बांग्लादेश में हिन्दुओं को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। उन पर झूठे केस लगाए जा रहे हैं। इसी के विरोध में सनातन जागरण मंच के नेताओं ने चटगांव में पुलिस प्रशासन पर चेरागी पहाड़ चौराहे पर उन्हें रैली निकालने देने से रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया। साथ ही सनातन मंच के नेताओं ने हिन्दू नेताओं के खिलाफ जबरन दर्ज किए गए देशद्रोह के केस को वापस लेने की भी मांग की। देशद्रोह का ये केस चटगांव स्थित इस्कॉन के मंडल संगठन सचिव चंदन कुमार धर उर्फ चिन्मय कृष्ण दास ब्रम्हचारी समेत 19 हिंदुओं के खिलाफ दर्ज कराया गया।
स्थानीय अखबार डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, सनातन जागरण मंच के समन्वयक स्वतंत्र गौरंगा दास ब्रम्हचारी ने हिन्दू नेताओं पर दर्ज देशद्रोह के केस के खिलाफ निकाली गई रैली के दौरान आरोप लगाया कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों जमाल खान, नंदन कानन, अंदरकिला और सुरसन रोड सहित अलग-अलग जगहों से रैली में शामिल होने के लिए आने वाले लोगों को रोकने की कोशिशें कर रहे हैं। अब अगर वो लोग उन्हें रैली में नहीं आने दे रहे हैं तो हम उनके पास तक जाएंगे।
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क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथियों के द्वारा बार-बार हिन्दू अल्पसंख्यकों को पर हमला करने, उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर करने की घटनाओं के खिलाफ पिछले करीब डेढ़ सप्ताह पहले चटगांव में हिन्दुओं ने एक बड़ा विरोध मार्च निकाला। पहले तक तो सब ठीक था, लेकिन बाद में चटगांव के न्यू मार्केट में रैली निकालने वाले लोगों के खिलाफ ‘राष्ट्रीय ध्वज’ का अपमान करने के आरोप में देश द्रोह का केस दर्ज किया गया। देशद्रोह का ये केस चटगांव स्थित इस्कॉन के मंडल संगठन सचिव चंदन कुमार धर उर्फ चिन्मय कृष्ण दास ब्रम्हचारी समेत 19 लोगों के खिलाफ दर्ज कराया गया।
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केस दर्ज कराने वाला कोई और नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ बीएनपी का ही एक नेता फिरोज खान है। फिरोज खान बांग्लादेश के बंदरगाह शहर के मोहोरा वार्ड इकाई का महासचिव है। हालांकि, अब बीएनपी ये कह रही है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उसे पहले ही पार्टी से बाहर किया जा चुका है। सनातन मंच के नेता गौरंगा दास का कहना है कि अगर बीएनपी ने सत्य में फिरोज को पार्टी से बाहर किया है तो उसे इस बात का अंदाजा अच्छे से हो गया होगा कि फिरोज ही देश की शांति के लिए खतरा है।
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इस बीच गोरंगा दास ने चेतावनी दी है कि अगर सोमवार तक प्रशासन ने हिन्दू नेताओं के खिलाफ दर्ज किए गए केस को वापस नहीं लेता है तो वे व्यापक स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।
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