एक श्वास की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू?
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम सोशल मीडिया

एक श्वास की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू?

कोई मनुष्य कितना ही धनवान हो या कितना ही गरीब, कितना ही शक्तिशाली हो या निशक्त, फिर भी अपनी एक भी श्वास को वह न तो बढ़ा सकता है और न घटा सकता है

by डॉ. विकास दवे
Nov 5, 2024, 10:11 am IST
in सोशल मीडिया
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आप कहेंगे एक अत्यंत गंभीर शब्द श्वास के साथ रमेश बाबू जैसा फिल्मी संवाद जोड़कर क्यों एक गंभीर विषय को हास्य का विषय बनाना चाहता हूं? यह हास्य का नहीं, बल्कि गंभीर चिंता और उससे अधिक चिंतन का विषय है। यह संस्मरण लिखने का एकमात्र कारण यह है कि हम सब अपनी मानवीयता से ओत-प्रोत ज्ञान परंपरा पर गर्व करने के बाद भी पश्चिमी जगत से कुछ बातें नहीं सीख पाए। हमारी ज्ञान परंपरा में अत्यंत समृद्ध जीवन विज्ञान भरा पड़ा है, किंतु उसे अपने जीवन में अंगीकार नहीं किया तो पुरखों की संपूर्ण तपस्या को धूल-धूसरित होने में समय नहीं लगता। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण विषय है-सीपीआर अर्थात् कृत्रिम श्वास देना।

पश्चिमी जगत से तुलना इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि संपूर्ण पश्चिम में बच्चों के स्कूलों में दाखिला लेते ही सीपीआर का महत्व और उसकी प्रक्रिया समझा दी जाती है। लेकिन भारत में विद्यालय स्तर पर ऐसा कोई उपक्रम संपादित होते दिखाई नहीं देता। ये बातें दरअसल इसलिए ध्यान में आईं कि विगत दिनों परिवार के विवाह समारोह में एक अप्रत्याशित घटना घटी। समारोह में सब कुछ आनंदपूर्वक चल रहा था। सैकड़ों परिजन भोजन, नृत्य और संगीत का आनंद ले रहे थे कि अनायास रुक-रुक बारिश शुरू हो गई। वर्षा ने पूरे कार्यक्रम में थोड़ी-सी असहजता पैदा की, किंतु जल्दी ही संपूर्ण व्यवस्थाएं पुन: सुचारु रूप से संचालित होने लगीं।

एक नवयुवक जो मुश्किल से 18-20 वर्ष का रहा होगा। एक स्टॉल की तरफ रखे कूलर को ठीक करने के लिए गया। इसे उस तरुण का दुर्भाग्य ही कहूंगा कि वह जैसे ही पानी में डूबे कूलर के पास पहुंचा, अचानक बिजली का एक तार मैदान में छू गया और बिजली के झटके से युवक जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। वह न केवल अचेत हो चुका था, बल्कि उसकी जीभ भी बाहर की ओर लटक गई थी। आनन-फानन में विद्युत प्रवाह को बाधित किया गया। इसके बाद एक शिक्षित समाज की परीक्षा प्रारंभ हुई। आमतौर पर भारतीय समाज में जैसा होता है, उस युवा को घेर कर सारे लोग या तो भय के वशीभूत केवल मूक दर्शक बने थे या कुछ लोगों ने मोबाइल निकाल कर फोटो और वीडियो बनाना प्रारंभ कर दिया था। इतना ही नहीं, कई लोग जिस दिशा से कूलर की हवा आ रही थी, उसे रोक कर युवक को मृत्यु के मुख में जाते हुए देख रहे थे।

इसी बीच, एक तेजस्वी स्त्री का स्वर वातावरण में गूंजा। यह स्वर जानी-मानी तैराक कविता रावल का था। उनका क्रोध चरम पर था। उन्होंने तेज आवाज में कहा, ‘सारे लोग दूर हट जाइए और कम से कम कूलर से आने वाली हवा को मत रोकिए।’ क्रोध से उनके तमतमाते चेहरे को देखकर लोग सकते में आ गए थे। देखते-देखते भीड़ छंट गई। अब कूलर की ठंडी हवा अचेत पड़े युवक के चेहरे पर आने लगी। कविता ने तत्काल सीपीआर प्रक्रिया शुरू कर दी यानी युवक के सीने पर पंप देना शुरू किया।

मैंने कुछ व्यास पीठ से कुछ कथा वाचकों को यह कहते सुना था कि ईश्वर ने मनुष्य को एक निश्चित जीवन दिया है। प्रभु एक-एक श्वास का हिसाब रखते हैं। मनुष्य चाहे कितना ही धनवान हो या कितना ही गरीब, कितना ही शक्तिशाली या निशक्त, अपनी एक भी श्वास को न तो बढ़ा सकता है और न घटा सकता है। यही कारण है कि जीवन-मृत्यु पर मनुष्य का आज तक बस नहीं चला। मनुष्य देह धारण करके जगत में आता है तो प्रभु की इच्छा से और जाता भी है तो प्रभु की इच्छा से।

