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संविधान बदलने को आतुर बांग्लादेश की चरमपंथी सरकार, एक दिन पहले की सिफारिश, वेबसाइट लॉन्च कर पार्टियों से मांगा सुझाव

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Kuldeep singh

बांग्लादेश में कथित भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के बाद बीएनपी की अगुवाई में बनी रुढ़िवादी अंतरिम सरकार संविधान बदलने के लिए इस कदर आतुर है कि वह इस मामले में रॉकेट की स्पीड से कार्य कर रही है। एक दिन पहले ही बांग्लादेश के संविधान को संशोधित करने की सिफारिश गोनो फोरम के एमेरिटस अध्यक्ष डॉ कमाल हुसैन ने की थी। अब बांग्लादेश के संवैधानिक सुधार आयोग के प्रमुख अली रियाज ने संविधान को बदलने के लिए जनता के सुझावों के लिए एक वेबसाइट भी लॉन्च कर दी है।

रियाज ने बताया कि यह बेवसाइट मंगलवार (5 नवंबर, 2024) से लोगों के लिए खोल दी जाएगी। इस बात की जानकारी खुद रियाज ने जातीय संसद भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कही। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि संवैधानिन सुधार आयोग सीधे राजनीतिक पार्टियों से संपर्क करके उनसे उनके लिखित सुझाव भी मांगेगा। रियाज का कहना था कि संविधान बदलने की सिफारिशों पर वैसे तो चर्चा करना सरकार का काम है, लेकिन आयोग सभी लिखित सुझावों और प्रस्तावों की समीक्षा करके प्रासंगिक सुझावों को संविधान में शामिल करेगा।

इसके साथ ही आयोग ने फैसला किया है कि इसके लिए वह विशेषज्ञों, वकीलों, समाज सुधारकों, प्रोफेशनल्स और युवा विचारकों को भी अपने साथ जोड़ेगा। खास तौर पर भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के कर्ता-धर्ताओं और जातीय नागरिक समिति से इस मामले में लिखित इनपुट मांगेगा।

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आवामी लीग और उसके सहयोगियों को इससे रखा जाएगा बाहर

हालांकि, कट्टरपंथी सरकार के अंतर्गत कार्य करने वाले आयोग ने ये स्पष्ट कर दिया है कि वो इस मामले में अपदस्थ अवामी लीग और उसके सहयोगियों से इनपुट नहीं मांगेगा। आयोग का कहना है कि ये ही लोगों के दमन में शामिल रहे हैं। ऐसे में इन्हें संविधान बदलने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले गोनो फोरम के एमेरिटस अध्यक्ष डॉ कमाल हुसैन ने संविधान बदलने की सिफारिश जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए की थी, उस वक्त अली रियाज भी इसी कॉन्फ्रेंस में शामिल थे। अब एक दिन बाद ही इतना बड़ा कदम उठा लिया गया।

गौरतलब है कि पाञ्चजन्य ने इसको लेकर खबर भी प्रकाशित की थी ‘शेख हसीना का तख्तापलट तो एक बहाना है, असली मकसद तो संविधान हटाना है’। अब हमारी खबर सच साबित हो रही है।

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