुड़ाते हुए ठगी से बचाया था।
टिप्पणियाँ