परंतु उस दिन ईश्वर की बनाई एक कृति कविता विधाता के बनाए विधान को चुनौती तो नहीं दे रही थी, पर ईश्वर का एक संदेश जरूर पूरे जन समूह में प्रसारित कर रही थी कि मनुष्य को जीवन अंतिम आस तक संघर्ष करते रहना चाहिए। संभवत: ईश्वर ने किसी व्यक्ति को और जीने का प्रसाद दिया हो और हम मनुष्यों की जिजीविषा,साहस और प्रत्युत्पन्नमति की कमी के कारण शायद वह समय से पूर्व दुनिया छोड़ रहा हो।
अभी तक जो कविता रावल दुर्गा के रूप में दिख रही थी, युवक को कृत्रिम श्वास देने के समय ऐसा लग रहा था मानो वह ममतामयी मां कौशल्या और यशोदा की तरह उस बच्चे को जीवन प्रदान करने के लिए अपनी श्वासों का नेह आशीर्वाद स्वरुप प्रदान रही थी। युवा पुनर्जीवन प्राप्त कर चुका था। विवाह की खुशियों पर लगता ग्रहण अचानक छंट गया था। प्रसन्नता की लहर चारों ओर फैल गई थी। बाद में युवक के परिजनों की कृतज्ञता की कल्पना हम कर सकते हैं। बाद में नागर समाज ने कविता रावल को ‘नागर वीरांगना सम्मान’ से सम्मानित भी किया।

कविता ने आग्रह किया कि कृत्रिम श्वास देने की यह प्रक्रिया समाज के सभी स्त्री, पुरुषों, युवाओं और बच्चों को ज्ञात होनी चाहिए। उन्होंने अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में यह आग्रह किया कि मेरा वास्तविक सम्मान तब होगा, जब एक बड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम रख कर आप सब भी इस प्रक्रिया में पारंगत हो सकें।

मैंने कविता से पूछा – आपने अब तक बीसियों लोगों को डूबने से बचाया है, पर सीपीआर से बचाने का अनुभव कैसा रहा? वह बोलीं-दोनों ही जीवन प्राप्ति के संघर्ष हैं, पर तैराकी सीखकर किसी को बचाना लंबे प्रशिक्षण के बाद संभव है, जबकि सीपीआर प्रक्रिया बहुत संक्षिप्त प्रशिक्षण से सीखा जा सकता है।

इस संपूर्ण घटनाक्रम ने यह बात तो स्पष्ट कर दी कि भले ही ईश्वर ने प्रत्येक मनुष्य को श्वासें गिन कर दी हैं, किंतु यदि कोई मनुष्य चाहे तो सीपीआर पद्धति से अपनी कुछ श्वास उधार देकर मृत्यु के मुख में जाने वाले मनुष्य को जीवन भर के लिए और लाखों करोड़ों श्वास प्रदान कर सकता है। आपकी दी हुई हर सूक्ष्म श्वास से विराट हो जाने की इस प्रक्रिया को हमें अवश्य जानना चाहिए।

Topics: Western worldman counted his breathscomplete penance of ancestorsज्ञान परंपराभारतीय समाजIndian Societyknowledge traditionपश्चिमी जगतमनुष्य को श्वासें गिन कर दीपुरखों की संपूर्ण तपस्या
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

लोकतंत्र की जननी

सशक्त भारत के लिए छोड़िए जाति जकड़न

लोकमंथन में प्रस्तुति देते कलाकार

भारतीयता का संगम

कालनेमि हटाओ, बेटी बचाओ

राहुल गांधी के सलाहकार सैमपित्रोदा

‘टुकड़े- टुकड़े’ सोच उजागर

28 सितम्बर,2023 को त्रिशूर (केरल) में सम्पन्न महिला सम्मेलन शक्ति 2023 का उद्घाटन करती हुईं चिन्मय मिशन की अध्यक्ष स्वामिनी सम्हितानंदा जी

‘शक्ति’ का शाश्वत चिंतन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मुंबई: ‘सिंदूर ब्रिज’ का हुआ उद्घाटन, ट्रैफिक जाम से मिलेगी बड़ी राहत

ब्रिटेन में मुस्लिमों के लिए वेबसाइट, पुरुषों के लिए चार निकाह की वकालत, वर्जिन बीवी की मांग

Haridwar Guru Purnima

उत्तराखंड: गुरु पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई पावन गंगा में आस्था की डुबकी

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार में 10 बीघा सरकारी जमीन पर बना दी अवैध मजार, हिंदू संगठनों में रोष, जांच के आदेश

Supreme court OBC reservation

केरल की निमिषा प्रिया को यमन में फांसी पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, केंद्र से जवाब तलब

इंदिरा गांधी ने आपातकाल में की थी क्रूरता, संजय गांधी ने जबरन कराई थी नसबंदी: शशि थरूर

इस्राएल सेना चैट जीपीटी जैसा एक टूल भी बना रही है जिससे फिलिस्तीन से मिले ढेरों डाटा को समझा जा सके

‘खुफिया विभाग से जुड़े सब सीखें अरबी, समझें कुरान!’ Israel सरकार के इस फैसले के अर्थ क्या?

रात में भूलकर भी न खाएं ये 5 चीजें, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

Earthqake in Delhi-NCR

दिल्ली-एनसीआर में 4.4 तीव्रता का भूकंप, झज्जर रहा केंद्र; कोई हताहत नहीं

आरोपी मौलाना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर

बलरामपुर: धर्म की भूमि पर जिहादी मंसूबों की हार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies